पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३७६

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२आज- अधीवासस्-अधोक्षज अधौवासस् (सं० अव्य०) वस्त्रपर, पोशाकके अकृष्ट (सं० त्रि०) त्रिषा प्रागल्भ्ये क्त । कृषिशसौ ऊपर। वैवात्य । पा ॥२॥१६॥ १ लज्जाशील, शर्मीला । २ अनभि- अधीश (सं० पु०) अधिक ईशः, प्रादि-स० । अधिपति, भूत, नागालिब, जो दवाया न गया हो। सार्वभौम, प्रभु, महाराज चक्रवर्ती; मालिक, सबपर सित, नामजरूह, जो घायल नहीं हुआ। राज्य करनेवाला। अकृष्य (सं० त्रि०) न धृष्यम्, नञ्-तत् । १ अनभि- अधोखर (सं० पु०) अधिकः ईश्वरः, प्रादि-सः । भवनीय, अधर्षणीय ; जिसपर हमला न किया या राजा, प्रभु, अधिपति, सार्वभौम ; बादशाह, मालिक। जो जीता न जा सके। २ अप्राप्तव्य, वेपहुंच। अधीष्ट (सं० ली.) अधि-इष-क्त भावे। विधिनिमन्त्रणा ३ अभिमानी, घमण्डी। ४ अप्रगल्भ, लज्जाशील ; मन्त्रणाधीष्टसंप्रमप्रार्थनेषु लिङ । पा ३।३।१६१ । १ सत्कारपूर्वक शर्मंदार। नियोग या व्यापार, इज्जतका काम जो वेतनख वाह अधेगा (हिं० पु०) पक्षिविशेष जिसका रङ्ग मटमैला, सौंपा जाये। (त्रि.) कर्मणि क्त। २ सत्कार- चेहरा लाल और पर सुनहला रहता है; अधांगा। पूर्वक नियोजित, इज्ज.तसे काममें लगाया गया। अधेड़ (हिं० वि०) अर्धवयसप्राप्त, अधवैसा, निस्फ, अधुत, अधूत (सं त्रि०) धुञ् कम्पने कर्मणि क्त ; उम्रवाला ; अधोगत-अवस्थासम्पन्न, उतरती जवानी न धूतम्, नत्र-तत् । अकम्पित, जो हिला-डुला न हो। वाला ; जिसकी उम्र ढल रही हो। अधुना ( स० अव्य० ) इदम्-धुना, इदमोऽश्भावो धुना अधेनु (वै० स्त्री०) न धेनुः, नञ् -तत् । धेट् इञ्च । च प्रत्ययः। १ इदानीं, अब, इस समय । उण ३६३४॥ दोहनशून्य गौ, दूध न देनेवाली गाय । कल, इन दिनों। अधेला (हिं. पु.) आधे पैसेका सिक्का, जो तांबसे अधुनातन (सं० त्रि०) अधुना ल्यु ट्-तुट च । इस बनता है। समयका, इदानीं भव, इदानीन्तन, एतत्कालीन, अधेलिका (हिं० स्त्री० ) अन्धकारिता, धुंधलाहट। हालका, आजकलवाला। अधैर्य (सं० त्रि०) नास्ति धैर्य यस्य, बहुव्री । अधुर (सं० वि०) नास्ति धुः भारो यस्य, अच् १ धैर्यशून्य, वेसन। २ चञ्चल, उतावला, जल्दबाज़। बहुव्री०। भारशून्य, बोझसे खाली। (क्लो०) न धैर्यम्, अभावार्थे नत्र-तत् । अभाव, बेसब्री, घबड़ाहट । अधूमक (सं० त्रि०) नास्ति धूमो यत्र कप्, बहुव्री०। अधैर्यवान् (हि. त्रि०) अधैर्य देखो। धूमशून्य, जहां धुआं न हो। अधो, अधर देखो। अधूरा (हिं० वि०) अपूर्ण, नाकामिल । २ अध, अधोअक्ष (वै• त्रि०) अक्षस्य अधस्तात् । अनुदात्ते च निस्फ, आधा । ३ खण्डित, टूटा हुआ। ४ असमाप्त, कुधपर। पा ६१।१२० १ निम्नमें व्यापक, जो धुरी या जो खत्म न हुआ हो। ५ अधकचरा, अर्धशिक्षित। गाडीके नीचे लगा हो। (अव्य०) २ धुरीके नीचे । अकृत (सं० पु०) १ भगवान् जो सबको धारण अधोऽक्ष (सं० लो०) अधस् अक्ष यत्र, असि करते हैं, किन्तु उन्हें कोई धारण नहीं करता। बहुव्री०। हविर्धान-अक्षका अधोमार्ग, उस गाड़ीके (विष्णुसह०) (त्रि.) २ न धारण किया गया, जिसे नौचेको राह जिसमें होमका घी रहता था। कोई रोक न सके। अधोक्षज (सं० पु.) अक्षात् इन्द्रियात् जायते, जन- अति (स'० स्त्रो०) न धृङ-क्तिन्, अभावार्थे नञ् ड; ५-तत् । १ विष्णु जो इन्द्रियज्ञानके अयोग्य हैं। तत्। १ धैर्याभाव, बेसब्री, घबड़ाहट । २ धारणा २ श्रवण नक्षत्र। (त्रि.) अधः कृतं तिरस्कृतं भाव, याददाश्तका न रहना। ३ दोषाभाव, इन्द्रियज्ञानं येन, बहुव्री० । ३ जितेन्द्रिय, जिसने ४ आतुरता, जल्दी। इन्द्रियज्ञानको तिरस्कृत कर दिया हो,- ८३ ३ धैर्यका अधत, अधुत देखो। बेएबी।