पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२६

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२४ अकबर 1 बीता और सर्दारोंके उपद्रवसे वह कभी निश्चिन्त न रह सके। इसी कारणसे इतने बड़े धार्मिक सम्राट्का जीवनभी युद्ध-विग्रहमें ही बीत गया। राज्याभिषेकके उपरान्त इन्होंने पठानराज सिक- न्दरको पराजित किया। इसी समय बदख्शांके शासन- कर्ता सुलेमानने काबुलपर आक्रमण किया और हिमू- ने दिल्लीपर अधिकार जमा लिया। अन्तमें अकबरसे लड़ाई हुई। युद्धमें सुलेमान हारा और उसने अक बरकी अधीनता स्वीकार कर ली। हिमू भी पकड़ा जाकरमारा गया। सन् १५७४ ईस्वीमें बङ्गालका शासन- कर्ता दाऊद विद्रोही हो गया। इस समय मानसिंह सेनापति थे। उन्होंने पठानोंको हराकर उड़ीसापर अपना अधिकार जमाया। इसी तरह एक-एक युद्ध में अकबरके कितनेही प्रदेश हाथ लगते गये। कुछ दिन उपरान्तही बहुत दूरतक अकबरका साम्राज्य फैल गया। पूर्व में बङ्गाल और आसाम, दक्षिणमें अहमद- नगर, मध्यमें राजपूतानाके कितनेही स्थान, और पश्चिममें काबुल और कन्धार। प्रसिद्ध आईन-इ-अकबरीमें अकबरके जीवनका पूरा-पूरा खाका खिंचा है। अबुलफज़लने यह पुस्तक लिखी थी। ऐसा कोईभी विषय नहीं है, जो इस पुस्तकमें दिखाई न देता हो। कूट राजनीतिसे लेकर ताश खेलने और चिड़िया पालनतकका हाल लिखा हुआ है। अकबरको प्रकृति कैसी थी ; वे किस तरह राज्य करते थे, राज्यकार्यके समझने में उनकी कितनी गति थी, ५१ वर्षमें उन्होंने राज्यमें कितनी उन्नति की इसका पूरा हाल आईन-इ-अकबरीमें मिलता है। दया, क्षमा और समदर्शिताके कारणही जन- समाजमें अकबरका इतना आदर है। उनको दृष्टिमें हिन्दू-मुसलमान और कृस्तान समान थे। वे ब्राह्मणों- से वेद सुनते थे, कस्तानोंसे बाइबलका अर्थ समझते थे, और मुसलमानोंसे कुरान पढ़ते थे। परन्तु उनके मतसे इन तीनोमें भेद न मानते थे। धर्ममात्रही उनका आदरका समान था। राजाओंमें ऐसे गुण बहुत कम पाये जाते हैं। उनकी इस दया और इतनी क्षमाको देखकरही प्रजा उनका बहुत आदर करतो- थी। अकबरसे पहिलेके बादशाह कृषकोंसे नवछावर लेते थे। लड़ाई प्रारम्भ होनपर मजदूरों को पकड़कर युद्ध में भेजते थे और व्यवसायक पदार्थोंस भी कर वसूल करते थे; परन्तु अकबरने शासन-दण्ड अपने हाथ में लेतही इन कुप्रथाओंको उठा दिया। अकबरको आठ बैगर्म थीं। (१) मुल्ताना रजिया बेगम। ये पहिलो बगम और पटरानी थीं। ये मिर्जा हिन्दालको कन्या थीं। इनके कोई लड़का-बाला न हुआ ; ये शाहजहाँका लालन-पालन बड़े प्यारस करती थीं। (२) सुल्ताना मलोमा बंगम । पहिले यह बहरामखाँकी पत्नी थी। बहरामको मृत्यके पश्चात् अकबरने इससे विवाह किया। इसमें कविता करने को अच्छि शक्ति थी। (३) राजा विहारीमलको कन्या। इसके भाईका नाम राजा भगवान्दाम था। (8) अब्द लबासीको स्त्री। (५) जोधा बाई। ये जोधपुरको राजकुमारी थीं। जहांगीरने इनकं गर्भमे ही जन्म लिया था। (६) बीबी दौलतशाह। (७) अब्द लाखां मुग़लको कन्या । (८) मौरान मुबारकशाहकी कन्या । विवाहके सम्बधमें अकबरनं एकबार कहा था,- “यदि इस समयक समानही मरो चित्तत्ति पहिले भी होती, तो शायद मैं विवाह न करता। किससे विवाह करता? जो मुझमे अवस्थामं बड़ी हैं, उनको मैं माताको दृष्टिमे देखता है। जिनको अवस्था छोटी है, वे मरो कन्याक समान हैं, और जो समान अवस्थाको स्त्रियां हैं, उन्हें मैं अपनी बहिन जानता । बहुविवाह क्या पदार्थ है ? मनुष्यको बहुविवाह करना चाहिये या नहीं इस बातका विचार भौ सदा हृदयम उठा करता है। परन्तु मैं इसको ठीक-ठोक मीमांसा नहीं कर सकता। हाँ, निकाहको अपेक्षा विवाह अच्छा है।" अकबर बाल्य विवाहक विरोधी थे। छोटो अवस्थामें विवाह होनस छोटी अवस्थाको वर-वधूकी औरस-जात सन्तान दुर्बल और सदा रोगी रहती है। अकबरके पांच पुत्र और तीन कन्याओंका हाल मिलता है। हसन और हुसेन ये दोनो युवक पैदा हुए थे। ये दोनो एक महिनेतक ही जीवित रहकर