पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४१४

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बहुव्री। अनर्काभ्युदित-अनवं कितने ही रामभक्त इस अवसरपर धूम-धाम करते । अनर्थक (सं• क्लो०) नास्ति अर्थ अभिधेयो, हैं, और काशीमें भी मेला लगता है। अप्राशस्त्वे कप्-न-बहुव्री०। १ अर्थशून्य समुदाय, 'अनर्काभ्युदित (स० पु.) न अर्कः सूर्यः अभ्युदितो प्रलाप-असम्बन्ध वाक्य ; बेमानी फिकरा, मतलब यस्मिन् काले नञ् बहुव्री०। सूर्योदयसे पूर्वकाल, न रखनेवाली बात। (त्रि.) नास्ति अर्थः प्रयोजनं अरुणोदय ; सवेरा, तड़का । यस्य। २ व्यर्थ, बेमानी। ३ निष्पयोजन, बेमतलब। "अनाभ्युदिते काले माघ कृष्ण चतुर्दशी। अनर्थकर (स० त्रि०) १ निष्ण योजन या निरर्थक सतारव्योमकाले तु तस्यां सानं महाफलम् ॥” (तिथ्यादितत्त्व) कार्य करता हुआ, बेमानी या बेमतलब काम करने- माघ-मासको कृष्णा-चतुर्दशीको सूर्योदय होनेसे वाला। २ हानिकारक, नुकसानदेह; फायदा न पहले और आकाशमें नक्षत्र रहते-रहते मान कर पहुंचानेवाला। ३ अनिष्ट उत्पन्न करता हुआ, लेनेसे महाफल मिलता है। बुराई बोनेवाला। अनर्गल (सं० त्रि०) नास्ति अर्गलं प्रतिबन्धकं यस्य, अनर्थकारी, अनर्थकर देखो। नञ्-बहुव्री। १ अप्रतिबन्धक, बेरोकटोक । २ अवि- अनर्थत्व (सं० लो०) अप्रयोजनौयता, बेमतलबौ। रत, लगातार। ३ व्यर्थ, फज़ल। अनर्थदर्शिन् (सं० वि०) निरर्थक विषयपर विचार अनर्घ (स. त्रि०) नास्ति अघों मूल्य यस्य, नञ् करता हुआ, बेमतलब बात देखनेवाला। १ अमूल्य, बेबहा ; बेदामका। (पु०) अनर्थदर्शी, अनर्थदर्शिन् देखो । २ असत्य मूल्य, भूठा दाम । अनर्थनाशिन्, अनर्थनाशो (सं० पु०) अनर्थ मिटाने- अनर्घशील (सं० त्रि०) अनर्घ अमूल्य शील स्वभावो वाले शिव। यस्य, बहुव्री०। अमूल्य-स्वभाव-शाली, बेदामके | अनर्थबुद्धि ( स० वि०) निरर्थक बुद्धि रखनेवाला, मिज़ाजवाला ; जिसके मिजाजकी कीमत न हो। बेहूदा समझका। "स मन्मये वीतहिरण्मयत्वात् पाव निधायाय मनशीलः । अनर्थभाव (सं० त्रि.) कलुषित इच्छासे युक्त ; श्रुतप्रकाशं यशसा प्रकाशः प्रत्य जगामातिथिमातिथेयः ॥” ( रघु०-५।२) हसदी, डाह करनेवाला। अनर्थ्य (सं० त्रि०) न अर्ध्यः पूज्यो यस्य यस्माद्दा, अनर्थलुप्त (स० त्रि०) अनर्थेन लुप्तम्, नत्र-तत्। न -बहुव्रो० । पादा_भ्याञ्च । पा ५४२५॥ १ अन्य-पूजाशून्य, निष्प योजन कार्यसे खतन्त्र, बेमतलब कामसे जिसकी दूसरी कोई परस्तिश नहीं ; अपूज्य, परस् आजाद ; अपना मतलब न छोड़नेवाला। . तिशके नाकाबिल, जिसकौ पूजा करना शक्तिके बाहर अनर्थसंशय (सं• पु०) धनके भयका राहित्य, दौलत- हो। २ अमूल्य, बेवहा ; जिसका दाम लग न सके । के खौफ.का छुटकारा। अनधत्व (सं० क्ली० ) अमूल्यता, बेबहापन ; दाम न अनर्थान्तर (सं० लो०) अन्यो अर्थः अर्थान्तरम् ; न लग सकनेको हालत। अर्थान्तरम्, नञ्-तत् । वही अर्थ, एक ही मानौ । अनर्थ (स० पु०) न अर्थः प्रयोजनम्, विरोधार्थे | अनर्थ्य (सं० त्रि०) निष्प योजन, बेमतलब ; जिसका नञ्-तत्। १ अनिष्ट, आफत। २. मूलपाभाव, कोई मानी न निकल सके। बेबहापन। ३ अनुपयुक्त अथवा विनामूलाको वस्तु, अनर्पण (वै क्लो०) अपनेको किसीके हाथमें न बेदाम या बेकाम चीज़ । ४ प्रतिकूलता, बरखिलाफ़ी। सौंपना, किसौके वशका न होना। ५ उलट-फर। ६ अप्रयोजनीयता, बेमतलबौ। अनव (वै० त्रि०) अव-अच, अव: गतिः शैथिला स ७ विष्णु जो किसीसे कोई अर्थ नहीं रखते। (त्रि.) नास्ति यस्य, नज-बहुव्रौ । १ अशिथिल, जारी। न अर्थः अभिधयः प्रयोजनं वा यस्य । ८ वाच्यशून्य, २ रोका या घेरा न जानेवाला। ३ बेरोक, अटकाया प्रयोजन-रहित, बेमतलब । न गया ४ चिड़चिड़ा। बमानी।