पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४१०

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अनपुंसक-अनभिभव ४.३ अनपुंसक (सं० लो०) वह शब्द जो नपुंसक लिङ्गका अनबन (हिं॰ स्त्री०) द्रोह, विरोध ; झगड़ा, न हो। यह शब्द व्याकरणमें व्यवहृत होता है। झञ्झठ, खटपट, बिगाड़, फूट, खेंचतान । अनपूपोय, अनपूप्य (स त्रि०) अपूपके अयोग्य, जो | अनबिधा, अनबेधा (हिं० वि०) अविद्ध, न बेधा या छेदा रोटी या पूरीके काबिल न हो। गया। यह विशेषण मोतोके साथ लगाया जाता है। अनपेक्ष (सं० त्रि०) न अपेक्षते-अनुरुणद्धि-अच्; अनबोल (हिं० वि०) १ न बोलनेवाला, अनबोला। नत्र-तत् । १ अपेक्षाशूना, बेपरवा। २ अनुरोधरहित, २ मुंहचुप्या, मौन। ३ गूंगा, वेजीभ । ४ अपना बेलिहाज। ३ पक्षपातशूना, नातरफ़दार । ४ अवसर सुख-दुःख न बतानेवाला, जो अपनी तकलीफ या रहित, बेमौका। आरामका हाल किसौसे न कहे। अनपेक्षत्व (स. क्लो०) १ अपेक्षाशूनाता, बेपरवायो। अनबोलता, अनबोल देखो। (स्त्री०) अनबोलती। २ अनुरोधराहित्य, बेलिहाजी। ३ पक्षपातशूनाता, | अनबोला, अनबोल देखो। तर्फ दारीका न होना। ४ अवसरका अभाव, मौकेको अनव्याहा (हिं० वि०) अविवाहित ; क्वांरा, जिसको नामौजूदगी। शादी न हुई हो। अनपेक्षा (सं० स्त्री०) अपेक्षाका अभाव ; बेलिहाजी, अनभल (हिं० पु.) अहित, हानि ; बुराई, नुकसान । बेपरवायो। अनभला (हिं० वि०) अनुत्तम, हेय; बुरा, खराब । अनपेक्षित (संत्रि०) १ अपेक्षा न किया हुआ, (स्त्री०) अनभली। बैलिहाज़। २ ध्यान न दिया हुवा, बेगौर । ३ आशा अनभाया, अनभावता (हिं० वि०) अच्छा न लगा न किया गया, नागहां। हुआ : अप्रिय, अरुचिकर ; जो भला न मालम हो, अनपेक्षिन् (सं० त्रि.) १ अपेक्षाशूना, बेपरवा । नापसन्द। २ अनुरोधरहित, बलिहाज.। अनभिग्रह (सं० त्रि.) १ भेदरहित, बैफक । (पु०) अनपेक्ष्य (स० त्रि.) अपेक्षा न रखता हुआ, परवा २ भेदराहित्य, बेफर्की। ३ जनमत विशेष, जो सब न करनेवाला। मत अच्छे समझता और सबमें मोक्षको राह अनपेत (स० त्रि०) न अपेतं बहिर्गतं अपगतं वा, देखता है। नज-तत्। १ अबहिर्गत, न गुज.रा या गया हुआ। अनभिन्न (सं० त्रि.) न अभिजानाति, अभि-ना- २ अपेत-भिन्न, अनुपेत; अलग न किया गया, अज्ञ, ज्ञानशून्य, मूर्ख ; नादान, बेअल्ल, लगा हुआ। बेवकू.फ.। अनप्त (वै० त्रि०) न आप्तम्, पृषोदरादित्वात् इस्खः । अनभिज्ञता (सं० स्त्री०) अज्ञता, ज्ञानराहित्य, १ अप्राप्त, न मिला हुवा। २ निर्जल, जो पानीदार मूर्खता ; नादानी, बेवकू.फी अनाड़ीपन । न हो। अनभिद्रुह् (सं० त्रि०) द्रोहशून्य, हसदसे खाली ; अननस् (वै० त्रि०) नास्ति अपनस् रूपं यस्य, नत्र किसौका बुरा न चेतनेवाला। बहुव्री। आपः कमाख्यायाम् । उण ४।२०७ । १ रूपरहित, अनभिधेय (सं० वि०) न अभिधेयम् । अवाच्य, जा बेशक्ल । २ कर्महीन, बेकार। ३ अयोग्य, नालायक । कहा न जा सके। "जम्भया ता अननसः ।" (ऋग्वेद) अनभिप्रेत (सं० लो०) अभिप्रायसे विरुद्ध कार्य, अनपसरस् (सं० स्त्री०) स्त्री जो अप्सरा जैसी न हो, इरादेके खिलाफ. काम। औरत जो परी जैसी नहीं। अनभिभव (सं० पु.) न अभिभवः, अभावार्थे नज- अनफा (सं० स्त्री०) ग्रहोंका योगविशेष, सितारों के तत्। अभिभवका अभाव, पराजयका राहित्य; आपसमें मिलनेका एक खास मौका। फतेहका न पाना, जीतका न होना। का