पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३९६

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अनन्त-अनन्तजित् ३८६ १० वासुकी, शेषनागके बड़े भाई। ११ कृष्ण। अनन्तकवि-१ मुद्राराक्षस-पूर्व-पोठिका-रचयिता । २ १२ शिव। १३ रुद्र। १४ विश्वेदेवा। १५ बांहपर भारत-चम्यू-काव्य-रचयिता, जो अनन्तभट्टकवि नामसे रेशम या सूतका अनन्त-चतुर्दशीको बंधनेवाला गुथा भो परिचित हैं। ३ बालमनोरमा नामपर संस्कृत- हुआ डोरा। १६ आकार अक्षर। १७ गणितविशेष, व्याकरणकार। एक तरहका हिसाब। यह दशम लवसे मिला भिन्न अनन्तकवि-एक हिन्दी कवि। इनका जन्म सन् है, जिसे बराबर चलाते जाते हैं। (क्लो०) नास्ति अन्त: १६३५ ई में हुवा और इन्होंने प्रेमियों के विषय- परिच्छदो यस्य । १८ परब्रह्म, जो सबसे बड़ा है। पर हिन्दीभाषामें 'अनन्तानन्द' नामक कविताको १८ आकाश, आसमान। (त्रि०) २० अवधिशून्य, बनाया था। बेठिकाना; असीम, बेहद। अनन्तकिनो-बम्बई उत्तर-कनाड़े मुजगदीवाले बाल- अनन्त-इस नामके बहुत संस्कृत ग्रन्थकार उत्पन्न हुए किनौके पुत्र। कोई १५१२ शक और विरोधी संवत्- थे। इनमें यह कई एक प्रसिद्ध हैं,- सरमें इन्होंने रघुनाथ-देवस्थान बनवाया था। अग्र १ उदयभानुकाव्य-रचयिता। २ कारकचक्रप्रणेता। शाला और मन्दिरके बीच सन्ध्यामण्डप खड़ा है। ३ चिदम्बराष्टक-कार । ४ योगामृतार्थ-चन्द्रिका नामसे विमान स्वरूप चक्र-कुछ रथ या गाड़ी-जैसा देख पातञ्जलयोग-सूत्रके भाष्यकार। ५ वाक्यमञ्जरी-रच पड़ता और उसपर नक्काशी खिंची हुई है। मन्दिरका यिता। ६ विध्यपराधप्रायश्चित्त-प्रयोगकार। ७ वाजसनेय व्यय साधारण दान और सरकारी उत्सर्गसे संहिताके 'शुक्लदशभाष्य'कार। ८ साहित्य-कल्प-वल्लि सधता है। नाम्नो अलङ्कार-ग्रन्थ-रचयिता। ८ चिन्तामणि के पुत्र, अनन्तग (सं० त्रि०) असीम रूपसे गमन-करनेवाला, विख्यात ज्योतिर्विद्,-जनिपद्धति, सुधारस और जो बेहद चलता जाये। कामधेनु नामसे गणिताध्याय-टीकाकार । १० भीमके अनन्तगुण (स. त्रि०) असीम गुण रखनेवाला, पुत्र-नैगेयार्चिकानुक्रमकार। ११ मन्त्रिमण्डलके जिसको सिफतका कोई ठिकाना न हो। पुत्र–इन्होंने सन् १४५८ ई में 'कामसमूह-महा- अनन्तगूर्जर-भुवनकोष नामसे संस्कृत ज्योतिर्ग्रन्थ- प्रबन्ध' नामक कामशास्त्रीय ग्रन्थ रचा था। रचयिता। अनन्त आचार्य-१ प्रसिद्ध वेदभाष्यकार, लक्ष्मीधरके | अनन्तचतुर्दशी (सं० स्त्री०) अनन्तस्य विष्णोरारा- पुत्र-इन्होंने वेदार्थ-दीपिका नामसे यजुर्वेदका भाष्य धनार्थ चतुर्दशी। भाद्रमासको शुक्लचतुर्दशी, भादों और वेदार्थचन्द्र नामसे मौमांसा-ग्रन्थ गढ़ा था। महौनेको सुदीवाली चौदस, जिस दिन विष्णु २ एक प्रसिद्ध हिन्दू दार्शनिक। संस्कृत भाषामें इनके भगवान्को पूजते और बांह पर अनन्त बांधते हैं। रचित-अभिन्न-निमित्त-वाद, आकाशाधिकरण-वाद, अनन्तजित् (सं० पु०) अनन्तानि भूतानि जितवान्, ओङ्कारवाद, ज्ञानार्थ-वाद, शरीरवाद, शास्त्रीय मत जि-क्विप, इखस्य प्रतिकृति तुक् इति तुक् । १ सर्वभूतके जय- समर्थन, समासवाद प्रभृति छोटे-छोटे पुस्तक और कारी वासुदेव, सब लोगोंके जीतनेवाले श्रीकृष्ण । न्याय-भास्कर, विधि-सुधाकर तथा सिद्धान्त-सिद्धाञ्जन अनन्तान् चित्तदोषान् जयति । २ चौबीस जिना- नामक वैदान्तिक ग्रन्थ मिले हैं। ३ वैदिक निघण्टको न्तर्गत चौदहवें जिन। यह वर्तमान अवसर्पिणीसे टीका, जटापटल, शतकोटिखण्डन और खरूप आविर्भूत हुए थे। सम्बन्धरूप नामक न्याय-ग्रन्यकार। इनके पिताका सिंहसेन और माताका नाम अनन्तक (सं० पु०) १ मूलक, मूली। २ नलढण, नरकट। सुयशा रहा। इनकी चवणतिथि श्रावण-कृष्ण- अनन्तकर (सं० त्रि.) असीम करता, बेहद सप्तमी और जन्म-तिथि वैशाखकृष्णा-त्रयोदशी थी। पहुंचाता या बेहद बढ़ाता हुआ। यह प्राणतदेव विमानपर बैठे और अयोध्या नगरीमें 98