पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३४३

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अदेवक-अड्डा ३ वाला, धर्महीन। अदबक (सं० त्रि.) देवतासे सम्बन्ध न रखने | अदेस (हिं०) आर्दश देखो। वाला, जो देवताके लिये न रखा गया हो। अदेह (सं० त्रि०) १ शरीररहित, वैजिस्म । (पु.), अदेवता (सं० स्त्री०) जो देवी न हो, निशाचरी। २ कामदेव, पञ्चवाण । अदेवत्र (सं० त्रि०) न देवान् त्रायते प्रोणाति अनेन, अदैव (स० लो०) न देव वैश्वद विक श्राद्धम्, बैक करणे। देवताओंको असन्तुष्ट करनेवाला, नत्र-तत् अभावार्थे । वैश्वद विक थाइभिन्न अन्य जिससे फरिश्ते नाराज हो जायें। श्राद्ध, नित्यथाद्ध। (त्रि०) नास्ति देवं वैश्वदेविक अदेवमादक (सं० पु०) न देवमाटकः, नज-तत् । श्राद्धमत्र, बहुव्री। २ वैखदेविक श्राद्धशून्य । देवमालक-भिन्न देश, नदीमाटक देश, वह मुल्क दुर्भाग्ययुक्त। जिसमें खेती दरयाक पानीसे सींची जाये। अदोख (हिं.) अदोष देखो। अदेवयत् (वै० वि०) देवताओंसे अश्रद्धा रखने- अदोखिल (हिं० वि०) १ दोषरहित, बैऐब। २ निष्कलङ्क, जो बदनाम न हो। अदेवयु (वै० त्रि०) न देवं याति प्राप्नोति, देव- अदोग्ध (स० वि०) दूध न देनेवाली। या-कु। देवयुधानिकः, इति उज्ज्वलदत्तः। अधार्मिक, देवता- अदोमद (वै० वि०) क्लेश न देनेवाला, जो तक- को न पानेवाला। लीफ न पहुंचाये। अदेवराजा-तुलुब, अन्ध या तेलिङ्गका राजगण। इन अदोष (सं० पु०) न दोषः, नत्र-तत् अभावार्थे । राजाओंमें प्रतापरुद्रका राजकाल सन् ११६२ ई० १ दुरदृष्ट साधनका अभाव, ऐबका न होना। (त्रि.) था। इनसे पहले उन्नीस अदेव राजाने तीन सो नास्ति दोषो यस्य यत्र वा। २ दोषशून्य, बेऐब। साठ (३६० ) वत्सर (२१११) राजत्व किया, ३ निरपराध, बेगुनाह। ४ पापरहित, इज़ाबसे अट्ठारह जन अन्धवंशोद्भव होनेसे अनुमित हुए थे। बाहर। इनमें श्रीरङ्गने सन् ८०० ई के समय सिंहासनको अदोस (हिं०) प्रदोष देखो। STTHT WETEI Prinsep's Indian Antiquities, p. 278. अदोह (सं० पु०) दूध न निकलनेका समय, वह अदेवघ्नी (वै० स्त्री०) अपने देवर या ननदोईको वक्त जिसमें दूध दूहा न जाये। नष्ट न करनेवाली स्त्री। अदौरी (हिं. स्त्री०) उड़दकी सूखी हुई बरी, अदेश (सं० पु०) न देशः, नञ्-तत् । मन्ददेश, मिथौरी। अयोग्य स्थान, म्लेच्छदेश, बुरा मुल्क। अदेशमें श्राद्ध अद्ग (सं० पु०) अद्यते देवैः, अद-गन् कर्मणि । तर्पणादि दैवक्रिया न करना चाहिये। स्मृतिमें गन् गम्यद्योः। उण् १।१२० । पुरोडाश, होमके उपयुक्त लिखा है,-"नादेश तर्पणं कुर्यात् न सन्धयां नापि पूजनम् ।” कठिन वस्तु चरु आदि। प्रदेशकाल (सं० लो०) अयोग्य देश और समय, “होमं यत् कठिन ट्रव्य पुरोडाशः स उचाते।” ( उज्ज्वलदत्त ) बुरा मुल्क और ज़माना। अद्ध-अई देखो। अदेशज (सं० त्रि.) कुत्सित देशमें उत्पन्न हुआ, अदरज, अध्ययं देखो। जो बुरे मुल्क में पैदा हो। अद्धा (वै० अव्य०) अत्-धा-क्विप्, अत्यते अत् तं अदेशस्थ (सं० त्रि.) १ बुरे देशमें रहनेवाला। सन्ततं गमनं ज्ञानं वा दधाति । (वाच०) १ इस २ अपने देशसे अनुपस्थित । मार्गसे, इसतरह। २ स्पष्ट रूपसे, साफ़-साफ। अदेश्य (सं० त्रि०) आज्ञादेने, मन्त्रणा सुनाने या ३ निःसन्देह, बेशक। ४ अनुमानतः, अन्दाजन । कुछ समझानेके अयोग्य । २ अनुपस्थित, मौकेसे ५ सम्मुखमें, रूबरू । ६ अत्यन्त रूपसे, ज्यादा-ज्यादा । गैरहाज़िर। (हिं० पु०) ७ अईखण्ड, आधा टुकड़ा। ८ पूरी