पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२९२

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अत्यग्निसोमार्क-अत्यन्तशोणित २८५ अतिक्रा०-तत्। यज्ञविशेष, एक प्रकारका यज्ञ।। अत्यन्तगुणिन् (सं. त्रि.) अतिशय गुणी, अनोखी अग्निष्टोमसे अत्यग्निष्टोम यागका फल अधिक है। सिफत रखनेवाला। अग्निष्टोम देखो। अत्यन्ततिक (सं० त्रि०) अत्यन्तं तेकते गच्छति, अत्यग्निसोमार्क (सं० त्रि.) अग्नि, चन्द्र तथा अत्यन्त-तिक-क । अतिशयगामी, बड़ा ही चलनेवाला। सूर्यसे अधिक देदीप्यमान् ; आग, चांद, और सूरजसे. अत्यन्ततिरस्कृतवाच्यध्वनि (सं० स्त्री०) भाषाको नीच ज्यादा चमकौला। बतानेवाली उपमासम्बन्धीय नियुक्ति । अत्यङ्गुश ( स० पु०) अतिक्रान्तोऽङ्गुशं अङ्कशा घातम्। अत्यन्तनिवृत्ति (स० स्त्री० ) अतिक्रान्ता अन्तं जो हाथी अङ्गुशाघातको अग्राह्य कर अपने इच्छानुसार नाशं अत्यन्ता, सा चासौ निवृत्तिश्चेति; अतिक्रा०- भागता फिर, दुर्दान्त हस्ती, बदमाश हाथौ। तत्, गर्भ कर्मधा० । स्त्रिया: पु'वदित्यादि। पा ६॥३॥३४॥ मोक्षा- अत्यङ्गल (सं० वि०) अतिक्रान्तं अङ्गुलिं तत्परिमाणम् । वस्था, जिस अवस्थामें दुःखका बोध न रहे। अङ्गुलिपरिमाणसे अधिक, अंगुल भरसे ज्यादा। “यस्याभाव: स एव प्रतियोगी।" अत्यद्भुत (स० त्रि.) अत्यन्त आश्चर्यजनक, निहायत जिस वस्तुका अभाव होता, वह वस्तु उसी अपने तअज्ज बअङ्गेज, बहुत ही अनोखा। अभावको प्रतियोगी रहती है। जैसे-'घटका अभाव' अत्यध्व (सं० वि०) अतिक्रान्तं अध्वानम्, क्रान्तादि कहनेसे घट ही उस अभावका प्रतियोगी बन अच् स । उपसर्गादध्वनः । पा ५।४।८५ । १ अतिक्रान्त पथ, जाता है। प्रक्त स्थलमें जिस निवृत्तिके रहनेसे राह लांघे हुए। २ पथ अतिक्रमकारो, राह लांघने स्वप्रतियोगिजातीय अन्य किसी वस्तुको पुनर्वार उत्पत्ति वाला, राहपर न चलनेवाला। नहीं होती, उसीको अत्यन्तनिवृत्ति कहते हैं- अत्यध्वन् (सं० पु०) सुपथन्, सुन्दर पथ ; भली “अथ विविधदुःखात्यन्तनिहत्तिरत्यन्तपुरुषार्थः ।" (सांख्यसूवम् ) राह, अच्छी सड़क। आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक-इन अत्यनिल (सं० पु०) वायुसे बढ़कर द्रव्य, हवासे तीन प्रकारके दुःखोंको निवृत्ति ही पुरुषका अत्यन्त सबकत ले जानेवाली चीज। प्रयोजन है। फिर, इन्हों दुःखोकी निवृत्ति मोक्षा- अत्यन्त (स. क्लौ०) अतिक्रान्तं अन्तं सीमानम्, वस्थामें हुआ करती है। क्योंकि, मोक्षावस्थामें अतिक्रा०-तत् । १ अतिशय, ज़ियादती, बहुतायत । विवेक द्वारा मायाको निवृत्ति होनेसे उसके कार्य (त्रि.)२ अतिरिक्त, अधिक ; बहुत ज्यादा। दुःखादिका समूलीच्छेद हो जाता है। इसलिये ऐसी अत्यन्तकोपन (स० वि०) अत्यन्तं भृशं कुप्यति, अवस्थामें पुनर्वार दुःखोत्पत्ति न होनेसे दुःखको अत्यन्त- अति-कुप-ल्य ट। अतिक्रोधी, अत्यन्तकोपान्वित, निवृत्ति होती है। प्रचण्ड, निहायत गुस्सावर। अत्यन्तपद्मा (सं० वी०) १ कमलिनी। २ कमलसे (स'त्रि.) बहुत चलने या जल्द अच्छा फूल। जाने वाला। अत्यन्तपौड़न (सं० क्लो०) अतिशय लोश पहुंचानेका अत्यन्तगत (स.वि.) अत्यन्त योग्य, निहायत कार्य, निहायत तकलीफ देनेका काम । माक ल, बहुत ही फबता हुआ, बहुत गठा हुआ । अत्यन्तभाव (सं० पु०) चिरकाल . बना रहनेवाला अत्यन्तगति (स'. स्त्री.) अतिशय पूर्णत्व, पूरा भाव, वह भाव जो कभी न मिटे। कमाल, तीव्र गमन। अत्यन्तवासिन् (सं० पु०) सदा गुरुके समीप निवास अत्यन्तगामिन् (सं० वि०) अत्यन्तं अतिशय करनेवाला ब्राह्मण-छात्र, वह ब्राह्मण जो हमेशा गच्छति, गम-णिनि कर्तरि। अतिशय गमनशील, उस्तादके पास शागिर्दको तरह बना रहे। अत्यन्तशोणित (सं० वि०). १ अतिशयरक्त, बहुत अत्यन्तग बड़ा चलनेवाला। ७२