पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३६९

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अधिदेवन-अधिपुरुष 'वनदेवता' कहनेसे वनाधिष्ठात्री देवताका बोध होता । अधिपतिप्रत्यय (स० पु.) विषयको ग्रहण करने है। अन्तर्यामी अमृतस्वरूप परब्रह्म हैं। वह सर्वत्र का संयम। यह नियम बौद्ध-दर्शनके अन्तर्गत है। अधिष्ठित हैं ; फिर भो सकल वस्तुसे पृथक् उन्हें कोई अधिपतिवती (सं० स्त्रो०) देवी विशेष। नहीं समझता। हमारी एक-एक इन्द्रियको एक-एक अधिपत्नी (सं० स्त्री०) महाराणी, मलका। अधिष्ठात्री देवता कल्पित हुई हैं। जैसे,—कर्णको | अधिपथम् (सं० अव्य०) राह पर, सड़कपर। दिक्, त्वक्के वायु, चक्षुके सूर्य, जिह्वाके वरुण, नासि- | अधिपा (स. त्रि) अधिपातोति, अधि-पा-क्किए । काके अखिनीकुमार, वागिन्द्रियके अग्नि, हस्तके इन्द्र, १ अधीखर, राजा। २ अधिपति, सरदार। ३ अधि- पैरके उपेन्द्र, पित्तके मित्र, उपस्थके प्रजापति, मनके पालक, परवरिशकुनिन्दा। चन्द्र। अधिपांशुल, अधिपांसुल (सं० त्रि०) मलिन, मैला, अधिदेवन (वै० वि०) १ भवनका वह भाग जिसमें गर्दखोर, धूलिसे धूसरित। द्यूत होता हो, जुआ खेलनेका कमरा । अधिपुरुष, अधिपूरुष (स० पु०) अधिकः उत्तमः अधिदैव (स' क्लो०) १ परमेश्वर। २ इष्टदेव। पुरुषः, प्रादि स०। १ परमेश्वर। २ श्रेष्ठ पुरुष। २ अधिष्ठाता देव। विश्वात्माके औरस और शतरूपाके गर्भसे वायम्भुव अधिदैवत (सं० स्त्री०) अधिष्ठाट दैवतम्, प्रादि-सः । मनुका जन्म हुआ था। इन्हें ही पुराणकार अधिपुरुष १ अधिष्ठात्री देवता। २ अन्तर्यामी पुरुष, परमेश्वर । कहते रहे,- ३ आधिदैविक रोग। (अव्य०) ४ देवताके अधिकारसे। "ततः कालेन महता तस्याः पुत्रोऽभवन् मनुः । ४४ अधिदैविक (सं० त्रि.) अधिदेव-सम्बन्धीय, रूहानी। स्वायम्भुव इति ख्यात: स विराडिति नः श्रुतम् । अधिनाथ (स० पु०) अधिकः नाथः, प्रादि-स० । तद्रूपगुण सामान्यादधिपुरुष उच्यते ।” ४५ (मत्स्यपुराण चतुर्थ अध्याय ।) १ अधीश्वर, बड़ा मालिक । २ नायक, सरदार, 'इसके बाद बहुत दिनमें मनु नामक उनके एक अफ़सर। ३ काल-योग-शास्त्रके रचयिता। पुत्र उत्पन्न हुए थे। उनका नाम स्वायम्भुव रखा अधिनाय (सं० पु०) अधि-नौ घञ्, अधिनीयते गया। हमने सुना है, कि वहो विराट् कहलाते हैं। वायुनासो इति। गन्ध, सौरभ ; खुशबू । रूपगुणका सादृश्य रहनेसे उनका नाम अधिपुरुष अधिनायक (सं० पु.) १ सरदार, अफसर। २ प्रभु, मालिक। ऋग्वेद और अथर्ववेदके पुरुष-सूक्त में अधिपुरुष अधिनिर्णिज् (वै त्रि०) जिसपर चूंघट पड़ा हो, शब्दका उल्लेख वर्तमान है। किन्तु उसमें एक प्रभेद नकाबसे छिपा। इन दोनो हौ स्थलोंमें अधि अव्ययके साथ अधिप (सं० पु.) अधि-पा-क, अधिपातीति । पुरुष शब्दका समास नहीं किया गया,- आतश्वीपसमें कः । पा ।२।३ । १ राजा, बादशाह । २ ईश्वर। "तस्मादिराडजायत विराजो अधि पूरुषः।" (ऋग्वेद १०१९०1५1) ३ प्रभु, मालिक। ४ अधिकारी, सरदार, अफ़सर। 'उनसे विराट और विराटसे पुरुष उत्पन्न अधिपति (सं० पु०) अधिकः पतिः, प्रादि-स। हुए थे। १ ईश्वर। २ शिरका वह भाग विशेष जहां मारका फिर देखिये,-"विराडये समभवदिराजो अधि पूरुषः।" आघात विशेष रूपसे होता है। "तच रोमावर्तस्थानं मक्षका- (अथव०१०३) • भ्यन्तर सर्वशिरासम्मिलनस्थानञ्च ।” (सुश्रुत० शा० ६ ०1) ३.स्वामी, 'प्रथम विराट् उत्पन्न हुए थे, विराटी पुरुषने ४ प्रभु, मालिक। बौद्धमतमें चार अधि जन्म लिया। पति माने गये हैं,-१ यज्ञाधिपति, २ वित्ताधिपति, हम चाहे वैदिक अथवा पौराणिक ही मतको ३ वीर्याधिपति और ४ व्ययाधिपति । ग्रहण करें, इसी खुरुषसे समस्त सृष्टि हुई है। पड़ा है। शौहर।