पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२६८

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२६२ अतिरोधान-अतिवाहक अतिरोधान (सं० पु०) १ तिरोधानका अभाव, प्रकाश, यह पांच ग्रह। (त्रि.) २ अत्यन्त कुटिल, निहायत व्यवधानाभाव, बेपर्दगी। (त्रि०) २ अतिरोहित, टेढ़ा। (स्त्री० ) अतिवक्रा, बुधको चार गतियों में प्रकाशित, रोशन, जाहिर, खुला। वह गति, जो एक राशियर चौबीस घण्टे रहती अतिरोमश, अतिलोमश (सं० पु०) १ वन्य या जङ्गली और जिसका फल धननाश करना बताया जाता है। बकरा। २ बड़ा बन्दर। (त्रि०) ३ अत्यन्त रोमयुक्त, अतिवयस् (सं० वि०) अतिक्रान्तं वयः अवस्था निहायत बालदार। (स्त्री०) अतिलोमशा। पक्षिणं वा। १वृद्ध, बुडा। २ पक्षियोंको अतिक्रम अतिरोहण (स० पु०) १ जीवन, जिन्दगी । २ अवस्था, करनेवाला। उमर। ३ बहुत चढ़ना। अतिवर्णाश्रमिन् (सं० पु०) अतिक्रान्तो वर्णा- अतिलक्ष्मी (स. स्त्री०) बहुत धन, अजहद अमिणम् । ब्राह्मणादि वर्ण भिन्न, ब्रह्मचर्यादि दौलत। (त्रि०) २ बहुत धनी, निहायत दौलतमन्द । आश्रम भिन्न अन्याश्रमो, परमात्मज्ञानी, ब्राह्मण अतिलचित, अतिलवन (सं० क्लो०) बड़ा उपवास, आदि वर्णो से अलग, दूसरे आश्रमवाला, जो ब्रह्म- चर्यादि आश्रमसे अलग हो। अजहद फाका। अतिलम्ब (सं.वि.) बहुत लम्बा । अतिवर्तन (सं० पु०) १ अतिरेक, कसरत । (त्रि०) अतिलम्बी (सं० स्त्री०) शताह्वा, शतावर । २ अतीतजीवनोपाय। ३ जो सवारी डण्डेपर चले। अतिलिहा (स.त्रि.) एक प्राकृत छन्द, जिसमें चार बहंगी आदि। पद होते और जिसके प्रत्येक पदमें सोलह मात्रायें अतिवर्तिन् (सं० त्रि०) अतीत्य वर्त्तते । १ अग्र- रहती हैं। गामी, आगे जानेवाला। २ अतिशय, कसीर । अतिलुब्ध, अतिलोभ (स• त्रि.) बहुत लोभी, अतिवर्तुल (सं० पु० ) अतिशयितो वर्तुलः। १ हदसे निहायत लालच करनेवाला । ज्यादा गोल चौज। (त्रि.) २ अतिशय वर्तुल, अतिलुलित (स. त्रि.) अतिलुण्ठित, निकटस्थ, निहायत गोल। सम्बन्धवाला। अतिवात (सं० पु.) आंधी, तूफान । अतिलोभता (सं० स्त्री०) बड़ा लोभ, अजहद, अतिवाद (सं० पु.) १ परुषवाक्य, निष्ठुर वाक्य । २ अत्युक्ति, डींग। ३ अप्रिय वाक्य, कड़ी बात, लगनी अतिलोम, अतिलोमश (सं० त्रि.) निहायत बात। ४ बक-बक। बालदार। अतिवादिन् (सं० त्रि०) सर्वानतिक्रम्य वदतीति । अतिलोमशा (स'. स्त्री०) नौलबुला। १ जो सबके ऊपर बोले और सबको बात काटके अतिलोहित (सं० वि०) बहुत लाल, निहायत अपना पक्ष समर्थन करे। २ सच बोलनेवाला, खरी कहैया। ३ बढ़कर बात करनेवाला, शेखीबाज, अतिलोहितगन्ध (सं० पु.) १ दमनक वृक्ष, दोना। डींगिया, बक्को। २ मरुवा। अतिवास (सं० पु०) श्राद्धकरनेसे पहले दैनिक अतिलौल्य (सं० ली.) बहुत चञ्चलता। उपवास। अतिवक्त (सं० त्रि.) बहुत बोलनेवाला, बड़ अतिवाह (सं० पु०) अतीत्य देहं देहान्तरे वाहं बड़िया ; फजू लगो। गमनम् । अतियापन, सूक्ष्म शरीरविशिष्ट जीवात्माको अतिवक्र (सं० पु.) अतिशयितो वक्रः । देहान्तरप्राप्ति, सूक्ष्म शरीरवाले जीवात्माका दूसरे सातवें और आठवें घरमें रहनेसे पहली चालसे हटके शरीरमें प्रवेश। पीछे जानेवाले मङ्गल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि अतिवाहक (सं० पु.) अतीत्यैनं देहं वाहयति - लालच । सुर्ख । १ सूर्यके