पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४५६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

-नाम 1 अनुक्रान्त-अनुगन्तव्य ४४६ यजुर्वेदको तीन अनुक्रमणी हैं,-एक आत्रेयो, एक दिया जानेवाला पारिश्रमिक, जो उजरत उड़ोसमें चारायणीय और एक माध्यन्दिन शाखाको। आत्रेयी मन्दिरके नौकरको मिलती है। अनुक्रमणीमें लिखा, कि वैशम्पायनने वह अनुक्रमणी अनुखञ्ज (सं० पु०) प्रदेशविशेष, किसी मुल्कका यास्कको दी थी। यास्कके हाथसे यह तित्तिरिको मिली। इसी तरह तित्तिरिसे उक्ष और उक्षसे आत्रेय- अनुख्याति (सं० स्त्री०) आविष्कार करने अथवा ने इसे पाकर पद-रचना फैलायी है। संवाद देनेका कार्य, ईजाद निकालने या खबर लगाने- सामवेदको अनुक्रमणो दो प्रकारको है। इसमें की बात। एकका 'नैगेयानामृवार्षम्' और दूसरोका 'नेगेयाना- अनुख्याल (सं० पु०) आविष्कार करने अथवा मृक्षुदैवतम्' नाम है। कोई कोई अनुमान अड़ाते समाचार सुनानेवाला व्यक्ति, जो शखूश ईजाद निकाले हैं, कि शेषोक्त अनुक्रमणी अधिक दिनको नहीं बनी। या ख़बर लाये। अथर्ववेदको केवल एक अनुक्रमणो मिलती, जिसे अनुग ( स० त्रि. ) अनु पश्चाद् गच्छति, अनु-गम- बृहत्सर्वानुक्रमणो कहते हैं। यह झगड़ेको बात ड। १ पश्चाद्गामी, पीछे-पीछे चलनेवाला। २ सह- है, कि सिवा उसके उस समय अथर्ववेदको दूसरो चर, सेवक, साथ रहने या खिदमत उठानेवाला । अनुक्रमणी थी या नहीं। बृहत्सर्वानुक्रमणी दश- अनुगङ्ग (सअव्य० ) गङ्गायाम् विभक्त्यर्थेऽव्ययो। पटलमें समाप्त पड़ी है। अथर्ववेद-संहिताके यावतीय गङ्गामें, गङ्गाके पास । विषयको तालिका इसमें अतिस्पष्टरूपसे दी गई है। अनुगणित ( स० त्रि०) गिना हुवा, जिसका शुमार अनुक्रान्त' (सं० वि०) संसाधित, पठित अथवा लग गया हो। नियमितरूपसे कृत, पहुंचा, पढ़ा या कायदेसे अञ्जाम अनुगणितिन् (सं० वि०) गिने हुवा, जिसने शुमार दिया हुवा।। बांध लिया हो। अनुक्रिया. ( स० स्त्री०.) १ अनुकरण, नकल । अनुगत (सं० वि०) अनु-गम-त । १ पश्चाद्गगत, पौछे २.पिछली रस्म । पहुंचा हुवा। २ आश्रित; मातहत। ३यथाक्रम- अनुक्रो ( स० पु०.) अनुक्रियते, अनु-कई किच्च । गत, सिलसिलेसे चला। ४ संग्रहीत, पकड़ा गया। १ सद्यस्क नामक यज्ञ। २ पिछली रस्म या चाल। -५ अखिल, समूचा। ६ विशेष, खास। ७ अधीन, अनुक्रोश (सं० पु.) अनुक्रोशति अनेन, अनुक्रुश- ताबदार। (लो)८ संगीतका समान समय, जो आह्वाने रोदने च घञ्। १ करुणा, कृपा, रहम, वक्त गानेमें कम-ज्यादा न मालूम हो। तरस ।-कपादयानुकम्पास्वादनुक्रोश::(अमर) (त्रि०) अनुगतार्थ (सं० वि०) आ गये हुये अर्थका, जिसका 'अनुगतं क्रोशम्, गति-स० । . २ एक कोस चला हुवा, मानी मिलता हो। जो दो मील राहं निकल गया हो। अनुगति (सं० स्त्री०) अनु-गमःक्तिन् । १ अनुगमन, अनुक्षण - (सः अव्य) वीप्सायां अव्ययौ । १ प्रति पश्चाद्गमन, पीछे रहनेकी चाल । २ अनुकार, क्षण, हरवक्त, पल-पल । २ अनवरत, लगातार । नकल। ३ मृत्यु, मौत। (त्रि०) अनुगतं क्षणम्, गति-स । चिरकाल रहने- अनुगतिक संपु०) १ पश्चादंगामी व्यक्ति, पोई -वाला, जो हमेशा बना रहे। पड़नेवाला शख श। २ अनुकरण निकालनेवाली, अनुक्षत्तु (सं० पु०.).. हारपालक या सारथीका ‘नकाल! सहायक, दरबान या गडीबानका हाज़िरबाश। अनुगन्तव्य (सं० त्रि.) पश्चाद्गमन लगनि योग्य, अनुक्षप (स' अव्य.) रात-रात, कई रातों। पोछे-पीछे जाने काबिला २ अनुकरण करने योग्य, अनुक्षेत्र (स' क्लो०) उड़ीसमें मन्दिरके भृत्यको जो नकल उतारने लायक हो। 113 ""3