पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३२

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अखण्ड। - बेचैन। अकरी-अकसर अकरी (हि. स्त्री०) हलमें वीज गिरानेके लिये जो अकर्षण (हि. पु०) आकर्षगा दग्दो । पोला बांस रहता है, उसके ऊपरका लकड़ीका चोंगा, अकलङ्ग (सं० त्रि०) १ निष्कलङ्ग । दोषरहित। जिसमें बीज डालते जाते हैं। सिन्धु, पञ्जाब और (पु.) २ एक प्रसिद्ध जैनाचार्य । अफगानस्थानमें उत्पन्न होनेवाला एक प्रकारका अकलङ्कता (सं० स्त्री०) निर्दोषता। मफाई। असगंधका वृक्ष। अकलङ्गित (सं० वि०) निष्कलङ्ग। निर्दोष । अकरुण (सं० वि०) करुणा-शून्य । निर्दय । कठोर । अकल (मं० त्रि०) नास्ति कला अम्य। अंशशून्य। अकर्तव्य (सं० वि०) न करने योग्य । अकरणीय । निष्फल। (हि० वि०) अवयव रहित । (सं० पु०) अनुचित काम । ईश्वरका एक नाम। "व्यापक अकल अनीह अकर्ता (सं० वि०) कर्म न करनेवाला। सांख्य अज निर्गुण नाम न रूप।” तुलमो०। निर्गुणी। शास्त्रके अनुसार अकर्ता उस पुरुषको कहते हैं, जो विकल कम्मोसे निर्लिप्त रहता है। अकल्क, अकल्कन (सं० वि० ) नास्ति कल्कनम् दन्तो. अकर्तृक (सं० पु०) बिना कर्त्ताका। जिसका कोई यस्य बहुव्रीहि। शठता-शून्य। दन्त-रहित ।। कर्ता न हो। कृदाधारार्किकलिभ्य कः । उण ३।४० कल्कः पापाशये अकत्तृभाव (सं० पु०) कर्मसे पार्थक्य । कुछ न करनेका पापे दम्भे विट किट्टयोरपि। कलि-क कल्क। भाव। अकल्का (सं० स्त्री०) नास्ति कल्को मानिन्यम् यस्याः । अकर्म (सं० पु०) न करने योग्य कार्य । दुष्कर्म। बुरा ज्योत्स्ना। मलशुन्या नद्यादि । काम । कर्मका अभाव। अकलखुरा (हि० वि०) अकेला खानेवाला। स्वार्थी, अकर्मक (सं० पु०) व्याकरणके अनुसार क्रियाके दो लालची। डाही। भेदीमसे एक भेद। अकर्मक क्रियामें कर्मको आव अकलबर (हि. पु०) अकवार देखी । श्यकता नहीं पड़ती। इसका कार्य कर्त्तातक हो अकलवीर (हि० पु०) भांगको तरहका एक पौधाा समाप्त हो जाता है। जैसे-राम नहाता है। यहां जो हिमालयपर कश्मीरमै नेपालतक उत्पन्न होता “नहाता है" अकर्मक क्रिया है। है। इसकी जड़ रेशमपर पीला रंग चढ़ानेके काम अकर्मण्य (सं० त्रि०) न कर्मन् यत् । न कर्मणा आती है। सम्पद्यते। अशरीर (इति काशिका) * कमवेषाद्यत् अकल्पित (सं० वि०) न कल्पितम् । जो काल्पनिक पा ५।३।१०। हतीया समर्थनमें सम्पादन विषयमै न हो। अकृत्रिम। अरचित । (स्त्री०) अकल्पिता। कर्म और वेष शब्दके उत्तर यत् प्रत्यय होता है। अकल्मष (सं० वि०) पाप-रहित । निर्दोष। निर्विकार। वेष, कृत्रिम आकार ; वेष्य, नट | * । तत्र साधुः । पा अकल्य (सं० त्रि०) न कला-यत् । न कलासु आरोग्येषु ४।४।०८। न कर्मणि साधु। कार्यक्षम। कम्मके साधुः । नञ्तत् । रोगी। अयोग्य । (हि. वि.) बेकाम। निकम्मा। आलसो। अकल्याण (सं० क्ली,हि पु०) अमङ्गन। अशुभ । अहित। अकर्मा (हि. वि.) काम करनेवाला। अकष्टवद्ध (सं० वि०) नास्ति कष्टं रुक्मतिदुःमहं यस्मात् तेन वद्धं आक्रान्तं । अत्यन्त कष्टयुक्त। अकर्मान्वित (सं० त्रि०) अकर्म-अन्वित। दुष्कर्मशील । अकस (अ० पु०) १ वैर, शत्रुता। २ द्वेष । ३ विरोध । ४ अदावत। ५ लाग। ६ बुरी उत्तेजना। अकर्मिणी (हि. स्त्री०) पाप करनेवाली। पापिन। अकसना (हि० क्रि०) वैर करना, शत्रुता करना। अकर्मी (हि. पु०, सं० अकर्मिन् ) बुरा काम करने अकसर (अ० वि०) १ अधिकतर। २ बहुधा। वाला। पापौ। दुष्कर्मी। स्त्री० अकर्मिणी। ३ विशेषकरके। न बेकाम। अयोग्य ।