पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२५५

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एक अतालमसजिद-अतिकन्दक २४६ लगीं और नगरवासियोंने उसीमें अपने प्राण त्याग । अङ्गीकार किया, कि भविष्यत्में मन्दिरके ऊपर कोई किये। अतारी मुलतानके पास तुलुम्बसे दश कोस अत्याचार किया न जायेगा। इसीतरह कई वर्ष दक्षिण-पश्चिमको ओर अवस्थित है। कोई यह कह बीत गये। फिर हिन्दुओंके बलवीर्य सकल लोप नहीं सकता, कि सिकन्दरने जिस नगरपर आक्रमण होनेका उपक्रम बंधा। इब्राहीम खां सुलतान हुए किया, उसका क्या नाम था। पूर्वोक्त टूटे कि लेके थे। उन्होंने सुलतान बनते ही हिन्दुओंको देवपूजा पास अतारी नामक एक गांव है। यह गांव अतारी और उनका शवदाह निवारण करने के लिये आदेश वाले सिखोंका बसाया है। इसीके नामपर टूटे हुए दिया और सन् १४०० ई० में हिन्दुओंपर कर किले को लोग अतारी नामसे पुकारते हैं। लगाया। निःसहाय हिन्दू क्रमसे जौनपुर छोड़ने अताल-मसजिद-युक्तप्रदेश-जौनपुरको बड़ी लगे। इसके बाद सुलतानने अताल, विजयमन्दल मसजिद। इसको बगलमें ही प्रसिद्ध अतालदेवीका और चचकपुरके देवमन्दिर तोड़ उनके स्थानमें मस- मन्दिर था, जिसे तुड़वाके इब्राहीम शाहने यह मसजिद जिद बनाने का आदेश दिया। बनवाई। अतालदेवीका मन्दिर विख्यात राठोरराज | अतालीक़ (अ० पु.) १ शिक्षक, अध्यापक, गुरु, जयचन्द्र द्वारा स्थापित कराया गया। कहते हैं, उस्ताद, माष्टर । २ ईरानका राजवंश-विशेष। इस कि मन्दिर विक्रमीय १४१६ संवत्में प्रस्तुत हुआ था। वंशके राजाओंने सन् ११४८ ई०से सन् १२६४ किन्तु यह बात मानी नहीं जा सकती, क्योंकि जय ई० तक राजत्व किया। शेख शादौने इसौ वंशक चन्द्रका राजत्वकाल विक्रमीय १२३२ सवत् नि रित किसी राजाके नामपर अपनी जगविख्यात पुस्तक हुआ है। इसलिये इसमें कोई सन्देह नहीं, कि गुलिस्तां उत्सर्ग की थी। अतालदेवीका मन्दिर प्रायः उसी समय बनाया अति (सं० अ०) अत-इ। प्रशंसा, आधिक्य, प्रकर्ष, गया था। मुसलमान-इतिहासवेत्ता खैरुद्दीन 'अताल- लङ्घन, अतिशय, क्रान्त, पूजन, असम्भावना, मसजिद' और अतालमन्दिरके सम्बन्धमें जो लिख गये असम्पति। “अतिशब्दः प्रशंसायां प्रकर्षे लङ्घनेऽपि च। नितान्ता- हैं, वह संक्षेपसे नीचे अनुवाद किया जाता है, सम्पतिक्षेपवाचकोप्ये ऽष दर्शितः।' ( मेदिनी) दुर्गादासने मुग्ध- एक दिन फ़ीरोज़ शाहने पहाड़की चोटी पर चढ़ बोधको टोकामें अति शब्दका इसतरह अर्थ किया पास ही अतालदेवीका मन्दिर देखा। इससे पहले है,-अतिशय क्रान्तिपूजनासम्भावनेषु । अति शब्द बाईस प्रादि उन्होंने 'करार-वीर' नामक देवमन्दिर तोड़ा था, अब उपसर्गोंके अन्तर्गत एक उपसर्ग है ; किन्तु अतिक्रम मुसलमान धर्मको दुहाई फेर अतालदेवीका मन्दिर अर्थ बतानेसे अति शब्दको उपसर्ग संज्ञा नहीं होती। तोड़नेको अनुमति दी। उनके आदमी कुदाल, अतिउक्ति (स-अत्युक्ति) अत्यु क्ति देखो। बेलचे आदि ले मन्दिर तोड़नेको रवाना हुए। किन्तु अतिकटु (सं० वि०) निहायत कडू। उस समय भी हिन्दू अधिक होनबल हुए न थे। अतिकठोर (सं० त्रि०) बहुत कड़ा। पासके स्थानोंसे हिन्दुओंने आकर फ़ौरोजके आदमियों- अतिकण्ट, अतिकण्टक (सं० पु.) लघुगोक्षुर, को भगा दिया। फौरोज़ने इससे बहुत रागान्वित छोटीगोखुरू। हो हिन्दुओंके विनाश करनेका हुक्म सुनाया। दोनो अतिकथ (सं० त्रि०) अतिक्रान्तः कथाम् । १ कहने- दलोंमें भयानक युद्ध हुआ। घायलोंके खू नसे गोमती के अयोग्य । २ अश्रद्धेय। ३ नष्ट । ४ नष्टधर्म। नदी लाल पड़ गई। मुसलमान उस युद्धमें पराजित अतिकथा (स० स्त्री०) अत्युत्कटा कथा, व्यर्थ- हुए। इसके बाद बादशाहने हिन्दुओंका क्रोध शान्त वाक्य, अत्युत्कटवर्णन, डोंग। करनेके लिये हिन्दू सरदारोंको निमन्त्रण देकर बुलाया अतिकन्दक (सं० पु.) अतिरिक्तः कन्दो यस्य । हस्ति- और उनसे सन्धि कर ली। बादशाहने यह भी कन्द वक्ष।