पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३७१

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अधिमाव-अधियार अधिमात्र (सं० वि०) अधिका मात्रा यस्य। अधिमुक्तिक (स० पु०) बौद्ध धर्मानुसार-महा- १ अधिक प्रमाण, मौताजसे ज्यादा। (अव्य.) काल, सबको नाश करनेवाला परमेश्वर । २ कविता-विषयपर, शायरीके मज़मूनसे । अधिमुक्तिका ( स० स्त्री० ) मुक्ताग्रहा, शुक्ती, सोप । अधिमात्रकारुणिक ( स० वि०) १ अधिक रूपसे अधिमुह्य (सं० पु०) शाक्यमुनि। चौंतीसवें पूर्व- दयालु, निहायत मेहरबान। (पु.) २ बौद्धोंके एक जन्ममें शाक्य-मुनिको अतिमुह्य कहते थे। महाब्राह्मणका नाम । अधियज्ञ (सं० पु०) अधिकृतो यज्ञो यस्मात्, प्रादि- अधिमास (सं० पु.) अधिको रविसंक्रान्तिद्दयमध्य बहुव्रो०। १ परमेश्‍वर, यज्ञको अधिकृत करने- वर्त्तिचन्द्रमासः, रविसंक्रान्तिशून्यशुक्ल प्रतिपदादिदर्शान्त वाला पुरुष। अधिक: अधिकाझ्यागः, प्रादि सः । श्चन्द्रमासः, प्रादि-स०। असंक्रान्त मास, अधिक २ अधिकाङ्ग याग, वह यज्ञ जिसमें अनेक अङ्ग रहते मास ; मलमास, लौंदका महीना। मलमास देखो। हैं। ३ प्रधान यज्ञ। (त्रि०) ४ यन्न सम्बन्धीय, अधिमित्र (सं० लो०) अधिकं मित्रम्, प्रादि स.। यजका। ५ यज्ञके विषयमें, यज्ञको अधिकार कर, ग्रहगणका परस्पर मिलनविशेष, ग्रहोंका आपसमें यज्ञकी बातपर। मिलान। ज्योतिषके मतसे चन्द्र, मङ्गल और अधिया (हिं० पु.) १ अर्धाश, आधा टुकड़ा। वृहस्पति सूर्यके, सूर्य और बुध चन्द्रके, सूर्य, चन्द्र और २ मौजेमें निस्फ. पट्टोको शिरकत, 'आधी पट्टोको वृहस्पति मङ्गलके, सूर्य और शुक्र बुधके, सूर्य, चन्द्र हिस्सेदारी। ३ उत्पन्न हुए शस्यका अधौश प्रभु और मङ्गल वृहस्पतिके, बुध और शनि शुक्रके, और और अधांश कार्य करनेवालोंको प्रदान करनेका बुध और शुक्र शनिके मित्र हैं। नियम, उपजका आधा हिस्सा मालिक और आधा फिर शुक्र और शनि सूर्यके, बुध मङ्गलके, चन्द्र मजदूरों को देनेका कायदा। ४ गांवको आधी पट्टीका बुधके, बुध और शुक्र वृहस्पतिके, रवि और चन्द्र ज़मीन्दार, अधियार। शुक्रके और रवि, चन्द्र और मङ्गल शनिके शत्रु होते अधियाङ्ग (सं० क्लो० ) अधिक अङ्ग. फजूल अजो। हैं। चन्द्रका कोई शत्रु नहीं। सिवा मित्र और अधियान (हिं• पु. ) गोमुखो; जप करनेको थैलो। शत्रके अवशिष्ट ग्रह सम समझे जाते हैं। जैसे, यह थैली प्रायः ऊनकी बनतो और गोमुख-जैसो होती रविके चन्द्र, मङ्गल और वृहस्पति मित्र, किन्तु शुक्र है। इसके ऊपर कारीगर रङ्गीन रेशम या उनसे और शनि शत्रु होते हैं ; इसीसे बुध रविके सम हैं। गो, राम, कृष्ण आदि देवतोंके चित्रं भौ बेल बूटोंमें ग्रहोंके तात्कालिक मित्र-निरूपण करनका नियम निकाल देते हैं। भक्त इसके भीतर रुद्राक्षको माला यह है,-जिन ग्रहाँसे चतुर्थ, दशम, द्वितोय, तृतीय डाल अपने इष्टदेवका मन्त्र जपा करते हैं। कहतें और एकादश-इन सकल स्थानों में जो सकल ग्रह हैं, कि विना गोमुखी खोलकर माला फेरनेसे सिद्धि. रहेंगे, वह उन्हों-उन्हीं ग्रहोंके तात्कालिक मित्र समझे प्राप्त नहीं होती। जायेंगे। इन सकल स्थानसे भिन्न दूसरे स्थानमें रहनेसे अधियाना (हिं॰ क्रि०) अधांशमें विभाजित करना, ग्रह तात्कालिक होते हैं। जो ग्रह जिस ग्रहका आधा-आधा हिस्सा लगाना, दो समान भागों में बांटना स्वाभाविक मित्र, सम और शत्रु हुआ करता, वह बराबर-बराबरके दो टुकड़े उतारना। तात्कालिक अधिमित्र, मित्र और सम बन जाता है। अधियार ( हिं० पु० ) १ सम्यत्तिका अधांश, अधिमुक्तक (सं० पु.) माधवौलता, चमेली। मिलकियतका निस्फ हिस्सा, जायदादका आधा अधिमुक्ति (स० स्त्री०) १ अनुभव, तजरबा। साझा। २ अधीशका प्रभु, निस्फ,का काबिज । २ दृढ़ विश्वास, पुखता एतकाद। इस शब्दका ३ गांवके आधे जोतका असामी। ५ दो गांवों में व्यवहार बौद्ध अधिक करते हैं। बराबर हिस्सा रखनेवाला जमीन्दार या आसामी।