पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२५४

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- अतसौतेल-अतारी २४८ अतसी शब्दसे सनका वृक्ष भी समझा जाता है। अताई (अ० वि०) १ होशियार, दक्ष, प्रवीण, जो वस्त्र सन और तौसीके सूतसे बनता है, उसे क्षौम निपुण, कुशल । २ धूर्त। धोकेबाज, चालाक, कहते हैं। माघमें लिखा है,-तस्वातसीसूनसमानभासः । छलो। ३ अधपड़ा, अईशिक्षित, अशिक्षित, मूर्ख, ३१७। मल्लिनाथने इसको यी टीका की है, अतसी जो बिना सीखे कोई काम करे, पण्डितम्मन्य । सूनन जमा-कुमुमेन समानभास: तुल्यकान्तः सिग्धश्यामस्य इत्यर्थः । (पु०) ४ वह गवैया जो बिना किसीसे सोखे इधर- श्रीकृष्णका रूप वर्णन करते समय कवियोंने अतसौके उधरसे ताने सुनकर गाने-बजाने लगे। फूल-जैसे स्निग्ध श्यामवर्णका उल्लेख किया है। दुर्गाके अतापो (स० स्त्रो०) शान्त, सुखी, ठण्ढा, ध्यान में भी कहा गया है,-अतसीपुष्पवर्णाभां सुप्रतिष्ठा दुःखरहित। सुलोचना । बङ्गालके जहानाबाद प्रभृति स्थान-विशेषोंमें अताबक, अबूबकर-भारतके एक मुसलमान बादशाह । ऐसौ रीति है, कि जब सोलह वर्षको अवस्था में इन्होंने सन् ११५४ से ११८८ ई. तक शासन किया। किसी बालिकाके गर्भ रह जाता है, तब लोग इनके राजत्वकालमें १०००० घोड़े ईरानसे कोई एक षोडसी नौलदुर्गाको पूजा करते हैं। इस नौलदुर्गाके | करोड़ दश लाख रुपये में खम्भात आये थे। ध्यानमें 'अतसौपुष्यसागाम्' या 'अतसौपुष्पवर्णाभाम्' ऐसे शब्द अतारी-पञ्जाबके एक पुराने शहरका नाम। रहते हैं। सिकन्दर बादशाहने ( Alexander ) दिगविजय इस विषयमें भी कितना ही झगड़ा है, कि करने आ भारतमें पहले इसी नगरपर आक्रमण अतसी शब्दसे सन समझा जाता है या नहीं। इस किया था। इस समय इस नगरका कोई चिन्न नहीं विरोधका सूत्रपात अमरकोषके टीकाकारोंने किया देख पड़ता, स्थान-स्थानमें केवल बड़ी-बड़ी ईटें पड़ी है। अमरकोषमें लिखा है-अतसी स्वादमा तुमा। इस हैं, जिनकी बनावट आजकलको ईटों-जैसी नहीं। जगह कोई-कोई टीकाकार केवल अलसी बताते, कोई कोई एक हजार वर्षसे किसीने ऐसौ ईटोंका कोई अलसी और सन दोनो शब्द कहा करते हैं। घर नहीं बनाया। इसीसे मालूम होता, कि अतसी शब्दसे बङ्गालमें आतुसी नामक एक पीला अतारी बहुत दिनोंका शहर है। नगरको चारो फल समझा जाता है। वह देखने में ठीक सनके ओर खाई कटे हुए किले के भीतर बड़ी-बड़ी अट्टा- फूलजैसा होता है। संस्कृतके अभिधानकारोंने लिकायें थीं, किन्तु वह सब गिर पड़ी हैं। अतारी- इस शब्दसे यह फूल नहीं ग्रहण किया है। उद्भिद् के किलेका इस समय भी जो भग्नावशेष है, वह शास्त्रवेत्ता अतसीको कोटलेरिया सेरिसिया (Crota १२०० हाथ लम्बा, ८०० हाथ चौड़ा और १२ हाथ laria sericea) कहते हैं। ऊंचा है। किलेके बीच में ३२ हाथ ऊंचा एक जङ्गली अतसी क्रोटलेरिया रेटुसा ( Crotalaria मन्दिर है। सिकन्दरके समय यह नगर माल्लिराजीं- retusa ) कहलाती है। कितना हो ढूढनेपर भी के अधिकारमें था। यह बात कोई नहीं कह अतमौके फूलका संस्कृत नाम न मिला। इससे सकता, कि मल्लिराज कौन थे और उन्होंने कितने अनुमान होता है, यह हमारे देशका वृक्ष नहीं। दिन यहां राजत्व किया था। यूनानके इतिहास- सन जिस जातिका उद्भिद है, दोनो प्रकारको अतसी लेखक कहते हैं, कि सिकन्दरके इस स्थानपर भी उसी जातिको है। सनका नाम क्रोटलेरिया आक्रमण करते समय उनकी फौज उन महावीरको जनसिया ( Crotalaria juncea) है। अस्त्रदृष्टि के सामने जरा देर भी न ठहर सकी थी। इसका दूसरा विवरण अलसी और तीसौ शब्दमें देखो। इसके बाद सिकन्दरके सिपाहियोंने किसी तरह अतसौतेल (सं० क्ली) तीसौ या अलसीका तेल । किले में घुस सब घरोंपर आग लगा दी। इससे यह अता (अ० पु.) कपा, दान, अनुग्रह। हुआ, कि बड़ी-बड़ी अट्टालिकायें धायं-धायं जलने