पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३४५

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३३८ अद्भुतभीमकर्मन्–अड्तोपमा ब्राह्मण भी कहते हैं। कोई-कोई लोग अनुमान सहस्रस्कन्ध स्वयं युद्धस्थलमें पहुंचा और प्रतिबन्दियों- करते, कि षड्विंश-ब्राह्मण और अद्भुतब्राह्मण की अवज्ञाकर एक वाणसे हस्त्यश्वरथादिके साथ परवा ब्राह्मण हैं। सबको अयोध्या में फेंक दिया। केवल राम और अद्भुतभीमकर्मन् (सं० त्रि०) अपूर्व और भयानक कर्म सीता-यही दोनों रणमें रह गये। रामचन्द्र प्रज्ञा- करनेवाला, जो अजीब और खौफनाक काम करे। नावस्था में रथपर पड़े थे। उस समय सीताने असिता अद्भुतरस (सं० पु०) आश्चर्यजनक कविताप्रणाली, अर्थात् कालीमूर्ति रख सहस्रस्कन्धको वध किया। शायरी लिखनेका अजीब ढङ्ग। अद्भुत-रामायणमें अद्भुत प्रकारसे रामसीताका जन्म अद्भुत-रामायण-काव्यविशेष। इसे लोग वाल्मीकिका और अन्यान्य विविध अद्भुत विषय वर्णित हैं। बनाया बताते हैं। इसका दूसरा नाम अद्भुत उत्तर- यद्यपि लोग इसे वाल्मीकिका बनाया बताते हैं, काण्ड है। सब मिलाके इसमें २७ सर्ग विद्यमान तथापि इसकी रचना और भाषा देख यह आदिकवि हैं। सहस्रस्कन्ध रावण-वध इसका प्रधान वर्णनीय वाल्मीकिका बनाया नहीं माना जा सकता। किसी विषय है। दशस्कन्ध वधके बाद रामचन्द्रने आधुनिक कविने इसे बनाया है। अयोध्या में सिंहासनको ग्रहण किया। एक दिन वह अद्भुतमौदुष-ऐक्षाकौके गर्भसे उत्पन्न हुए शूरका राजासनपर आसीन थे, वाममें सौता बैठौ थों। ऐसे नामान्तर। मत्स्यपुराण ४६।१। ही समय सभास्थ मुनि लङ्काविजयको उपलक्षकर अद्भुतरूप (सं० त्रि०) अपूर्व रूपवाला, जिसकी श्रीरामके बलवीर्यको यथेष्ट प्रशंसा करने लगे। शक्ल अजीब हो। सुनते-सुनते जानकी कुछ-कुछ मुसकुरा उठीं। इससे अद्भुतशान्ति–अथर्ववेदका सड़सठवां परिशिष्ट । वक्ता मुनि और रामचन्द्र विशेष क्षुब्ध और ईषत् क्रुद्ध अद्भुतसंकाश (सं० वि०) आश्चर्यवत्, अचम्भे-जैसा, हुए। पीछे हास्यका कारण पूछनेपर सौताने नम्र तअज्जुबके बराबर । भावसे उत्तर दिया,-'बालिकावयसमें जब मैं पिट- अद्भुतसार (सं० पु०) १ खदिरसार, एक अनोखी गृहपर थी, तब पिताने मुझे ब्राह्मणसेवामें लगाया २ एक पुस्तक जिसमें आश्चर्यके तत्त्वका वर्णन था। किसी दिन एक ब्राह्मणने कुछ रोजके लिये किया गया है। पिताके गृहमें आतिथ्य स्वीकार किया। मैं विशेष | अद्भुतस्वन (सं० पु०) अद्भुतः स्वनः शब्दोऽस्य, बहुव्री । सावधान हो उनको सेवा-शुश्रूषामें लगी रहती थी, १ महादेव, जो अनोखा शब्द करते हैं। जिससे तुष्ट हो उन्होंने गल्पस्थलमें मुझसे सहस्रस्कन्ध २ आश्चर्यशब्द, अजीब आवाज। (त्रि.) अद्भुतः वनो रावणका वृत्तान्त बताया। यह रावण दशाननका नादो यस्य । ३ आश्चर्यशब्दवान्, जिसको आवाज भाई है, जिसको बराबर वीर त्रिभुवनमें दूसरा कोई भी नहीं। यह कथा सुन मैं दशस्कन्ध रावणको वीर | अद्भुतालय (सं० पु० ) अड्डत पदार्थों का न, वह नहीं समझती और इसे विना वध किये मुझे जगह जहां अनोखी चीजें रखी जायें, अजायबखाना। आर्यपुत्रको कोई प्रशंसा नहीं देख पड़ती। इसीसे अद्भुततैनस् (वे० वि० ) निर्दोष, जिसमें कोई दूषण मैं मुसकुराई हूं।' देख न पड़े, बेऐब। अद्भुतोत्तरकाण्ड (सं० लो० ) पुस्तक विशेष । सौताकी बात सुन रामचन्द्रने अपने माता, अडतरामायण देखो। विभीषणादि राक्षस, हनूमान् प्रभृति वानर और अद्भुतोपम (सं० वि०) आश्चर्यवत्.. अचम्भे-जैसा, चतुरङ्ग सेना ले सहस्रस्कन्ध रावणको पराजय तअज्ज बके मानिन्द। करनेके लिये समुद्रपारमें यात्रा को। सोता भी अद्भुतोपमा (सं० पु०) अलङ्कार-विशेष, जिसमें उपमेयके • साथमें मई। पहले सैन्यसे युद्ध हुआ, पोछ । अनोखे गुण उयमानमें कभी न मिलें। जैसे,- धूप। कर्मधा। अनोखी हो।