पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४१३

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अनमौलना-अनकचतुर्दशी अनमोलना (हिं. क्रि०) उन्मौलन उठाना, चश्म रावणके साथ मल्ल-युद्ध आरम्भ किया था; किन्तु खोलना, आंख उघारना। अन्तमें उन्होंने अभिभूत होकर कहा, 'हम अनमोव (वै त्रि०) न विद्यते अमोवो रोगो यस्य, प्राणपणमें आपसे लड़ते, लेकिन हमारा मन टूट नञ्बहुव्रौ । १ रोगहीन, जिसे कोई बीमारौ न लगी गया है। हमःआपको यही अभिसम्पात पहुंचाते हैं, हो। २ निर्दोष, बेगुनाह। (लौ०) ३ स्वास्थ्य, कि हमारे वंशमें राम नामसे महाबल-पराक्रान्त जो तन्दुरुस्ती, किसी बीमारीका न लगना । राम राजा उत्पन्न होंगे, उन्हींके हाथसे आपके प्राण अनमेल (हिं० वि०) १ सम्बन्धरहित, बैरिश्ता ; जायेंगे। ( रामायण उत्तरकाण्ड १९ अ०) जो मेल न रखे। २ विशुद्ध, खालिस ; बेमिलावट । अनरथ, अनर्थ देखो। अनमोल (हिं० वि०) १ अमूल्य, लाकीमत ; अनरना (हिं० क्रि.) अनादर दिखाना, खातिर जिसका दाम कोई न दे सके। २ बहुमुल्य ; बेबहा, न करना। बेशकीमत ; जिसका दाम बहुत ज्यादा हो। अनरस (हिं• पु०) १ वैरस्य, बेलुत्फी, फोकापन। ३ सुन्दर, खूबसूरत। २ वैरभाव, बिगाड़। ३ दुःख, तकलीफ। ४ काव्य- अनम्बर (सं० पु०) नास्ति अम्बरं कच्छ-सहितं विशेष, जिसमें रस न रहे। हिन्दीके सम्भ्रान्त कवि वस्त्र यस्य, नञ्-बहुव्री। १ जैन विशेष, दिगम्बर केशवदासने इस काव्यके पांच भेद बताये हैं,-१ पत्य- (त्रि.) वस्त्रशूना, बेपोशाक ; कपड़े न पहने हुवा ; नौक रस, २ नौरस, ३ विरस, ४ दुःसन्धान और विरहना, नङ्गा ५ पात्रदुष्ट। अनम्र (सं. त्रि.) नम्रताशूना, उद्दण्ड ; नर्मीसे अनरसा (हिं० वि०) १ असुख, बेचैन, बीमार। दूर, ज़ोरावर ; जो झुकता न हो। (पु.) २ एक तरहको मिठाई। अंदरसा देखो। अनय (स' पु०) नयति चालयति व्यसनं दैवलौकिक- अनराज-बम्बई, गुजरातके शाकम्भरी या सांभर विषयान् वा, नी-अच् नयः ; न नयः, विरोधार्थे नञ् राज्यके एक नृपतिका नाम । इनका विवाह त्रिभुवन- तत्। १ नियमसे उलटा विषय ; अनवाय, अनौति पालको कन्या देवलदेवीसे हुआ था। हम्मीरमहा- कदरत के खिलाफ काम ; जुल्म, दबदबा। २ अशुभ काव्यमें इन्होंका नाम अनलदेव लिखा है दैव घटना, परमेश्वरका गज़ब । ३ व्यसन, द्यूतादि अनराता (हिं० वि० ) अरक्त, बरङ्ग जिसपर क्रौड़ा ; बुरी आदत, जुवा वगैरहका खेल । कोई रङ्गन चढ़ा हो अनयन (सवि०) चक्षुरहित, नाबौना, अन्धा; अनरोति (हिं० स्त्री० ) १ रौतिका अभाव, बेरस्मी। जिसे आंख न हो। २ कुरीति, बुरौ चाल। ३ विपरीत व्यवहार, उलटा अनयस (हिं. वि.) अनुत्तम, खराब, बुरा; बरताव। अच्छा नहीं। अनरुचि (हिं. स्त्री.) १ अरुचि, नापसन्दगी। अनायास देखो। २ अग्निमान्द्य, खाना खुशगवार न मालूम होनेको अनरण्य (सं० पु०) अनं जीवनपर्यन्तं रणे साधुः । बीमारी। सूर्यवंशके किसी राजाका नाम। विष्णुपुराणमें लिखा अनरुस् (वै त्रि०) अनाहत, बेजखम ; जिसके चोट है, कि यह सम्भूतके पुत्र रहे। रावण दिग्विजय न आयो हो। पानेको निकल अयोध्यामें जा घुसा था। उस समय अनरूप (हिं.वि.) १ रूपरहित, बशल्ल । अनरण्य वहांके राजा थे। रावण गवसे ललकारने दृश, नाहमवार; बराबर न रहनेवाला। लगा,-'राजन् ! या तो आप मेरे शरणागत पहुंचिये अनकचतुर्दशी (सं० स्त्री०.) कार्तिक मासको शुक्ल- अथवा आइये, मैं आपसे युद्ध ठानू।' अनरण्यने ' चतुर्दशी, इसी दिन हनूमान्का जन्म हुआ होगा। .. अनयास 1