पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२५६

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२५० अतिकर्षण [-अतिक्रम अतिकर्षण (स. त्रि.) अत्यन्त कर्षति, कृष-त्यु ट् । डाला। इसके कटे मुण्डने भूमिपर गिर रामनामको १ अत्यन्ततापदायक। २ अत्यन्त आकर्षक, खूब उच्चारण किया था। खींचनेवाला। अतिकारक (स० त्रि०) अति करनेवाला, अतिकल्पम् (सं० अव्य.) बहुत जल्द, बड़े तड़के । ज़ालिम। अतिकश (स. त्रि.) अतिक्रान्तः कशम्, कशाघात- | अतिकाल (सं० पु०) देर, विलम्ब, असमय । मुल्लङ्घय स्वच्छानुसारेण प्रवृत्तत्वात् । दुष्ट, जो अतिकुत्सित (सं० त्रि०) अतिनिन्दित, निहायत खराब । घोड़ा चाबुक मारनेसे भी दमन न किया जाय, अतिकुल्व (सं० त्रि०) अतिकुल राशिकरण व ऐबी, बदजात, बदमाश, सरकश, सौनेजोर, कित्। अतिशय लोमयुक्त, बालदार, जिसके बहुत पाजी, उद्दण्ड । बाल हों। अतिकान्त (सं० वि०) निहायत प्यारा। अतिकच्छ (सं० पु०) अतिक्रान्त कृच्छ प्राजापत्यं, अतिकाय (सं० वि०) अत्युत्कट: कायो यस्य । तदधिककष्टसाध्यत्वात् ; अत्यादि-तत्पुरुष । १ हादश १ विकटाकार देह, जिसका शरीर प्रकाण्ड हो, दीर्घ रात्रसाध्य कठिन प्रायश्चित्त विशेष। वह व्रत, जिसमें काय, मोटा, स्थूल, लम्बा-चौड़ा, भयानक । (पु.) पहले दिन सवेरे, दूसरे दिन सन्ध्याको, और तीसरे २ लङ्काधिप रावणका एक पुत्र, जो धन्यमालिनी दिन बिना मांग मिला हुआ, किसी समय एक ग्रास निशाचरीके गर्भसे उत्पन्न हुआ था। यह बलवीर्यमें खाकर लोग रहते, और इसके बाद फिर तीन दिन रावणसदृश, वृद्धसेवी, श्रुतिधर एवं पारदर्शी, याना कुछ नहीं खाते हैं। २ बड़ा कष्ट, महासङ्कट । रोहणमें विशेष पटु, धनुष-कर्षणमें अद्वितीय, खङ्ग अतिकृत (सं० त्रि.) मर्यादातिक्रमेण कृतम्, प्रयोगमें विलक्षण रूपसे निपुण और सामदानदण्डभेद अत्या०-तत्। मर्यादातिक्रम द्वारा किया हुआ, विषय, नीतिशास्त्र, मन्त्रकार्य आदिमें बहुत चतुर था। जो काम मादासे बाहर किया गया हो। अतिकायने तपस्या द्वारा ब्रह्माको सन्तुष्टकर, बहुत अतिकृति (सं० स्त्री०) मयादातिक्रमेण कृतिः, दिव्यास्त्र पाये। ब्रह्माने वर दिया था, कि इसे देव अति-क्क-क्तिन् ; अत्या-तत् । १ मादातिक्रम द्वारा और असुर मार न सकेंगे। इस महावीरने वाणवर्षण करण। पचीस अक्षरों का एक छन्दोविशेष । २५ द्वारा इन्द्रका वजास्त्र और वरुणका पाश प्रतिहत कर अतिकृतौ। ३३५५४४३२ । क्रौञ्चपदा-भूमौ स्भौ ननना दिया था। यह दशाननके आदेशसे रामके साथ युद्ध नगाविषु-शरवसुमुनि-विरतिरिह भवेत्। (वृत्तरबाकर ) सुन्दरी, करने पहुंचा। इसका प्रकाण्ड शरीर देख वानर डरसे सवैया और क्रौञ्च छन्द अतिकृति होमें गिने चारो ओर भागनेपर बाध्य हुए। रामचन्द्रने भी रथपर बैठे अतिकायको देख, विभीषणसे आश्चर्यके अतिकष (सं० त्रि०) बहुत दुर्बल । साथ इसका परिचय पूछा। इसने लक्ष्मणके साथ अतिकृष्ण (सं० त्रि.) निहायत काला । युद्ध में विलक्षण रणनैपुण्य दिखाया था। लक्ष्मणने अतिकेशर (सं० पु.) अतिरिक्तानि केशानि यस्य, पवनदेवके वाक्यसे ब्रह्मास्त्र द्वारा इसको वध किया। बहुव्री० । कुजवृक्ष, टेढ़ा पेड़। ( रामायण युद्धकाण्ड ५१ सर्ग ) कितने ही लोग कहते हैं, कि अतिक्रम (सं० पु०) अति-क्रम-घञ्। नोदात्तोप- अतिकाय राक्षसरूपी एक वैष्णव था। रामको इष्ट देशस्येति, न वृद्धिः, अत्या-तत् । १ उपात्यय, पर्यय, देवता समझ उनसे लड़ने के लिये असम्मत हुआ और अपराध, उलटा व्यवहार, नियमका उल्लङ्घन । रावणको सौताके वापस दे देनेका उपदेश दिया ; पर्ययोऽतिक्रमस्तस्मिन्नतिपात उपात्ययः इत्यमरः)। रावणके क्रुद्ध हो, ताड़ना करनेसे यह लड़ने गया था। पादविक्षेपे ल्युट भावे। (क्लो०) २ अतिक्रमण । पौछे लक्ष्मणने अईचन्द्र वाणसे इसका मस्तक काट (त्रि०)अति-क्रम्-त । ३ अतिक्रान्त,। (स्त्री०) अति- 1 जाते हैं। अति-क्रम