पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४२५

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४१८ अनहङ्कृत-अनानारित

हुआ हो। अनहङ्कृत (सं० त्रि०) अहमिति कृतम् अहङ्कारः, | अनाकारित (स• त्रि०) न मांगा हुआ, न तलब भावे क्त ; नास्ति अहं कृतं अहंकारो यस्य । अहङ्कार किया गया; जिसपर दावा न दबाया गया हो। शन्य, बेफख र, जिसे घमण्ड न हो। अनाकाल (स० पु.) आ सम्यक् शस्यादि-सम्पन्नः अनहङ्गति (स. स्त्रो०) अहमिति गर्व क्रियते, भावे कालः आकालः; न आकालः, नञ् तत् । शस्यादि तिन् अहङ्कृति: ; न अहङ्गतिः, नत्र-तत् । १ अहङ्कार- सम्पन्न भिन्न काल, शस्यहीन काल, दुर्भिक्ष काल ; का अभाव, फख रका न होना। (त्रि.) नत्र- कहत, सूखा ; फसल न फलनेका मौसम । बहुव्रो०। २ अहङ्कारशून्य, बेघमण्ड । अनाकालभृत, अन्नाकालभृत (सं० पु०) दुर्भिक्षके अनहंवादिन् (स' त्रि.) अहमिति गर्वेण वदति समय पेट पालनेको अपनी इच्छासे बननेवाला भृत्य, वद-णिनि। न अहंवादी, गर्दशून्य ; मैं मैं न मचाने गुलाम जो अपने दिलसे खाने के लिये कहतसालीमें वाला, बैगुरूर। अनहदनाद (हिं० पु० ) अनाहत नाद, हस्तके दोनो अनाकाश (सं० पु०-क्लो०) १ आकाश जो अपने अङ्गुष्ठसे कर्णविवरको अवरोध कर ध्यानपर आने नामके अनुसार न हो, जो आसमान आसमान न हो। वाला शब्द। यह शब्द सिवा योगसाधनके नहीं सुन (त्रि०) २ निर्मल आकाशशून्य, साफ, आसमानसे पड़ता। योगीके हो कानमें इसकी ध्वनि गजती है। खाली। ३ तिमिराच्छन्न, धुंधला, अंधेरा; साफ़ अनहन् (सं० क्लो०) अदिन, कुदिन, दुर्दिन ; बुरा नज़र न आनेवाला। रीज, खराब वक्ता। अनाकुल (सं० त्रि.) न आकुलम्, नज-तत् । अनहित (हिं० पु.) अहित, बिगाड़, बुराई। असन्तापित, तङ्ग न किया गया । २ अव्यग्र, न घबड़ाया "हित अनहित पशु-पक्षिहु जाना।" ( तुलसीदास ) हुवा । ३ स्थिर, खामोश। ४ असङ्कीर्ण-वाक्य, साफ- अनहितू (हिं० वि०) हितरहित, भलाईसे खाली ; मो। ५ साकाङ्क्षवाक्य, मतलबसे बोलनेवाला। मङ्गल न मनानेवाला। ६ एकाग्र, एक ओरको झुका हुआ। अनहिलवाड़, अनलवाड़ देखो। अनाकृत (वै० त्रि०) ना इत्यनेन कृतं नाकृतं निरा- अनहोता (हिं० वि०) १ रहित, खाली ; न रखने कृतम् ; न नाकृतम्, नञ्-तत्। १ अनिवारित, फिरसे वाला। २ अभूतपूर्व, नायाब ; न होनेवाला। (स्त्री०) न मांगा गया। २ अनिवार्य, फिरसे मांगनेके अनहोती। नाकाबिल । अनहोनी (हिं० स्त्री०) न होनेवाली बात, जो चीज़ अनाक्रान्त (सं० त्रि०) १ झपटा न गया, बेहमला। न गुज़रे। “एक अनहोनो यह केसे के सकेलियो।” ( ठाकुर ) २ आक्रमण के अयोग्य, जो हमला करने के काबिल अना (वै० अव्य०) इससे, इसतरह, असलमें। न हो। अनाई पठाई (हिं. स्त्री०) लाना पहुंचाना, ले अनाक्रान्तता (सं० स्त्री०) आक्रान्त न होनेकी दशा, आना-भेज जाना। यह शब्द विशेषतः दूल्हनके अपने हमला न पड़नेको हालत ; रक्षा, रखवाली। घरसे ससुराल और ससुरालसे घर जाने आनेका अनाक्रान्ता (सं० स्त्री०) न आ-क्रम-क्त, अनाक्रान्ता मतलब रखता है। आक्रमितुमयोग्या सर्वत: कण्टकावृतत्वात्। १ कण्ट- अनाकनी, अनाकानी (हिं. स्त्री०) खोंच, हटाव ; कारौ वृक्ष, कटैया, कांटेदार मकोय। (त्रि.) बैखयालो। २ आक्रान्तभिन्न, हमला खानेवालेसे अलग। अनाकार (सं० त्रि०) नास्ति आकारो यस्य, नज- अनाक्षारित (सं० लो०) न आक्षारितं अपकृतम्, बहुव्री०। अवयवहीन, निराकार ; बेशक्ल, वेसूरत ; नञ्तत्। १ अनपक्वत, भलाई , बुराई न बोनेवाला रङ्ग-रूप न रखनेवाला। काम । (त्रि०) २ अनिन्द्य, भला ; बुराई न करनेवाला।