पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४५

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अक्खड़पन-अक्रिया ४३ 1 अक्खड़पन (हि० पु० ) १ मूर्खता। २ स्पष्टवादिता। उलटा-सीधा । (पु.) कमका अभाव। विपर्याय। ३ जिद्द । ४ कठोरता। बेतरतीबी। अक्खर (हि. पु० ) अक्षर । हर्फ.। वर्ण । इसीसे आखर अकुमसंन्यास (सं० पु०) वह सन्यास, जो पहले बना है और अक्षरके ही अर्थमें आता है। तीन आश्रमोंको यथावत् पालन किये बिनाही लिया अक्खा (हि० पु०) टाट या कम्बलका दोहरा थैला गया हो। ब्रह्मचर्य, गार्हस्थ्य और वानप्रस्थ आश्रमोंके या गोन, जिसमें अन्न आदि भरकर पशुओंकी अनन्तर संन्यासका लेना सक्रम-संन्यास कहाता है। पीठपर लादते हैं। खुरजी। पाखरौ। अक्रमातिशयोक्ति (सं० स्त्री.) अतिशयोक्ति। अर्था- अक्खोमक्खो (हिं. पुं०) दीपकको लौसे हाथ गर्म लङ्कारका एक भेद, जिसमें कारण के साथ हो कार्य करके बच्चे के मुखपर फेरना। यह एक प्रकारका टोटका हुआ करता है। यथा- है। स्त्रियां प्रायः दीपक जलाकर यह टोटका उठ्यो मत गज कर कमल, चक्र चक्रधर हाथ । किया करती हैं। इसका मन्त्र यह है- करते चक्र मुनक सिर, धरते विलग्यो साथ ॥ अक्वी मकवी दिया बरकवी। जो कोई मेरे बच्चेको तक। अकृव्याद (सं० वि०) कच्चा मांस । अनामिषाहारी। उसकी फट दोनो अक्वें । इत्यादि- जो मांस न खाता हो। अकोबर (October) अगरेजी वर्षका १०वां मास जो अकान्ता (सं० स्त्री०) एक पौधे विशेषका नाम । कटैया। आखिन मासमें पड़ता है। यह मूलमें रूमौ महीना वृहतौ वृक्ष। यह दो-तीन हाथ ही ऊंचा होता और है और ३१ दिनका होता है। इसके फूलमें रूखापन रहता है। इसका अङ्गरेज़ी वैज्ञा- अक्टर्लोनी, सर डेविड (Sir David Ochterlony) निक नाम सोलानम् इण्डिकम् (Solanum Indicum) यह दिल्लीके रेजिडेण्ट थे। सन् १८०४ ई० में है। यह पौधा देखने में बैंगनके पौधेकी भांति होता हुल्करने जब दिल्लीपर आक्रमण किया, तब उनको है, और इसकी डालियों और पत्तियों में कांटे रहते इन्होंने परास्त किया था। सन् १८१४ ई० के नैपाल हैं। इसका छोटासा फल पकनेपर हलदीको युद्धमें अँगरेजोंको ओरसे गुर्खा सेनापति श्रीअमर तरह पीला हो जाता, आकारमें बताऊर (वार्ता- सिंहजीक समक्ष इन्होंने बड़ी वीरता दिखलाई। कुर)के फलकी तरह रहता; किन्तु देखने में उससे कलकत्ताके मैदानमें इनका स्मारक चिन्ह मनुमेण्ट छोटा होता है। इसका गुण ज्वरघ्न, और पित्तनाशक (monument) प्रतिष्ठित है। है। पाचकयोगोंमें वैद्यलोग इसका व्यवहार करते अक्त (सं० त्रि०) अञ्ज-त । (उण ३२८८।) १ व्याप्त । हैं। हलके ज्वरमें ; विशेषतः पेटमें बड़े-बड़े कोड़े युक्त। संयुक्त। लिप्त। ३ सफल। ४ भरा हुआ। हो जानेसे मूलौके पत्तोंका रस एक झिनुक, ५ रंगा हुआ । * । यह प्रत्ययकी भांति अन्य शब्दों के (अङ्गरेजी ३ ड्राम ; हिन्दो, आध तोलेसे कुछ कम, साथ जुड़कर हिन्दी में काम आता है। यथा-तैलाक्त, अनुमान सात आनाभर) वहतोके पत्तों का रस आध विषाक्त, व्यक्त। झिनुक और विडङ्गका चूर्ण १० रत्ती एकमें मिलाकर अक्ता (सं० स्त्री०) रात्रि। वेदोंमें इसी शब्दका अधिक सेवन करनेसे विलक्षण फल देखा जाता है। रक्त प्रयोग है। दूषित हो जानेपर बहुत लोग बहती अर्थात् कटयेका अक्तूबर-अक्टोवर देखो। फल पकाकर भोज्नके साथ खाते हैं; लेकिन ठीक- अक्व (सं० क्लो०) वर्मा। ठीक कोई उपकार होते नहीं देखा गया। अक्र (सं० त्रि०) स्थिर। अकिय (सं० वि०) कियारहित । निकम्मा । निठल्ला । जो अक्रतु (सं० त्रि०) सङ्कल्परहित । कर्म न करे। निश्चेष्ट । जड़ । स्तब्ध । अक्रम (सं० त्रि०) क्रमरहित। व्यतिकम। अंड-बंड, अकिया (स० वी०) अप्रशस्त कर्म। अवैध किया।