पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३८७

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अन-अनखोहा अन (सक्रि०) अदा० प०, अक० सेट् । वा भावसे श्रवण करना, चुपकेसे कान लगाना। ३ गुप्त दि० प्रा०, अक० सेट् । १ जीना, ज़िन्दा रहना । रुदादिभ्यः भावसे सुन लेना, छिपकर कान देना। सार्वधातुके : पा १२७६ (पु०) अन्-अच् बाहुः । २ प्राण । अनकरोब (अ० क्रि०-वि०) १ करीब-करीब, पास- प्राणोऽपानोब्यान उदानः समानोऽन इत्येतत् सर्व प्राण इति। ३ प्राणन, पास। २ लगभग, कोई। ३ प्रायः, अकसर। नफ्स ; सांस। अनकस्मात् (सं० अव्य०) १विना कारण या प्रयो- अनंश (सं० त्रि०) नास्ति अंशो दायग्रहणाधिकारो जनके नहीं, बेसबब या वैमतलब नहीं। २ अकस्मात् १ विभागरहित, जिसमें टुकड़े नहीं। २ पटक नहीं, एकाएक नहीं। विषयका अंश न पा सकनवाला, जिसे अपने बाप अनकहा (हिं० वि०) अनुक्त, जो कहा नहीं गया। दादेको जायदादका हिस्सा न मिल सके। क्लीव, (स्त्री.) अनकही। पतित, जन्मान्ध और कुष्ठादिरूप अचिकित्स्य रोगा अनक्ष (वै० त्रि०) न अक्षणाति व्याप्नोति विषयं इन्द्रि- क्रान्त पैटक धनके अधिकारी नहीं होते। मनुने येण ; अक्ष-क्विप्, नञ्-तत् । १ अन्ध, नाबौना, जिसके अनंशका यह नियम रखा है,- आंख नहीं। नास्ति अक्षं इन्द्रिय चक्रं वा यस्य, "अनंशी कीवपतिती जावववधि तथा : बहुव्री। २ चक्षु प्रभृति इन्द्रियशून्य, जिसके आंख उन्मत्त जड़मूकच ये च कैचिनिरिन्द्रियाः ॥” मनु २०१॥ वगैरह इन्द्रियां न हो। ३ चक्रशून्य, जो चक्रसे 'क्लीव, पतित, जन्मान्ध, जन्मवधिर, उन्मत्त, जड़, ख.ालो रहे। मूक, विकलेन्द्रिय तथा होनेन्द्रिय व्यक्ति पैटक धनके अनक्षर (सं० लो०) अप्रशस्तानि अक्षराणि अत्र, अधिकारी नहीं होते। बहुव्री। १ कुत्सित वाक्य, निन्दा ; गाली, नास्ति अंशोऽवयवो यस्य। ३ निराकार, जिसकी हिकारत। (त्रि.) नास्ति अक्षरं वर्णज्ञानं यस्य । कोई सूरत नहीं। २ वर्णज्ञानहीन, मूर्ख ; नाखांदा, वेवकू.फ । ३ उच्चा- अनंशुमत्फला (सं० स्त्री०) न अंशुमत्फलं यस्याः। रणके अयोग्य, जो तलफ फुज़ करनेके काबिल नहीं। कदली, केला। अनक्षस्तम्भम् (सं० अव्य.) जिसमें धुरोपर आपत्ति न अनहिबात (हिं० पु०) वैधव्य, रंडापा, अहिवातका आये, ताकि धुरीमें दखल न पहुंचे। अभाव। अनक्षि (सं० क्लो.) अप्रशस्तं अक्षि, नञ्-तत् । मन्द अनइस (हिं.) अनेस देखो चक्षु, बुरी आंख। (त्रि.) अप्रशस्तं कुत्सितं अक्षि अनइसी, अनेसा देखो। यस्य, अच्-स० । अनक्ष, बुरी आंखवाला। अनऋतु (हिं० स्त्री०) १ दुष्ट ऋतु, बुरा मौसम । अनख (हिं० पु०) १ क्रोध, गुस्सा २ दुःख, तक- २ अकाल, खराब वक्त। ३ ऋतुविपर्यय, मौसमका लौफ़ । ३ ईर्धा, हसद। ४ अन्याय, जुल्म । ५ डिठोना, उलट-फेर। काजलको बिन्दी। यह लड़कोंके माथेपर नज़र न अनक (सं० त्रि०) अधम, कमौना। २ कुत्सित, पड़नेको लगा देते हैं। खराब । ३ असुख, परेशान । (हिं० पु०) ४ आनक देखो। अनखना, अनखाना (हिं. क्रि०) अनकदुन्दुभ (सं० पु.) श्रीकृष्णके पितामह या गुस्सा दिखाना। दादेका नाम। अनखी (हिं० वि०) क्रोधी, कोपान्वित ; गुस्मावर, अनकदुन्दुभि, आनकदुन्दुभि (स० पु.) श्रीकृष्णके जल्द नाराज होनेवाला। पिता वसुदेवका नाम, जो उनके जन्म-समय ढोल | अनखोहा (हिं० वि०) १ क्रुद्ध, नाराज़ । २ चिड़चिड़ा, बजनेसे रखा गया था। जो जरासी बातपर बिगड़ खड़ा हो। ३ क्रोधजनक, अनकन (हिं० क्रि०) १ सुनना, कान देना।२ मौन- जिससे पैदा हो जाये। ४ अनुचित, गैरवाजिब । क्रोध करना, गुस्सा