पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२४६

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अण्ड २४. जातो है। अण्ड को यदि अधिक दिन रखना हो, तो इसकी खासक्रिया बन्द कर देना आवश्यक है। अण्डेका सांस लेना बन्द कर देनेसे वह सड़ता-गलता नहीं। ढक्कनके छेद बन्द कर देनेसे फिर सांस नहीं आती-जाती। गली हुई पानी-जैसी चर्बी या मोमके भीतर अण्डा डुबा देनेसे छेद बन्द हो जाते हैं। इसीसे अण्डे सुरक्षित रखनका उपाय बहुत ही सौधा है। ढक्कनके ऊपर कलई या चूना डाल देने से भी यह उद्देश्य सिद्ध होता है। प्रति वर्ष कोई दो करोड़ रुपयेके अण्डे विलायत जाते हैं। सिवा भोजनके वहां यह कितने ही प्रकारके शिल्पकार्यों में भी लगते हैं। हमारे देशमें अण्डा शिल्पके किसी बड़े काम अधिक नहीं आता, केवल इससे कोई-कोई रङ्ग चमकाया जाता और कलईका काम निकलता है। जाता है। वायु निकाल देनेका तात्पर्य यह है, कि नलमें वायु रहनेसे प्रयोजनानुरूप भाफ आ जा नहीं सकती। ऊ छोटे-छोटे पात्र हैं। इन सबमें जल रहता है। इस जलसे अण्डेको आधारवाली हवाको जितना आवश्यक होता है, उतना आर्द्र और स्निग्ध कर देते हैं। कोको पात्रोंमें अण्डे नलके नीचे कतारमें सजाना पड़ते हैं। पक्षीके पेड़से अण्डे में जो गर्मी पहुंचती, उसका परिमाण एक सौ डिग्रो फारेनहोट है। श-नलसे भी ऐसी ही गर्मी पहुंचनपर अण्डा निकलता और उसका भी परिणाम एक सौ डिग्री होता है। इसी तरह गर्मी पहुंचानेसे हंस और मुर्गी प्रभृतिका अण्डा बीस दिनमें फूट निकलता है। इसलिये रोज सवेरे एक सौ अण्डे निकालनेको आवश्यकता होनेपर पहले दिन एक सौ अण्डे कतारमें सजा दे। आधारके भीतर जो छोटे-छोटे विन्दु (०००००) देख पड़ते, वह सब अण्डोंके चित्र हैं। दूसरे दिन पहले दिनके अण्डे नीचेके ढेरमें खिसकाके ऊपर और एक सौ अण्डे सजाये। इसीतरह प्रति दिन पहलेके अण्डे क्रमान्वयसे नीचेके ढेरमें खिसका लाये और ऊपर नये अण्डे रख दे। इसीतरह रोज सवेरै एक सौ 'अण्डे रखे जानेपर इक्कीसवें दिनसे अण्डे फूटना प्रारम्भ होता और रोज एक सौ बच्चे उत्पन्न होने लगते हैं। अण्ड फूटनेपर तीन-चार दिन बच्चोंको श ७ घरमें रखना आवश्यक है। इस घरमें छोटे-छोटे दाने डालनेसे बच्चे उन्हें स्वयं चुग लेते हैं। तीन-चार दिन बाद बच्चोंको बाहर निकाल मुर्गीके पास छोड़ दे। अन्य सन्तानको रक्षा और उसका लालन पालन करनेवाली मुर्गी और तीतरी जैसी उत्तम धात्री और दूसरी देख नहीं पड़ती। पक्षीका अण्डा सुस्वादु और पुष्टिकर होता है। अधिक परिश्रम, मानसिक चिन्ता, शिरका घूमना प्रभृति स्थलोंमें अण्डा खानेसे अनोखा फल देख पड़ता है। हमारे देशमें हिन्दू हंस और कछुएका अण्डा खाते हैं। मुसलमान मुर्गोका अण्डा खाया करते हैं ऊजाऊ अण्डा सेनेका यन्त्र । पक्षियोंके अण्डा न सेनेपर भी वैज्ञानिक प्रक्रियासे गर्मी पहुंचाके अण्डा उत्पन्न कर लिया जाता है। अण्डा सेनेका यन्त्र बहुत सौधा है। क बाष्पाधार है। अंगरेज़ीमें इसे बायलर (boiler) कहते हैं। हण्डीपर ढक्कन रख नीचे आग जलानेसे उसके भीतर धुआं उत्पन्न होता है। यह बाष्पाधार भी ठीक उसी तरहका है। पहले जलमें आगकी गर्मी पहुंचाना पड़ती है। गर्मी पानसे जल भाफ बन जाता है। इसके बाद वही भाफ श-नलसे ऊपर चढ़ती है। श-नल चारो ओर घूमके पौछे , -वाले एक खतन्त्र घरसे फिर बाष्पाधारके साथ मिल गया है। श-नलके भीतर भाफ जा अण्डे सेनेका आधार गर्म कर देती है। 5-नलसे बाष्पाधारमें जल डाल देना पड़ता है। इनल हारा वायु निकल