पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३७३

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एकत्र १ पक्ष- अधिरोहणी-अधिवासी अधिरोहणी (सं० स्त्री०) आरुह्यते अनया, अधि आग, सिन्दूर, शङ्ख, कज्जल, रोचना, खेतसर्षप, रुह-ल्युट करणे। निथेणि, नसेनी, सिट्टी, जीना ; स्वर्ण, रौप्य, ताम्र, चामर, दर्पण, दीप और प्रशस्तपात्र-इन वह वस्तु जिसके द्वारा ऊपर चढ़े। अमरकोषके पाठमें बाईस ट्रव्योंको संग्रह अधिरोहिणी लिखा गया है,-"निय णिस्त्वधिरोहिणी।" करना पड़ता प्रशस्तपानपर अन्यान्य द्रव्य अधिलोक (सं० पु०) १ जगत्, विश्व, दुनिया,। रखे जाते हैं। दुर्गोत्सवादि कोई-कोई क्रियाओंमें (त्रि.) २ सांसारिक, दुनियावी। अधिवास संस्कार पूजाके पूर्वदिन होता है। अन्नप्राशन, अधिलोकम् (सं० अव्य०) जगत्के विषयपर, यज्ञोपवीत, विवाह प्रभृति क्रियाओं में इन सकल दुनियाको बाबत। संस्कारके दिनों में ही अधिवास करते हैं। साम- अधिलोकनाथ (सं० पु०) जगत्के प्रभु, दुनियाके वेदीय अधिवासके द्रव्य बाईस हैं, यजुर्वेदके अधिवास- मालिक। में इक्कीस ही लगते हैं। पूजाके उपलक्षमें अधिवास अधिवक्तृ (सं० त्रि०) अधि-वच-टच्। पक्षपातसे करनेपर मन्त्रपाठपूर्वक एक-एक द्रव्यको उठा देवताके बात करनेवाला, जो एक ओर ढलकर बोले । कपालसे स्पर्श कराना पड़ता है। फिर मृत्तिकाको (वै० पु०) २ पृषपोषक, वकील। ३ सन्तुष्ट करने स्पर्श कर पुनर्वार द्रव्य प्रशस्त पात्रमें रखे जाते हैं। वाला पुरुष, वह आदमी जो तसकीन दिलाये। इसीतरह एक-एक करके समस्त ट्रव्य एक बार ४ व्याख्यानदाता, ख ब बोलनेवाला आदमी। (स्त्री०) देवताके कपाल और फिर मृत्तिकासे स्पर्श कराते हैं। अधिवक्त्री। अन्नप्राशनादिके लिये कोई शुभकर्म होनेपर जिसका अधिवचन (सं० लो०) अधि-वच्-ल्य ट् । संस्कार होगा, उसौके कपालसे अधिवासका द्रव्य स्पर्श पातयुक्त कथा, तरफदारौकी बात। २ वकालत, बहस करना पड़ेगा। स्थल विशेष और कुलपरम्पराको ३ नाम, संज्ञा ; इस्म, लकब । प्रथा विशेषसे अन्नप्राशनादि शुभकर्मके पूर्वदिन अधि- अधिवस्त्र (सं० त्रि.) अध्यातं वस्त्रं येन, प्रादि वास होता है। अन्नप्राशन और दुर्गोत्सव देखो। बहुव्री०। जिसको देहपर वस्त्र निहत हो, पोशाक ५ विवाहके पूर्व तेल और हरिद्रा चढ़ानेको चाल । ६ उबटन, देहपर तेल-मिले आटेको मालिश । अधिवाक (सं० पु०) अधि-वच्-धञ्। पक्षपात- ७ अधिक संस्थान, ज्यादा देरका कयाम। ८ अन्यके युक्त वाक्य, तरफदारी-आमेज़ सखुन, एक तरफ़ी बात। भवनका निवास, दूसरेके मकानका रहना । मनुने इसे अधिवाचन (स'• पु०) चुनाव, कई लोगोंमें एक स्त्रियोंके छः दोषों में लिखा है। को निर्वाचन करनेको सम्मति, नामजदगी। अधिवासन (सं० लो०) अधिवासयति स्थापयति देवता अधिवास (सं० पु. ) अधि-वस निवासे घञ्। अनेन, अधि-वस-णिच्-ल्युट । १ अधिवास, गन्ध- १ निवास, बसनेका स्थान, ठहरनेको जगह । २सह- माल्यादि द्वारा संस्करण । २ मूर्तिमें देवप्रतिष्ठा। वासौ, पड़ोसी, - हमसाया। अधि-वस सुरभीकरण ३ धरनेका बैठना । ४ देवपूजाके पूर्वदिनका अनुष्ठान- घञ् भावे। ३ सौरभ, खुशबू । अधिवासयति देवता विशेष। अनेन इति, अधि-वस-णिच् करणे । ४ गन्धमाल्यादि | अधिवासित (स• त्रि०) सुगन्धित, खुशबूदार। द्वारा संस्कार । “देवताओंको पूजाके पहले दिन या अधिवासिता (सं० स्त्रो०) निश्चित निवास, मुकरर किसी यज्ञादि क्रिया में अधिवास नामक एक संस्कार ठहराव। किया जाता है। इस देशमें एक ताम्रपान, कठौते अधिवासिन् ( स० वि०) निवास करनेवाला, रहने- या अन्य किसी आधारमें मृत्तिका, गन्ध (अतर), वाला, जो टिक जाये। शिला, धान्य, दूर्वा, पुष्प, फल, दधि, घृत, स्वस्तिक,- अधिवासी, अधिवासिन् देखो। वितक। पहने हुए।