पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३७५

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अधिष्ठान-अधौवास ५ रक्षक, परवरिश- दुआ। नहीं। (पु.)२ अधिदेवता, प्रधान देव । ३ परमे- अधौति (सं. स्त्री०) अधि इङ -क्तिन्। १ अध्ययन, वर। ४ राजा, बादशाह। मुतालह, पढ़ाई। (वै०) २ इच्छा, ख़ाहिश । कुनिन्दा। (स्त्री०) अधिष्ठात्री। ३ स्म ति, याददाश्त । अधिष्ठान (स. ली) अधि-स्था-ल्यु ट् षत्वम् । अधोतिन् ( स० त्रि.) अधौतमनेन, अधीत-इनि। १ स्थिति, अवस्थान ; मुकाम, पड़ाव । २ वासस्थान, इष्टादिभ्यय । पा ५।२।८८। अध्ययनविशिष्ट, कृताध्ययन; रहनेको जगह । ३ नगर, शहर। ४ आश्रय, सहारा। खूब पढ़ा हुआ, जिसका पढ़ना पूरा हो चुका हो। ५ भ्रमका आरोप करनेवाली वस्तु, वह चीज़ जिसमें अधौल्य (सं० अव्य०) अध्ययन करके, पढ़के । दूसरी चीज़ भूलसे देखो जाये ; जैसे मरीचिकामें जल, अधीन ( स० त्रि०) अधिगतमिनं प्रभुम्, अत्या० रस्मोमें सांप और सांपमें चांदी। ६ सांख्यमतसे स०। तदधीनवचने । पा ५।४।५४ । १ आयत्त, दबैल। भोक्ता और भोग्यका संयोग ; जैसे-आत्मा, शरीर २ वशतापन्न, मातहत। ३ वाध्य, लाचार। यह शब्द और इन्द्रियां विषयसै संलग्न हैं। ७ नियन्तृत्व, प्रायः समासके अन्तमें रहता है। अधिकार, सरदारी। ८चक्र, पहिया। ८ प्रभाव। अधीनता (स. स्त्री०) वाध्यता, मातहतौ। १० पहुंच, पासका खड़ा होना। ११ आशीर्वाद, अधीनत्व (सं० लौ०) अधीनता देखो। अधीमन्थ, अधिमन्थ देखो। अधिष्ठान-शरीर (स० पु०) वह सूक्ष्म देह जिसमें अधीयत् (सं० त्रि०) १ पढ़ता हुआ। २ स्मरण मृत्युके पीछे आत्मा पिटलोकमें रहता है, मृत्युके करता हुआ। बाद पिटलोकपर रहनेको आत्माका सूक्ष्म शरीर। अधीयान (सं० पु०) १ विद्यार्थों, तालिबेइल्म । अधिष्ठापक (सं० त्रि०) शासन, पर्यावेक्षण या रक्षण २ वेद पढ़ने या पढ़ानेवाला। करनेवाला, जो हुकूमत, निगहबानी या हिफाजत अधोर (सं० त्रि०) न धौरं धैर्यान्वितम्, नब्-तत् ।। रखे। १ अस्थिर, चञ्चल ; चुलबुला, बेसब्र । २ कातर, अधिष्ठित (सं० त्रि०) अधि-स्था-क्त कर्मणि। व्याकुल, परेशान्, घबड़ाया हुआ। ३ असन्तुष्ट, जो १ अध्युषित, बसा हुआ। २ निर्वाचित, चुना गया। आसूदा न हो। ४ मूर्ख, बेवकूफ। (पु.) ३ नियुक्त, मुकरर। ३ पर्यावक्षित, देखा-भाला। ५ अयोग्य वैद्य, नालायक, हकीम । ४ नियमपूर्वक सञ्चालित, कायदेसे चलाया गया। अधीरता (सं० स्त्री०) धैर्यका अभाव, बेसब्री। ५ पर्यावेक्षक, देखभाल रखनेवाला। अधीरा (सं० स्त्री०) १ विद्युत्, बिजली, जो अधिस्त्रि (सं० अव्य.) स्त्री या पत्नौके विषयमें, ठहरती नहीं। २मानको अवस्थामें मध्या और औरत या जोड़ को बाबत। प्रगल्भा नायिका विशेष। अधीरा नायिका ज्येष्ठा अधिस्त्री (सं० स्त्री०) श्रेष्ठ या सुप्रसिद्ध स्त्री, ऊंचे और कनिष्ठाके भेदसे दो प्रकारको होती है। यह दरजेको या मशहूर औरत । मानके समय नायकके प्रति अव्यङ्ग्य कोप दिखाती और अधिहरि (सं० अव्य०) अव्ययौ । हरिको अधिकार परुषवाक्यप्रयोग, तर्जन-गर्जन और ताड़ना किया कर, भगवान्के विषयमें। करती है,- अधीकार, अधिकार देखो। रमि पाये कहु वामसौं अवशि आज घन श्याम । अधीत (सं० ली.) अधि-इङ्-त भावे । १ अध्ययन, धिक् धिक् निलज नदान बनि करो नीचके काम ॥ कृताध्ययन, पठित, पढ़ा | अधौवास (वै० पु०) अधि-वस-घञ् आच्छादने । या मश्क किया हुआ पाठ। (त्रि.) २ जिसे "उपरि सर्वतः सञ्छाद्यतेऽनेनेत्यधीवासी महाकञ्चु कः ।" (कात्या०) अध्ययन कर चुके हों, मुतालह किया हुआ। महाकञ्च,क, अबरक। मुतालह। कर्मणि क्त।