पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२७०

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अतिहित-अतिवृष्टि ज्वर, आमातिसार, काश, विषदोष और छर्दिको। अतिवृत्ति (स० स्त्री०) १ आगे निकल जाना, नाश करनेवाला है। आजकलके चिकित्सक इसे सबकत। २ बढ़ाया हुआ अर्थ या मानी। पुष्टिकर और ज्वरनाशक बताते हैं। वत्सनाभ या अतिवृद्धि (सं० स्त्री०) अधिक बढ़ती, हैरतअङ्गेज विषाक्त द्रव्यके अभावमें इसे अनायास प्रयोग कर तरको। सकते हैं। दुर्बलकारी रोगादिको उपशमावस्था, अतिवृष्टि ( स० स्त्री० ) अत्यन्त वर्षण, अतिशय बारी-बारी आनेवाले और विरामशील ज्वरको वृष्टि। शस्यकी हानिकरनेवाली छः ईतियों यानी आक्रमणावस्थामें अतीसको जड़ एक अमोघ उत्पातोंमें अतिवृष्टि भी एक ईति गिनी जाती है। औषध है। छः ईतियां यह हैं,- डाकर हेमिङ्गने ४०० रोगियोंपर प्रयोगकर "अतिवृष्टिरनावृष्टिः शलभाः मुषिकाः खगाः । प्रमाणित किया है, कि अतीस वास्तवमें बारी-बारी प्रत्यासन्नाच राजानः षडते ईतयः सा ता: ॥" निवाले ज्वरके लिये विशेष उपकारी है। फ़र्वेश अतिवृष्टि, अनावृष्टि, शलभा यानी टोड़ी-दल, बाटसनका कहना है, कि भारतवर्षीयोंको बारो-बारी चूहा, पक्षी और फौजके साथ राजाका आगमन यह आनेवाले ज्वरमें यह जैसा लाभ पहुंचाता है, वैसा छः ईतियां कृषिकायके व्याघातकी होते हैं। और किसी भी जातिको नहीं। वालफोर साहब बहुत पुराने समयसे आजतक जो इतिहास पाया दो वर्षसे इसे हमेशा व्यवहार करते रहे। अतीसको जाता है, उसे देखनेसे मालूम होता है, कि हमारे प्रयोग करके उन्होंने लिखा है,- देशमें अतिवृष्टिको अपेक्षा अनावृष्टि ही कृषिको When I mention that for the first three months अधिक रोकती है। लगातार दो वर्ष भी सुवर्षा (from December 1st, 1857) I have not expended होते नहीं देख पड़ती। ऋग्वेदके कितने ही मन्त्रों- one grain of Quinine as a febrifuge, and that my cases have been treated chiefly with Narcotine and Atis, में ऋषियोंने जल बरसाने के लिये ईश्वरसे प्रार्थना की it will, I trust, be allowed that there are valuable है। मार्कण्डेय पुराणके अन्तर्गत जो देवीमाहात्मा remedies ; but they require fair play, and judicious use anl combination." (Indian Annals of Medical Science, है, उसमें भयङ्कर अनावृष्टिको बात लिखी है,- 1858, vol. 7 p. 548.) "भूयश्च शतवार्षिक्या मनावृष्टयामनम्भसि । मूर साहबने लिखा है, कि यह मलेरिया ज्वरके मुनिभिः संस्तुता भूमौ संभविष्याम्ययोनिजा॥" औषधको तरह भी बाजारमें बिकता है। डाकर 'फिर शतवर्षव्यापिनी अनावृष्टिके कारण पृथिवी उदयचाँद दत्तके मतसे यह सिनकोने-जैसा उपकारी जलशून्य होनेपर मुनियोंके तपसे मैं अयोनिसम्भवा और प्रबल है। डा. भोलानाथ वसु इसे बारी-बारी हो, प्रादुर्भूत हुंगो।' आनेवाले सब तरहके ज्वरमें प्रयोग करने के लिये अतिवृष्टि होनेपर बङ्गालो वर्षण दूर करनेके लिये बताते थे। नाना प्रकारके उपाय किया करते थे। आजकल नावा-टानिक या पुष्टिकर औषधको भांति इसे अंगरेजी पढ़नेसे लोगोंका मत और विश्वास बदल रोज तीन बार ५ से १० ग्रेन तक खाना चाहिये। गया है। इसी कारण पहलेका आचार-व्यवहार भी बारी-बारी आनेवाले बुखारमें जड़का चूर्ण तीन-चार कितना ही उठते जाता है। अतिवृष्टि होनेसे उस घण्टे पौछ २० से ३० ग्रेनतक देनेको व्यवस्था है। समयके बङ्गाली गांवके महादेवको स्नान न कराते, अतिहित (सं० त्रि०) दृढ़, मजबूत, पुष्ट, पोढ़ा, प्रतिदिन केवल फूल और बिल्वपत्रसे पूजा कर आते बली, टिकाऊ। थे। जिस गांवके नामसे पीछे पुर रहता था, अतिवृत्त (स० वि०) अतिक्रम्य वर्तते। १ अतिक्रान्त, (जैसे काशीपुर), ऐसे एक सौ आठ गांवोंके नाम अतिशयित। २ उद्दत्त, बहुत गोल । महावरसे तालपत्र या भोजपत्रपर लिखे जाते थे।