पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४३

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अकृष्टकर्मन् -अकोला अकृष्टकर्मन् (सं० वि०) अकृष्ट निर्दोष निर्मलं वा शहर हैं । अकोट अपने ताल्लु केका सदर शहर भी कर्मा यस्य । १ निष्पाप । २ सदाचार। ३ निर्दोष। है। यह नगर अकोलेसे कोई पन्द्रह कोस उत्तर है। ४ सदाचारी। इस नगरके प्रत्ये क भवनमें कुएं बने और चारो ओर अकेतन (सं० त्रि०) १ बैठिकाना। २ बिना घरवाला। फुलवारियां और आम के बाग लगे हैं। कितने ही ३ खानाबदोश । ४ जङ्गली मनुष्य । पत्थरके सुन्दर-सुन्दर और मेहराबदार भवन दण्डाय- अकेतु (सं० पु०) नास्ति केतुश्चिह्न यस्य । अज्ञान । मान देखे जाते हैं। बरारमें यह शहर कपास और बेसमझ। रूईके व्यवसायके कारण बहुत प्रसिद्ध हो गया है अकेल, अकेला (हिं० वि०) किसी-किसी जगह इकला यहां रूई लेने देने भारतीय और युरोपीय दोनो इकलौ भी बोलते हैं। दुकैलेका उलटा। जिसका व्यवसाई एकत्र होते हैं और प्रति वर्ष कोई सत्तावन कोई साथी न हो। १ एकाको। लाखका काम हो जाता है। यहांसे रुई शौगांव भेजी रिपु तेजसौ अकेल अपि लघुकर गनिय न ताहि । (तुलसौ) जाती है। बनवानेसे व्यवसायी कालौन भो अच्छे २ अनुपम, अद्वितीय। ३ निराला । तय्यार करते हैं। सप्ताहमें दो बार बाज़ार लगता है; ४ एकता। ५ लासानी। एक बुधवार और दूसरा शनिवारको। तानसेन अपने फनमें अकेला हो गया है। अकोढ़ई (हि. स्त्री०) अकर, सरल, नम्र, ऋजु । अकेले (हिं. क्रि० वि०) बिना साथी। अकेला हो। वह धरती जो सींचनेसे जल्द भर जाती है। निवान केवल । या निमान, जहां जल ठहरा.रहता है। अकेहरा (हि० वि०) एकहरा, दोहरा नहीं। अकोतरसौ (हि वि०) एक सौ एक। एक ऊपर सौ। अकैतव (सं० वि०) न-कितव-अण् । कितव अर्थमें खंडरा खाड़ जो खंडे खंडे। बरी अकोतरसी कह हण्डे । जायसी० वञ्चक। अकोप (हि. पु०) १ राजा दशरथके आठ मन्त्रियोंमें कितवान् कुशीलवान् क्रूरान् पाषण्डस्थांच मानवान् । ( मनु ।२२५1) से एकका नाम। २ कोपका न होना, जिसमें कोप कितवान् द्यूतादिसेविनो (जुवाड़ी) नर्तकगाय- न हो, प्रसन्नता। यह विशेषणमें भी आता है। कान् (नचैया-गवैया)। कितव, कि त। कितन यथा-वह बड़ा अकोपात्मा है अर्थात् शान्त या वाति, कित-वा-क। धूर्तताशून्य। सरल। ऋजु । प्रसन्न-चित्त है, उसको क्रोध नहीं आता। सदाचारी। कपटहीन । सौधासादा। निश्छल । (हि. अकोर (हि. पु०) अंकोर देखो। पु०) भाववाचक, सिधाई। अकोरी (हि० पु०) अकोलका पेड़ (सं० अङ्कोल)। अकैया (हि. पु०) १ खुरजी। गोन । कजावा। वस्तु अकोला-बरार प्रदेशके अन्तर्गत एक जिला। लादनेका थैला या टोकरा। २ अंकैयाका रूपान्तर। यह दक्षिण-हैदराबादके अगरेज़ी रेजीडेण्ट द्वारा दाम कूतनेवाला। शासित होता है। इसके उत्तर सतपुरा पर्वत, दक्षिण अकोट (सं० पु० न-कोट। गुवाक। सुपारी (२) सातमाला या अजण्टागिरि श्रेणी, पूर्व इलिचपुर और करोड़ों। असंख्य । अमरावती और पश्चिम बुलडाना और खानदेश बाज तबल अकोट जुझाऊ। चढ़ा कोप सब राजा राऊ। (जायसी) जिला अवस्थित है। मोरना नदोके किनारका अकोला अकोट-बरारके अन्तर्गत अकोला जिलेका एक ताल्लुक शहर इसका सदर और बरारके प्रधान दीवानी कर्मा- है। इसका क्षेत्रफल कोई ५१८ वर्ग-मौल है और इसमें चारियोंको अदालत उसी जगह बनी है। मालगुजारी २३० शहर और गांव बसे हैं। कपास और तरह-तरह देनको सुविधाके लिये यह जिला नीचे लिखे पांच का अन्न यहां बहुतायतसे उत्पन्न होता है। अरगांव, भागों में बांटा गया है, अकोला, अकोट, बालापुर, तिलवा और हौबरखेड़ यह तीन अकोटके बड़े-बड़े जलगांव और खामगांव। 1