पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३४८

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१ अद्रिका-अद्रिसानुजा ३४१ उतरना और पेशाबके गर्म रहने-जैसे प्रमह और , अद्रिनन्दिनी (स स्त्री०) पर्वतकी कन्या, पार्वती पित्तरोगके लक्षणोंको भो वह मिटा देता है। कभी- अद्रिपति (सं० पु०) अद्रोणां पतिः, ६-तत् । पर्व- कभी उससे सोज़ाक बिलकुल अच्छा हो जाता है। तोंका पति, हिमालय । दो वर्षके बालकको एक ही छोटी जड़ यथेष्ट होती है, अद्रिबहस (वै० त्रि०) अ वह इव बहाँऽस्य । तीन वर्षसे छः वर्षतकके बालकको एक बड़ी जड़ या १ पर्वत-जैसा उच्च, पहाड़को बराबर ऊंचा। २ अति- दो छोटी-छोटी जड़ें देते हैं। पुरुषोंको चारसे छ: कठिन, निहायत सखूत। तक छोटी-छोटी या तीनसे पांच तक मोटी-मोटी जड़ें अद्रिबुध्न (वै० त्रि०) अर्बुध्न इव बुध्नोऽस्य। १ अति- खिलाना चाहिये। कानमें दर्द और सूजन होनेसे कठिन, निहायत सख्त । २ पर्वतसे उत्पन्न, जो इसको पत्तौके गर्म अर्क में नमक डालके कानकी पहाड़में पैदा हुआ हो। चारो ओर लगाते हैं। नौलो अपराजिताको जड़ सांप अद्रिभिद (वै० पु.) अद्रि भिनत्ति, भिद्-क्किए । - काटनेसे ज़हरमोहरका काम देती है। १ इन्द्र, जो पर्वतोंको अपने वजसे छेद डालते हैं अद्रिका ( सं० स्त्री० ) धान्यक, धनिया। (त्रि.) २ पर्वतोंको केदनेवाला। २ महानिम्ब। अद्रिभू (सं० स्त्री० ) अद्रौ भवतीति, भू-क्विप् ; अट्रिकीला (स' स्त्री०) अद्रयः कुलाचलाः कोला: ७-तत् । अपराजितालता। अट्रिकौँ देखो। २ पार्वती। शङ्कव इव यस्याः, बहुव्री०।१ भूमि, पृथिवी, जमोन । (त्रि०) ३ पहाड़ी, जो पर्वतपर उत्पन्न हुआ हो। (पु० ) अद्रेः सुमेरो: कोल इव वा। २ विकुम्भ पर्वत । अट्रिमाट (सं० पु०) अद्रिर्मेघस्तज्जलं मिमौते, मा- अट्रिकृतस्थलो (स० स्त्री०) अप्सरा विशेष, एक ढच्। १ मेघजल-निर्माता, बादलमें पानी पैदा परीका नाम। करनेवाला। (त्रि.) २ जिसको माता पर्वत हो। अद्रिछिट् (संपु०) वज, जो पर्वतको छेद डाले। अद्रिमाष (स० पु०) पहाड़ी उड़द । अद्रिज (सं० लो०) अद्रौ पव जायते, जन-ड। अद्रिमूईन् (स० पु०) पर्वतशिखर, पहाड़की चोटी। १ शिलाजतु। २ तुम्बुरु वृक्ष। ३ गेरू। (त्रि०)| अद्रिराज (स० पु.) अद्रीणां राजा, टच स । ४ पर्वतसे उत्पन्न, पहाड़से पैदा। हिमालय, जो सब पर्वतोंका राजा है। अद्रिजतु (सं० लो०) शिलाजतु । अद्रिवत् (वै० पु०) पर्वत या वज्र-जैसा सुसज्जित योद्धा। अद्रिजा. ( स० स्त्री०) १ गिरिराजकन्या, पार्वती। अद्रिवह्नि (सं० पु० ) पहाड़ी आग। २ गङ्गा। ३ सैंहली वृक्ष। (पु.) ४ पर्वतजात अद्रिशय्य (सं० पु० ) महादेव, जो पर्वतपर शयन

दावानल, पहाड़से पैदा हुई आग। ५ सूर्यजात हंस।

करते हैं। ६ रूप, शक्ल। ७ आत्मा, रूह। अद्रिशृङ्ग (स० क्ली० ) पर्वतशिखर, पहाड़की चोटी। अद्रित (वै त्रि०) पत्थरको रगड़से पैदा हुआ। अद्रिषुत (वै० पु.) अद्रिभिः ग्रावभिः सुतः अभिषुतः अद्रितनया (सं० स्त्रो०) अट्रेस्तनया, ६-तत्। १ पार्वती। षत्वम्, ३-तत्। सोम। २ भागीरथी, गङ्गा। ३ तेईस वर्णका छन्द । अद्रिसंहत (सं० पु.) अद्रिभिः ग्रावभिः संहतः अद्रिदुग्ध (वै० पु० ) अद्रिभिावभिर्दुग्धः अभिषुतः, अभिषुतः, ३-तत् । १ सोम । (त्र.) अद्रिरिव संहतं ३-तत्। सोम। कठिनम् । २ अतिकठिन, निहायत कड़ा, पत्थर-जैसा। अद्रिद्रोणि (स त्रि. ) अट्रेोणिरिव। पर्वत-सम्भव अद्रिसानु (वै० त्रि०) पर्वतपर लड़खड़ानेवाला, नदी, पहाड़से निकला दरया। जो पहाड़पर घिसलता रहे। अद्रिद्दिष् (स.पु.) अद्रिभ्यः हेष्टि, विष-क्किए। अद्रिसानुजा (स' स्त्री०) बायमाणा, एक प्रकारका सत्सुविष इत्यादि। पा ६१ । इन्द्र, पर्वतके अञ्जौर। शत्रु ।