पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४२०

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1 3B अनवद्दौन् खान्-अनवस्कर ४१३ पर्याय यह हैं,-प्रधान, प्रमुख, प्रवेक, अनुत्तम, उत्तम, अनवलेप (सं• त्रि.) १ अवलेपरहित, जिसपर मुख्य, वयं और वरेण्य। बनावटका रङ्ग न चढ़ा हो। २ साधारण, सादा । अनवउद्दीन ख़ान्–कर्णाटकके एक नवाबका नाम । ३ अभिमानरहित, बेतकल्लुफ । यह बड़े ही भाग्यशाली सिपाही थे। निजामुलमुल्कने अनवलोभन (सं० लो०) न अवलुप्यते येन, अव- इन्हें जिस नाबालिग वारिसका रक्षक नियुक्त किया लुप-लुट् पृषोदरादित्वात् पस्य भः । गर्भसंस्कार विशेष, था, उसे इन्होंने चुपके-चुपके मरवा डाला। पहले जो गर्भवती स्त्रियों को सम्पन्न करना पड़ता है। यह दिल्लीके किसी बादशाहके नौचे काम करते और "उपनिषदि गर्भलम्भनं पुसवनमनवलीमनं च।" (आश्च० रटा० ११३) युक्तप्रदेश-फतेहपुर-कोड़ा-जहानाबादके प्रधान प्रबन्ध- अनवस् (स. क्लो०) न अवस्, अभावार्थे नत्र- कर्ता बने थे। अपने कुप्रबन्ध या कुत्सिताचरण- तत्। १ अबका अभाव, अनाजका न मिलना। के कारण यह सरकारी मालगुजारी दिल्ली न भेज (त्रि.) नास्ति अव: अन्नं यस्य, बहुव्रौ । अन्नहीन, सके और चुपकेसे अपनी जगह छोड़ अहमदाबाद अनाजसे खाली ; पथ्याशनरहित, खानको न पान- चले गये, जहां निजामुलमुल्कके पिता गाजी-उद्दीन्ने वाला। सूरतमें बड़े ही विश्वास और लाभका काम इन्हें अनवस (सं० त्रि०) नास्ति अवसो यत्र । १ अराजक सौंपा। गाजी उद्दीन्के मरने बाद उनके लड़केने इन्हें बलवायो ; जो राजाके खिलाफ हो। २ सूर्यशून्य, वेल्लूर और राजमहेन्द्रम्का नवाब बनाया ; जहां बे आफताब, धूप न पानेवाला। ३ पथ्याशनरहित, यह सन् १७२५ से १७४१ ई. तक आधिपत्य करते जिसे खानेको न मिले । रहे। फिर सन् १७४४ ई० में यह कर्णाटकके प्रधान "अनवसो अनभीशू रजस्तूवि रोदसी पथ्या याति साधन् ।" प्रबन्धकर्ता नियुक्त हुए। निजामुलमुल्कके नाती (ऋक् हा६६७) ज़फ़रजङ्गसे जो लड़ाई हुई थी, उसमें यह मारे गये अनवसर (स० त्रि.) नास्ति अवसरो यस्य, नज- और कर्णाटकपर ज.फरज.ङ्गने अपना राजत्व बहुव्री। १ अवकाशशून्य, जिसे फुरसत न रहे। जमाया । अनवरुद्दीन उस समय १०७ वर्षके बुड्ढे रहे। (पु०) नज-तत्। २ अवकाशका अभाव, फुरसत- इनके बड़े लड़के कैद किये और दूसरे मुहम्मद अली का न पाना। त्रिचनापली भाग गये थे। इनको प्रशंसामें अबदौने अनवसाद्य (स० अव्य०) बेछेड़-छाड़ किये, सौधे 'अनवर-नामा' लिखा, जिसमें भारतके बीच अंगरेजों तौरपर। और फ्रान्सौसियोंमें जो झगड़ा उठा था, उसका ठीक अनवसान (सं० त्रि०) १ अस्त न होता हुआ, जो ठीक हाल मिलता है। सन् १७५० ई० में नवाब गुरूब न हो रहा हो। २ अक्षय, लाजवाल । नसौरजङ्गने इनके लड़के मुहम्मद अलीको पूरे तौरपर ३ अनन्त, बेहद। कर्णाटकका नवाब बनाया। अनवसित (स० त्रि०) न अवसितं समाप्त निश्चित अनवलम्ब (सं० त्रि०) नास्ति अवलम्बो यत्र वा वा, नज-तत्। असमाप्त, अनिश्चित ; अधूरा, बे- यस्य, नज-बहुव्री० । अवलम्बहीन, निराश्रय ; बिला- ठिकाना; जो पूरा न पड़ा हो। रोजी, बेसहारा; जिसे कोई टेक न मिले। अनवसिता (सं० स्त्री०) त्रिष्टुभ् छन्दोविशेष । इसमें अनवलम्बन (सं० ली.) अवलम्बहीनता, सहारेका चार पाद रहते और प्रत्येक पादमें गाारह-गयारह न रहना ; स्वतन्त्रता; आज़ादी। अक्षर होते हैं। अनवलम्बित (स• त्रि०) अवलम्ब न रखता हुआ, अनवस्कर (स० त्रि.) अवकीर्यते इति ; अव-क- जो सहारा न पकड़े हो; स्वतन्त्र, आजाद ; जो वर्च के ऽवस्करः। पा ६।१।१४८॥ अप्, अवस्करः अबमलम्। किसीका मातहत न रहे। न अवस्करः । मलशून्य, मलहीन ; बे मैल, साफ.। 104