पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४४३

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अनिमित्त-अनियारा यत्र वा। 'ख'के स्थानमें भी मूर्धन्य षकार लिखा जाता है; यह शब्द प्रधानतः देवताका विशेषण है; क्योंकि जैसे-वर्खा ( वर्षा ) और भाखा (भाषा) इत्यादि। उनकी आंख कभी नहीं झपकती। अनिमित्त (सं० वि०) नास्ति निमित्तं कारणं यस्य | अनिमेष (सं० पु.) नि-मिष-घञ् निमेषः, नास्ति १ अकारण, निमित्तशून्य, बेसबब, मतलब निमेषश्चक्षुः स्पन्दनं यस्य । १ मत्स्य, मछली । २ देवता, न रखनेवाला। (क्लो०) अभावार्थे नत्र-तत्। फरिश्ता। (त्रि.) ३ चक्षुके निमेषसे शून्य, जिसको २ कारणाभाव, बैसबबी; कारण या सबबका न आंख न झपके। रहना। (हिं० क्रि० वि०) ३ विना कारण, बेसबब, अनिमेषम्, अनिमिषम् देखो। भठ-मूठ। अनिमेषाचार्य (स• पु० ) अनिमेषाणां सुराणां आचार्य: अनिमित्तक (सं० त्रि०) कारणरहित, निमित्तशून्य, गुरुः, ६-तत्। वृहस्पति, देवतावोंके आचार्य । बेसबब, कोई गरज न रखनेवाला। अनियत (सं० वि०) न नियतम्। अनित्य, अनिमित्ततस् (सं० अव्य०) अकारण, बेसबब, झूठ-मूठ। गैरसुदामी, अस्थायी, नापायदार ; रूप, क्रम या अनिमित्तनिराकृत (सं० त्रि०) अकारण दूर किया नियम न रखनेवाला, जो बेशक्ल, बैसिलसिले या गया, जो बेसबब नामञ्जूर हुवा हो। बेकायदे हो। अनिमित्तलिङ्गनाश (सं० पु०) अक्षिरोग-विशेष, अनियतक्षा (स. स्त्री०) दुवृत्त स्त्री, बुरे चाल- 'जिससे पीड़ा होनेपर अन्धूतक हो जाते हैं, तोमार, चलनको औरत। तिरमिरा। अनियतवृत्ति (सं० त्रि.) नियमित नियुक्ति अथवा अनिमिष् (सं० स्त्री०) निमिष्-क्विप्, स नास्ति आय न रखते हुवा, जिसकी नौकरी या आमदनी यत्र। १ स्पन्दनशून्य दृष्टि, न झपकनेवाली नज़र। बंधी न हो। २ देवता। ३ मत्स्य, मछली। अनियनाङ्क (स० पु०) गणितमें समाप्त न होने अनिमिष (सं० पु०) न-मिष-क निमिषः ; नास्ति वाली संख्या, जो हिसाबको अदद पूरी न पड़े। निमेषो यस्य, बहुव्री०।१ मत्स्य, मछली। २ देवता, अनियतात्मन् (स' त्रि०) अपने आत्माको नियम फरिश्ता। ३ महाकाल । ४ विष्णु । देवतावोंकी आंख अथवा वशमें न रखनेवाला, जिसकी रूह कायदे या कभी नहीं झपकती, जिसका वर्णन नैषधमें दमयन्ती ताबेमें न रहे। के स्वयम्बर-स्थलपर कविने लिखा है। ५ सूक्ष्मकाल- | अनियन्त्रित (सं० त्रि०) न नियन्त्रितम् । १ अपरि- परिमाण, थोड़ी देरका समय । (त्रि०) ६ चक्षुस्पन्दन- चालित, न चलाया गया। २ उच्छृङ्खल, मन-- शून्य, आंख न झपकानेवाला। ७ चक्षु या पुष्पको माना। ३ अनियत, लामुकरर। ४ अनिवारित, भांति विकसित, आंख या फल-जैसा लिखा हुवा। बेरोक-टोक। अनिमिषम् (स' अव्य०) बेपलक मारे, आंख न अनियमक (सं० पु.) न नियमः, अभावार्थे नञ्-तत् । झपका कर, लगातार, बराबर । नियमका अभाव, विशृङ्खलता, कायदेका न रहना। अनिमिषा, अनिमिषम् देखो। २ दुराचार, बदचलनी। ३ अनिश्चय, शङ्का, अनिमिषाक्ष (सं० पु.)- टक-टको बांधे हुये व्यक्ति, शक्कोशुबह। (त्रि.) ४ नियमशून्य, बेकायदा । न झपकनेवाली आंखका शख्स । अनियमित (सं०वि०) नियम या नीति न रखते अनिमिषाक्षी (सं०. स्त्री०) अनिमिषाच देखो। हुवा, जो कायदे या कानूनसे न चलता हो, अनिमिषाचार्य, अनिमेषाचार्य देखो। बेकायदा, नियमविहीन । अनिमिषीय (सं.वि.) आंख न झपकानेवालेका | अनियारा (हिं० वि०) अनौदार, शानदार, नोकोला, सम्बन्धी, टकटको बांधनेवालेसे ताल्लुक रखनेवाला। पैना, तीखी धारवाला। (स्त्री०) अनियारी।