पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४५३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 पासको जगह। अनुकनीयस–अनुकल्प पर्वत हरिद्वारके निकट आज भी वर्तमान है, लोग ३ साधु, फ.कौर। ४ दूत, संवादवाहक, कासिद, कहते कि कनखल और हरिकी-पैड़ी-इन सकल हरकारा। स्थानों में दक्षराजको राजधानी रही थी। देखते हैं,- अनुकरण (सं० लो०) अनु सादृश्ये क-ल्युट। "तस्मादृगच्छे रनुकनखल शैलराजावतीणाम् । अव्यक्तानुकरणस्यात् इतौ। पाहा १ सदृशीकरण, बरा- जनौः कन्यां सगरतनयस्वर्गसोपानपंक्तिम् ॥” (मेघदूत, पूर्वमेघ ५१) बरका बनाना, नकल। २ अनुकरण निकालनेका हरिवंशमें भी इस कनखलका नामोल्लेख निकलता द्रव्य, जिस चीज़से नकल बनायी जाये। है,-"गङ्गाहार' कनखल सोमो वै यव सस्थितः ।" व्याकरणके मतमें अनुकरण दो प्रकार देखते अनुकनीयस (संत्रि०) छोटेसे छोटा, लड़केसे हैं,-शब्दानुकरण और अर्थानुकरण। जहां अर्थ- भी लड़का। रहित किसी शब्दका अनुकरण करते, वहां शब्दानु- अनुकम् (सं० अव्य०) अनुकामयते, अनु-कम-क्किए । करण निकलता है। फिर, अर्थविशिष्ट अनुकरण १ पोछ। २ उसपर। ३ फिर। ४ आगे। ५ तब । अर्थानुकरण कहलाता है ६ दूसरे। ७पर। ८को। से। १० पास। | अनुकरणीय (सं० त्रि.) अनुकरण निकालने योगा, ११ तफ। १२ नियम या कायदेसे। १३ साथ। नकल उतारने काबिल। १४ बगल में । १५ इधर-उधर । १६ नीचे। अनुकर्ता (सं० पु.) १ अनुकरण करनेवाला, अनुकम्पक (सं० त्रि०) अनुकम्पते दयते, अनु-कम्प- नक्काल। २ आदेशानुयायी, हुक्म माननेवाला। खुल । १ दयालु, रहीम। (पु०) २ नृपतिविशेष, | अनुकर्ण (सं० ली.) कर्ण के निकटका स्थान, कानके किसी राजाका नाम। अनुकम्पन (सं० त्रि.) अनु कम्प-युच् । चलन- अनुकर्ष (सं० पु०) अनुवष्यते रथतलेन सम्बध्यते, शब्दार्थादकर्मकात् युच । पा २२॥१४॥ १ दयाशील, मेहर- अनु-वष-घ। १ रथका तल, गाड़ीका पेंदा। २ रथ- बान्। (क्लो०) भावे ल्युट्। २ दया, कपा, रहम, चक्रके नीचे बंधा रहनेवाला काष्ठ, जो लकड़ी गाड़ीके मेहरबानी। पहियेमें नीचे लगी रहती है। अनु-कृष-घञ् । अनुकम्पा (सं० स्त्री०) अनु-कम्य-अ।१ दया, कपा, ३ आकर्षण, कशिश, खींच। ४ विलम्बका कार्य- रहम, मेहरबानी। दुःखसे अन्यको कांपते देख सम्पादन, देरसे फर्जका अदा होना। ५ आवाहन, दयावान् व्यक्ति दयासे निजमें कांपने लगता है। पुकार, मन्त्रसे बुलाया जाना। ६ व्याकरणका इसीसे दयाका नाम अनुकम्पा पड़ा है। २ सहानु आकर्षण, नहवको कशिश ।। पूर्व सूत्रमें परका भूति, तरस। ३ किञ्चित् चलन, हलकी हरकत । संमिलन, पहले कायदे में पीछेका शामिल रहना। ४ अल्प कम्पन, थोड़ी कंपकंपी। ८ उत्सवके पश्चात्का घसिटना, जलसे के पीछेका अनुकम्पायिन् (स• त्रि०) दया दिखाते हुवा, कृपा रह जाना। करते गया, सहानुभूति सकारनेवाला, हमदर्द, जो अनुकर्षण ( स० ली.) अनु-कष-भावे ल्युट । तरस खा रहा हो। १ आकर्षण, कशिश, बैंचतान। २ पूर्व वाक्यमें कुछ अनुकम्पितात्मन् (सं० वि०) दयाशौल हृदयवाला, उक्त रहते स्पष्ट अन्वयके निमित्त पर वाक्य में किसी जिसका दिल हमदर्दीसे भर जाये। पदादिका आयोजन, पहले जुमले में कुछ कहा हुवा अनुकम्पनौय, अनुकम्प देखो। रहते साफ, बयान्के लिये दूसरे जुमलेमें किसी अनुकम्पा (स.वि.) अनुकम्पमर्हति, अनु-कम्य फिकरे वगेरहका जोड़। ३ रथका तल, गाडीवाला ण्यत् । १ त्वरायुक्त, वेगवान्, जल्दबाज़, दौड़ने- पेंदा। वाला। २ दयाके योग्य, रहम खाने काबिल। (पु.) अनुकल्प (स पु०) कल्पते विधीयते, कल्यो विधिः । ७