पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३७०

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अधिपूतभृतम्-अधिमांसाम अधिपूतभृतम् (वै० अव्य०) विशुद्ध सोमरससे भरे | अधिमंथ (हिं० ) अधिमन्थ देखो। पात्रपर। अधिमन्थ (सं० पु.) अधिकं मथ्यतेऽनेन, अधि-मन्थ- अधिपेषण (सं० त्रि०) कूटने या पीसनेपर नियुक्त, घञ् करणे। १ अरणि काष्ठका मन्थनावयवविशेष। जो कुटाई या पिसाईका काम करे। २ अभिष्यन्दोस्थ नेत्ररोग विशेष। आंखको. सख्त् अधिप्रज (सत्रि०) अधिका प्रजा यस्य यस्मिन् सूजन। यह रोग चार तरहका होता है,-१ वातज, वा, बहुव्री० । २ अधिक प्रजायुक्त, ज्यादा रैयतवाला। २ पित्तज, ३ कफज और ४ रक्तज। अभिष्वन्द या (स्त्रो०) अधिका प्रजा, प्रादि-स। अनेक प्रजा, नेत्रशूल उपेक्षित होनेपर अधिमन्य रोग लग जाता कितनी ही रैयत। है। इसका लक्षण नीचे देखिये,- अधिप्रजम् (सं अव्य.) संसाररक्षाके उपायको भांति "बहरतरभिष्यन्दै नराणामक्रियावताम् । जन्म विषयपर। तावन्तस्वधिमन्या: स्युनयने तौबेदनाः ॥ अधिप्रष्टियुग (स. क्लो.) १ प्रष्टि या तीन घोड़ेसे उत्पान्यत इवात्यय नेव' निर्मष्यते तथा। आगेवाले पर रखा गया जुआ। किसो-किसौ वलि- शिरसोवंश तं विद्यादधिमन्य स्ख लक्षण: ॥ हन्याइ ष्टि में मिकः सप्तराबादधिमन्यो रक्तजः पञ्चरावात्। दानके समय जुएमें तीन घोड़े जुतते, जिसमें चौथा भौ बहरावाडा वातिको वै निहन्यात् मिथ्याचारात् पैत्तिक: सद्य एव । जोता जा सकता है। 'वाहनवयमध्यवत्ति युगविशेषः ।' (सायण०) अधिमन्थेषु सर्वेषु ललाट वेधवैच्छिराम् । (पु०)२ चौथा घोड़ा, जो किसी-किसौ वलिदानके अशान्त सर्वथा मन्ये भु वोस्तु परिदाहयेत् ॥” (मुश्नुत० उ०८०) समय जुएवाले तीन घोड़ोंके साथ जोत दिया अधिमन्थन (वै० क्लो०) १ अग्नि उत्पन्न करनेका जाता है। मन्थन, आग पैदा करनेको रगड़ । (त्रि.) २ अग्नि अधिभू (सं० पु०) अधि-भू-क्विप, अधिभवतीति । उत्पन्न करनेके मन्थन योग्य, आग पैदा करनेको रगड़के स्वाम्यर्थेऽत्राधि। १ राजा, बादशाह । २ स्वामी, काबिल। पति । ३ प्रभु, मालिक। अधिमन्थित (सं० वि०) नेत्रशूलसे व्यथित, आशोब- अधिभूत (सं० लो०) १ जड़ पदार्थका आत्मा, चश्मका बीमार। बेजान चोजकी रूह । “यमधिकृत्य यो वर्तते स एव तस्याधिभूतो अधिमांस (सं० ली.) अधिकं मांसमत्र। रोग- यथा यस्य नामन्द्रियस्य यत् कार्यभूतं तदैव कार्य तस्खेन्द्रिय स्वाधि विशेष, जिसमें नेत्र या मसूड़ोंका पश्चाद्भाग सूज जाता भूतविषयः ।" (सुश्रुत० शा० १ १०) २ ईश्वरको सत्ता।३ परम- है, आंखों या मसूड़ोंकी सूजन। दन्त देखो। श्वर। ४ प्रकृति, कुदरत। अधिमांसक (सं० पु.) अधिकं मांसमन कप, अधिभूतम् (सं० अव्य०) जड़ पदार्थक विषयमें, बहुव्री। दन्तरोगविशेष, दांतको एक बीमारी। बेजान चीजको बाबत। इसका लक्षण यह है,- अधिभोजन (सं० क्लो०) अधिकं अतिरिक्त भोजनम्, "हनुभवान्तादन्ते प्रतिवेदनमहाशोथो लालासावश्च भवति । (भावप्र०) प्रादि-स०। १ अत्यन्त भोजन, ज्यादा गिजा। (त्रि.) हानव्य पथिमे दन्ते महाशोथी महारुजः । अधिक भोजनं धनं मूल्यं वा यस्य, बहुव्रौ। लालाखावी कफकती विशेयः सोऽधिमासकः।" २ अधिकमूल्य-लभ्य, बेशकीमत। वेदमें भोजन शब्द (मुश्रुत नि० १६०) धनके अर्थसे प्रयोग किया गया है,- अधिमांसाम (सं० क्ली-पु०) दृष्टिशुक्लगत रोग- "दशाश्वान् दश कोशान् दश वस्त्राधिभोजना। विशेष, आंखको बीमारी जो नासूरसे होती है। दशो हिरण्यपिण्डान् दिवोदासादसानिषम् ॥” (ऋग्वेद ६।४७।२३ । ) इसका लक्षण नीचे लिखा जाता है,- अधिभौतिक, आधिभौतिक (स' त्रि०) प्राकृतिक, "पद्धाभ मुटु रताम यांस' चीयते सित।, कुदरती। पृथुसधिमांसाम बहुलञ्च यक्वत्रिभम् ॥" (माधव नि.) नाम।