पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३६२

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अधसेरा-अधिक ५ प्यारी, पुरधवथै षाम् । पा ५।३।३८ । १ नीचे, तले। ३ पातालमें, । अधारी (हिं० स्त्री०) १ सहारेको चीज़। २ साधु- अधोभागमें । ओंके टेकेका पौढ़ा जो काठके डण्डेमें लगा रहता है। अधसेरा, असेरा (हिं. पु.) आध सेरका बांट, जो ३ सफ़रके सामान डालनेको झोलो। (पु.) ४ नया लोहेका होता है। बैल, जो फेरा न गया हो। (वि०) अधस्तन (सं० त्रि०) अधोभवः, अधस्-ट्यु, तुट् च । सहारा देनेवाली। अधोभव, निम्नगत; नीचेका। अधार्मिक (सं० त्रि०) धर्म चरति आसेवते, धर्म चरति । अधस्तमाम्, अधस्तराम् (सं० अव्य०) अतिशयेन या ४।४।४१ । इति ठक् धार्मिकस्ततो विरोधार्थे नञ्-तत्। अधः, तमप् तरप् प्रामु। किमेत्तिडव्ययधादाम्बट्रव्यप्रक। पापी, बेईमान । पा ५।४।११। अत्यन्त अधोभागमें, बहुत नीचे। अधार्य (स. त्रि०) धारण करनेके अयोग्य, जिसे अधस्तल (सं० लो०) १ किसी वस्तुके नौचेका थाम, ले जा या रख न सकें। स्थान, किसी चीजके नीचेको जगह। २ नोचेका अधावट, अधौटा (हि. वि.) आधा औटा, औटते- कमरा । ३तहखाना। औटते जी आधा गाढ़ा हो जाये। यह विशेषण प्रायः अधस्तात् (सं० अव्य० ) अधर-अस्ताति, अध् आदेशः । दूधके साथ व्यवहार किया जाता है। १ अधोभागमें, नीचे। २ रतिराहमें, ऐशके कमरमें । अधि (सं० पु०) १ आधीयते दुःखमनेन। आधि, अधस्ताद्दिश् (सं० स्त्री०) निम्नप्रदेश, नीचेको मनःपौड़ा, दिलको जलन। संस्कृतमें यह शब्द दुनया। उपसर्गको भांति भी ऊपर और उस ओरका अर्थ अधस्पद (सं० क्लो०) अधोवृत्ति पदम्। निम्नपद, बताने को क्रिया और संज्ञाके साथ लगता है। पैरके नौचेको जगह। अधिक (सं० वि०) अध्यारूढ़ एव, खार्थे कन् अधस्पदम् (सं० अव्य०) पदके अधोभागमें, पैरके उत्तरपदलोपश्च । १ अतिरिक्त, फालतू। २ प्रधान, खास । असाधारण, गैरमामूली। ४ अनेक, कितना अधा (वै. अव्य०) अथ देखो। हो। (पु०) ५ काव्यशास्त्रोक्त अलङ्कार-विशेष,- अधांगा (हिं. पु०) पक्षिविशेष, एक चिड़िया। "महतोर्यन्महीयांसाबाधिताश्रययोः क्रमात् । इसके सारे शरीरका रङ्ग ख़ाकी होता, किन्तु गरदनके आश्रयायिणी स्वाता तनुत्वेऽप्यधिकन्तु तत् ॥ जपरका सम्पूर्ण अंश लाल और तथा पर सुन- आश्रितमाधियम्. पाश्रयस्तदाधारः, तयोर्महतोरपि विषये तदपेचया तनू हला रहता है। अप्याश्रयायियो प्रस्तुतवस्तुप्रकर्ष विवचया यथाक्रमः यत् अधिकतरतां अधाधुन्ध (हिं. क्रि.वि.) भीषण रूपसे, ज़ोर- शोरसे। आधार और आधेयको पहले बड़ा बता, फिर अधाना (हिं. पु०) अस्थायीविशेष, एक तरहका छोटे आधार या आधेयको उससे महत्तर बतानेपर खयाल । इसे तिलवाड़ा तालपर बजाते हैं। अधिक अलङ्कार होता है,- अधामार्ग, अधामार्गव (सं० पु०) न धीयते अधाः “युगान्तकाले प्रतिसंहतात्मनो जगन्ति यस्यां सविकाशमासत् । तादृशं मार्ग वातौति, वा-क ।धामार्गव वृक्ष, अपामार्ग, तनौ ममुस्तत्र न कैटभविषस्तपोधनाभ्यागमसम्भवा मुदः ॥” (माघ १।२३।) azeri (Achyranthes Aspera ) 'प्रलयकालमें जिन्होंने अपने में जीव-सकलको 'अधारणक (सं० त्रि.) साहाय्य करनेके अयोग्य, संहृत कर लिया था, उन्हीं कैटभारि श्रीकृष्णके जिस जो सहारा न दे सके। शरीरमें समस्त जगत् विलीन होनेपर भी स्थान रहा; अधारिया (हिं. पु.) गाडीबानके बैठनेको जगह तपोधन नारदके आगमनसे उत्पन्न आनन्द उसो जो बैलगाडीपर रहती है, मोढ़ा। शरीरमें फिर न समा सका। नीचे। बाज व्रजतः।"