पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

३६४ अनन्तपुर-अनन्तमूल जल-वायु-प्रधानतः आद्रं नहीं। वर्षमें साधारणतः जबतक हैदर अलौने न हड़पा, तबतक यह दीवान सत्रह इञ्च वृष्टि पड़ती है। नवम्बर और दिसम्बरके बहादुरके ही अधीन रहा था,। दिनों पारा ६७° से ८३ तक चढ़ता, और मईमें ४ मन्ट्राज-कड़ापा जिलेके रायकोट ताल्लुकका कभी-कभी आधीरातको १००° पर भी पहुंच एक मन्दिर। यहां गङ्गायात्राका महोत्सव होता जाता है। सन् १८२० ई०से अट्ठारह वर्ष तक और उस समय इधर-उधरके सारे शूद्र इकट्ठा रहते हैजेको बीमारी बड़े जोरसे रही थी। बुखार गजबका हैं। कुछ वर्षसे यह जलसा फीका पड़ गया है। चढ़ता है। चेचक बहुत ही मामूली बीमारी है। अनन्तपुरी-एक सुप्रसिद्ध वैदान्तिक और कृष्णचैतन्यके पशु-रोगने कितने हो बार हलचल डाली थी; पूर्वपुरुष । किन्तु सन् १८४०, १८५०, १८५७ और १८६८ | अनन्तभट्ट-१ आपदेवके पुत्र। अनन्तदैव देखो। २ यदु- ई के बीच जो उपद्रव मचा, उसकी बात कही जा भट्टके पुत्र, इन्होंने राजा अनूपसिंहके आदेशसे संस्कृत- नहीं सकती। गूटी, ताड़पत्री, कल्याणदुर्ग, पेनू कोण्डे | भाषामें तीर्थरत्नाकर लिखा था। ३ सिद्धेश्वरभट्टके और अनन्तपुरमें स्थानीय और मूनिसिपल फण्डसे पुत्र–इन्होंने सन् १६८३ ई० में गोविन्द -कृष्ण-रचित गरीबोंको बैदाम दबा देनेका प्रबन्ध बंधा है। ऐसे कुण्डमार्तण्डको टीका बनायी थी। 8 अद्दत-चन्द्रिका दवाखानोंको गिनती बढ़ते जाती है। और सिद्धान्तचन्द्रिका नामसे नैयायिक ग्रन्थरचयिता । २ उक्त जिलेका एक ताल्लुक। इसका क्षेत्रफल ५ तिथ्यादिनिर्णय-रचयिता। ६ नक्षत्रेष्टिनिरूपण ८८८ वर्गमौल है, जिसमें कोई सवा सौ गांव और नामक श्रौतग्रन्थकार। ७ नृसिंह-सर्वस्वके अन्यतम कई हजार घर आबाद हैं। जन-संख्या कोई एक लेखक। ८ पदमञ्जरी नामक न्याय-ग्रन्थ-रचयिता । लाख देखते हैं। सारे क्षेत्रफलमें सैकड़े पीछे सत्तर ८ प्रतिष्ठा-पद्धतिकार। १० प्रातिशाख्य-भाष्यकार । बौधे खेती होती, और तर जमौन आधीसे ज्यादा ११ भारत-चम्यू-काव्य-रचयिता। १२ महाभाष्यप्रदोप- आमदनी अदा करती है। मामूली तौरपर ताल्लुक, विवरण-प्रणेता। १३ कमलाकरभट्टके पुत्र, इन्होंने हमवार मैदान है, उत्तर और उत्तर-पूर्व पहाड़ी संस्कृत भाषामें रामकल्पद्रुम, तपिटरचित जैमिनि- सौमाको बांधे है। यहांसे अनन्तपुर, बुक्कराय- सूत्रभाष्यको टीका और त्रिशच्छोको व्याख्या- समुद्रम्, ताड़मारी और सिंहानमलयको सड़क गई सुबोधिनी रची थी। है। अनन्तपुर और सिंहानमलयके ही तालाब सबसे | अनन्तमति (सं० पु.) किसी बोधिसत्वका नाम । बड़े हैं, जिनसे बीस-बीस हजार एकड़ भूमि सींची अनन्तमायिन् ( स० त्रि.) असीम रूपसे छली, जो जाती है। चियेडदुर्ग सबसे बड़ा पहाड़ है, जो बेहद धोखा दे। मैदानपर कोई १२०० फीट ऊंचे उठा है। यह अनन्तमिश्च न्यायप्रदीप-रचयिता। ताल्लुक गूटीको मुनसिफीमें लगता है। अनन्तमूल (स० पु०) अनन्तं सुदीर्घ मूलमस्य । ३ उक्त जिलेका एक बड़ा शहर। यह गूटीसे | लताविशेष जिसे शारिवा भी कहते हैं, जङ्गली दक्षिण सोलह और बेलारीसे दक्षिण-पूर्व इकतीस ( Hemidesmus indicus ) अनन्तमूलके कोस दूर बसा है। यहां कोई बारह हजार लोग पर्याय यह हैं,-हिन्दी-मगरबू, जङ्गलौचमेली, रहते। जिलेका हेडक्वार्टर, खास पुलिस और हिन्दी-सालसा; बंगला-अनन्तमूल, अनन्तोमूल ; मजिष्ट्रेटको कचहरी, छोटा जेल, दवाखाना, स्कूल, विहारो-अनुन्तमूल; दक्षिणी-सुगण्डीपाला, डाकघर, और मुसाफिरका बंगला बना है। कहते, नवारी, नाटका औशबह ; बम्बैया-उपरमार; कि सन् ई० के १४ वें शताब्दमें विजयनगर-राजके | मारवाड़ी-अनन्तमूल, उपलसरी; तामिल-नन्नारि; दीवानने यह शहर बसाया ; सन् १७७५ ई० में तेलगू-गदिसुगन्धि, पालचुक्कनिदेस, सुगन्धिपाल, चमेली।