पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४५७

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रहे। गयी है। ४५० अनुगम-अनुग्र अनुगम (सं० पु.) अनु-गम-अप्। १ पश्चाद्गमन, ३ सहवास या सम्भोग सांटनेवाला, जो शहवत जीवन या मरणका सङ्ग, पौछका जाना, जीने या लगाये। (स्त्री० ) अनुगामिनी। मरनेका साथ। २ विधवाका सती होना, बेवा औरत- अनुगामी, अनुगामिन् देखो। का अपने मरे खाविन्दके साथ जल जाना। अनु- अनुगामुक (सं० त्रि०) स्वभावत: अथवा अनवरत करण, प्राप्ति, नकल, पहुंच। न्यायमें सामान्य धर्म पश्चाट् गमन लगाने या सङ्गमें रहनेवाला, जो आदतन हारा विशेषरूप सकलका संग्रह अनुगम कहाता या हमेशा पोछे चले या साथ रहे। है। जैसे–“सर्वेषां घटानामनुगमो घटत्वम् ।” अर्थात् सामान्य | अनुगिरम् (सं० अव्य० ) पर्वतपर, पहाड़के ऊपर। 'घटत्व' धर्म कहनेसे नील, पौत प्रभृति सकल घट | अनुगौत (सं० पु०) छन्दोविशेष, एक किस्मका समझ जाते हैं। इसीतरह नरवरूप धर्मको निर्दिष्ट बहर। बनानेपर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, यवन प्रभृति अनुगौता (सं० स्त्री०) महाभारतका भाग विशेष । सकल जातिके मनुष्यका मतलब निकलता है। अश्वमेधपर्वकै १६वें से ८२ वें अध्यायतक अनुगौता अनुगमन (सं० लो०) अनु-गम-भाव ल्युट । अनुगम देखो । अनुगम्य, अनुगन्तव्य देखो। अनुगीति (सं० स्त्री०) छन्दोविशेष, एक तरहको अनुगर्जित (स० क्लो०) गर्जती गूंज, गड़गड़ाती बहर। इसमें दो पद रहते, प्रत्येक पदमें सत्ताईस हुयी बाज़गश्त । और बत्तीसके क्रमसे मात्रा मिलाते हैं। अनगव (स० क्लो०). गोः सदृश आयामः । अनुगु, अनुगु (स० अव्य०) गोके पश्चात्, गायबैलके पीछे । ततो निपातने अच् । अनुगवमायामे । पा ५।४।८३॥ १ गो- अनुगुण (सं० त्रि०) अनुकूलो गुणो यस्य । १ सम- परिमित शकट, गायके बराबर गाड़ी। (अव्य.) गुणविशिष्ट, हमसिफत, हमवस्फ, जिसका गुण २ गोके अनुकूल होनेपर. गायके मुवाफिक बराबर रहे। २ सुयोग्य, काबिल। (अव्य) रहनेसे । ३ खभावतः, प्रकृत रूपसे, कुदरतन्, अपने गुणके अनुगवीन (सं० वि०) गो: पश्चाद अनुगु पर्याप्त अनुसार। (पु०) ४ स्वाभाविक गुण, कुदरती गच्छति-ख। अनुग्वलं गामीति। पा५।२।१५। सिफत, जो गुण आप ही आप आया हो। ५ काव्या- पश्चादगामी, गायके पीछे जानेवाला.) (पु०) २ गो लङ्गार विशेष। इसमें किसी द्रव्यका पहला गुण समूह, गाय-बैलका झण्ड। अपने जैसे दूसरे के मिलनेसे निखरता है,- अनुगा (सं० स्त्री०) एक अप्सरसका नाम, किसी "नयन तिरौछे चले कुटिल अलकके सङ्ग। अधरन छवि अवलोकिकै बदन अरुण लहि रङ्गः ॥" अनुगाङ्ग (सं० पु०.) गङ्गातीरका प्रदेश, जो मुल्क अनुगुप्त (सं० त्रि०) अनु-गुप रक्षणे त । १ आच्छा. गङ्गाके किनारे बसा हो। दित, ढंका हुवा। २ प्रावरणयुक्त, जिसपर परदा अनुगाढ (सं० वि०) मग्न, गर्क, डूबा हुवा, जो पड़ा हो । ३ अप्रकट, पोशीदा, छिपा हुवा। ४ रक्षित, डुबकी लगाये हो। महफूज़। अनुगादिन् (सं० वि०) अनुगदति, अन-गद णिनि। अनुग्रहीत (सं० वि०) अनु-ग्रह-त । यहिज्यावयिव्यधिवष्ठि- अनुगादिनष्ठक् च । पा ५।४।१३। अनुवादक, तरजुमा बनाने- विचतित्यतिपृच्छतिभृचतौनां ङिति च । पा ६१।१५। १ अनुग्रहयुक्त, वाला, वचनमें पश्चाद्गमनशील, जो पीछे-पीछे एहसान्मन्द। २ अनुग्रहपात्र, उपकृत, जिसपर बात बताये। मेहरबानी दिखायी गयो हो। ३ पश्चाद् रक्षित, अनुगामिन् (सं० त्रि०), अनुगच्छति, अनु-गम-णिनि । पोछे हिफ़ाज़त किया गया १ पश्चाद्गामी, पोछे चलनेवाला । २.सहचर, जो साथ अनुग्र (सं० वि०) न उग्रम् । अनुद्दत, अनुदगूर्ण, १ गोका परीका इस्म ।