पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३६६

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अधिकारविधि-अधिक्षित् अधिकारविधि (सं० पु.) अधिकार फलखाम्ये । अधिकाथै (सं० त्रि०) एकसे अधिक अर्थ रखने- विधिविधानम्। (वाच०) मीमांसोक्त विधिविशेष, वाला, जिसमें एकसे ज्यादा माने निकलें, बढ़ाकर यह बतानेका कायदा, कि मनुष्य जो कर्म करता, बताया गया, मुबालगा दिया हुआ । उससे कैसा फल निकलता है। मीमांसा-शास्त्रके | अधिकार्थवचन ( स. क्लो०) स्तुति-निन्दाप्रयुक्त अनुसार जो जैसा फल चाहे, वह वैसा ही यज्ञकर अध्यारोपितार्थवचनं अधिकार्थवचनम् । स्तुति किंवा पा सकता है। स्वर्गकामनावालेको अग्निहोत्र और निन्दा द्वारा आरोपित वस्तुके धर्मसे भी अतिरिक्त गुण- राजाको राजसूय यज्ञ करना चाहिये। वचन, तौकीर या हिकारतसे किसी चीज़ को इतनी अधिकारस्थ (सं० त्रि०) न्यायालयमें प्रतिष्ठित, तारीफ़, जितनी काबिलियत उसमें न हो; अतिरिक्त दफ़तरमें मुकरर। स्तुति या निन्दा द्योतक वाक्य, ज्यादा तौकीर या ‘अधिकाराव्य (स. त्रि०) क्षमता सम्पन्न, इखतियार हिकारत ज़ाहिर करनेवाला फिकरा। जैसे-तृण वाला। वातच्छेद्य है ; यहां, दुर्बलता-प्रयुक्त निन्दा देख पड़ती अधिकारिता (स• स्त्रो०) अधिकारिण: भावः, है। फिर नदोको काकपेया बतानेसे उसके जलपूर्ण तल्। तस्य भावस्वतलौ। पा ५।१।११९ । अधिकारित्व, होनेके गुणको प्रशंसा है। स्वामित्व। अधिकच्छ (सं० पु.) अधिकं कच्छं कष्टं साधन- अधिकारित्व (स. क्लो०) स्वामित्व, इजारा। तयाऽस्त्यस्य। १ एक मास-साध्य अधिकृच्छ्र नामक अधिकारिन् (स. त्रि.) अधि-क-णि नि । १ स्वामी, व्रत विशेष। (क्लो०) प्रादि-स० । २ अधिक कष्ट, खत्ववान्, जिसे अधिकार प्राप्त हो; मिलकियत ज्यादा तकलीफ। (त्रि०) ३ अधिककष्टयुक्त, बड़ी वाला। (पु.) २ अध्यक्ष, हाकिम । ३ प्रभु, मुश्किलमें पड़ा हुआ। मालिक। ४ वेदान्तशास्त्रवेत्ता, वेदान्तमें पारङ्गत अधिकृत ( सं० पु० ) अधि-क-क्त। १ अध्यक्ष, पुरुष। ५ मूर्त्यादिका वेशकर्ता, तस्वीरें बनानेवाला हाकिम। २ अधिकारी, हकदार। ३ आयव्ययादिका कारीगर। अवक्षेपक, आमदनी खर्च वगैरह जांचनेवाला। (त्रि.) बङ्गालमें 'अधिकारी' उपाधिधारी ब्राह्मणों और ४ नियुक्त, मुकरर किया गया। ५ अधिकार किया वैष्णवों की एक श्रेणी है। अधिकारी ब्राह्मण सकल हुआ, जिसपर कब्ज़ा हो गया हो। हो विष्णुमन्त्रसे दीक्षित होते हैं। यह कितने ही अधिकृति (सं० स्त्री०) अधि-व-क्तिन् । नवशाख और नौच जातिके गुरु हैं। इनके शिर- कार, कब्ज़ा। २ खत्व, हक, दावा। पर बड़ी बड़ी शिखाका गुच्छा रहता और सर्वाङ्गमें अधिकृत्य (सं० अव्य० ) १ शीर्षपर स्थान देकर, गोपौमृत्तिकाका लाल तिलक और राधाकृष्णनामको प्रधान विषय बनाकर । २ विषयमें, बाबत। ३ प्रमाण- छाप होती है। कण्ठ में मोटी-मोटी तुलसीको माला से, हवालेपर। लटकती है। नौच जातिके गुरु होनेसे इनके घरमें अधिक्रम (सं० पु०) अधि-क्रम-घञ् भावे, मान्तात् न सद्ब्राह्मण भोजनादि नहीं करते। फिर भी, यह वृद्धिः । नोदात्तोपदेशस्य मान्तस्थानाचमैः । पा ७॥३॥३४॥ १ आक्रमण, नियम बङ्गालमें सर्वत्र प्रचलित नहीं। किसी किसी हमला। २ आरोहण, चढ़ाई। स्थानमें विशुद्ध राढ़ीय ब्राह्मण इनके घर विवाहादि अधिक्रमण (सं० लो०) आक्रमण, मारनेका कार्य, भी कर लेते हैं। हमला करनेका काम। अधिकारी (सं० पु०) १ पुरुष, मर्द । २ प्रभु, मालिक । | अधिक्षित् (स० वि०) अधि-क्षि-क्विप् कर्तरि । ३ स्वत्ववान्, हकदार। ४ क्षमताशील पुरुष, इति १क्षयकारी, नाशकरनेवाला। (क्लो०) भावे क्विप् । यारवाला आदमी। स्त्री० ) अधिकारिणी। २ क्षय, नाश। (वै• पु०) ३ राजा, बादशाह । १ अधि-