पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३२५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

आई है। अदर्शनपथ—अदला अदर्शनपथ (सं० क्लो०) मार्ग जो दृष्टिको पहुंचसे अदलसिंह-पुरनियाके एक सहकारो शासनकर्ता। बाहर हो, न देखी जानेवाली राह। जिस समय मीर जाफर बङ्गालके नवाब बन समुदय अदर्शनीय (सं० त्रि०) १ अगोचर, अदृश्य, आंखसे हिन्दूकर्मचारियोंका धनापहरण और अपनी क्रूर न देखा जानेवाला। (क्लो०) २ अदृश्य स्थिति, न प्रवृत्ति चरितार्थ करते, उस समय यह पुरनियेके देखी जानेवाली हालत। सहकारी शासनकर्ता थे। मौर जाफरके मेदिनीपुर- अदल (सं० पु०) न दलः । १ समुद्र-फल। यह वाले शासनकर्ता राजा रामसिंहके भाई कैद पौधा मंझोले कदका होता और सदा हरा-भरा होनेपर इन्होंने मन्त्रियों के परामर्शानुसार नवाबके बना रहता है। इसे हिमालयके नीचे यमुना नदौसे विपक्षमें अस्वधारण किया था, किन्तु क्लाइवको चेष्टासे पूर्वको ओर अवध, बङ्गाल, मध्य-भारत, दाक्षिणात्य नवाब और अदलसिंह दोनो शान्त हो गये। और ब्रह्ममें पाते हैं। यह सिंहल और सिङ्गापुरसे अदला ( स० स्त्री०) घृतकुमारी, घोकुवार। यह मलय और उत्तर-पश्चिम अष्ट्रेलिया तक फैल गया है। पौधा कई प्रकारका होता है। समग्र भारतमें इसको बङ्गालमें इसकी उत्पत्ति अधिक है। ब्रह्म-पंगू और कृषि को जाती है। यह उत्तर-अफ्रिकाका अधिवासो टेनासेरिमके दलदलवाले जङ्गलोंमें यह साधारणतः है। बहुत समयसे पश्चिम-भारतीय-हौप जमैका, मिलता, बम्बई और कनाड़ाके नदीतटों तथा आर्द्र अण्टीगुआ और बरबडोज़में इसको खेती होते स्थानों में भी देख पड़ता है। सम्भवतः इन स्थानों में यह कनेरी होपोंसे ब्रह्मदेशमें इसके बकलेसे चमड़ा रंगा जाता है। पहुंचाया गया है। इसका पत्ता और फल देशी औषधोंमें डालते हैं। इसको शाखा छोटो और पतली होती है। घनी इसको जड़ कटु होती और सिनकोने-जैसा गुण रखती पत्तियां तलवार-जैसी देख पड़तो, जो डेढ़से दो फोट- है। इसे शीतल और रेचक भी बताते हैं। वौज उष्ण तक मध्यमें चौड़ी और सिरेपर कुन्द-पतली होती हैं। और शुष्क होता, पेटको पौड़ामें सूचनेके काम आता इस पौधको खेती आसानीसे होती तथा यह और आंखें आनेसे भी सुंघाया जाता है। समुद्र-फल निहायत सूखी ज़मीनमें उग आता है। इसका कुछ-कुछ सुगन्धित, अत्यन्त कटु, उष्ण, उत्तेजक और कडुआ रस ठोक झिलोके नीचे रखे बरतनोंमें भर वमनोत्पादक है। वमन करानेको समुद्र-फल जलमें जाता । जब पत्तो जड़के समीप काटी जाती है, रगड़कर पिलाते हैं। इसके गूदेका चूर्ण, सागूदाना और तब रस हाथ नहीं लगना। पहले रसमें कोई रङ्ग घौके साथ पकाकर अतिसारमें खिलाया जाता है। नहीं रहता, किन्तु हवा पाते हो वह भूरा दिखाई शिरःपौड़ा मिटाने को भी समुद्र-फलका चूर्ण सूघते हैं। देता है। सालको फसल और जिन पत्तियोंसे रस इसको लकड़ी सफेद चमकीली, कड़ी मुलायम खिंचता, उनको अवस्था अनुसार उसका कार्य बदल और टिकाऊ होती है। फिर भी, साधारणतः यह जाता । बारबेडोज़में फाला न और चैत्रके दिनों किसी काम नहीं आती। मट्टीमें गाड़ देनेसे लकड़ी प्रति वर्ष इसकी पत्ती कटती, जहां इसकी खेती काली पड़ जाती है। इसे लोग नाव, गाड़ी और नियमानुसार होती है। सबसे अच्छी घृतकुमारी अलमारो बनाने में व्यवहार करते हैं। वह है, जिसकी पत्तीस स्वभावतः रस निकल आये। २ घृत, घो। (अ० पु०) ३ न्याय, इनसाफ़ ; क्योंकि पत्तीपर ऊपरौ दबाव पड़नेसे रसमें खराब फसला, विचार। (त्रि०) ४ पत्रशून्य, विना पत्तेका पानी मिलकर प्रथम दृष्यका गुण न्यून कर ५ विना सैन्य, जिसके पास फौज न हो। देता है। मादा रस सुखानेको सूर्यको रश्मि सबसे अदल-बदल (हिं० पु०) परिवर्तन, तबदीली; अच्छा उपाय है, दूसरी गर्मी पहुंचानेसे द्रव्य बिगड़ हेर-फेर, उलट-पलट । जाता है।