पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४६३

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४५६ अनुदात्तोदय-अनुवृत जिसके अनुबन्धमें अनुदात्त उच्चारण यह बतानेको अनुदेयी (स. स्त्री० ) परिवर्तन, पलटा, एवज रहता, कि वह केवल आत्मनेपदमें आता है। जो चौज़ किसी दूसरी चीज़के लिये देना पड़े। अनुदात्तोदय (सं० ली.) वह शब्दखण्ड जिसमें अनुदेश (सं० पु०) अनु पश्चात् अनुदिश्यते, अनु- बोलते हो अनुदात्त स्वर लगता है। दिश-घञ् । ययास'ख्यमनुदेश: समानाम् । पा १।३.१०। १ पश्चात् अनुदात्तोपदेश, अनुदात्तेय देखो। उच्चारण, पिछला तलफ़फुज। २ उपदेश, तालीम। अनुदार (सं० वि०) न उट्-आ-रा-क। १ अदाता, ३ किसी पहली चीज़का हवाला। अनुदिश्यते, दाता नहीं, न देनेवाला, जो फैयाज न हो। कर्मणि घञ् । ४ उपदेश्य, सिखाया जानेवाला। २ अमहत्, जो बड़ा न रहे। ३ असरल, टेढा। अनुदेशिन् (सं० वि०) १ पश्चाद् सङ्केत करते हुवा, ४ अदक्षिण, खिलाफ, उलटा। (पु.) नास्ति उदारो जो पौधे का हवाला दे रहा हो। २ अनुदेशका विषय यस्मात्, नञ् ५-बहुव्री। ५ अतिदाता, निहायत बनते हुवा, पिछले कायदेपर कायम होनेवाला। फैयाज। ६ अतिमहत्, निहायत आला। ७ अति- अनुदेह (सं० अव्य०) देहसे पश्चात्, जिस्मके पौछ । सरल, बहुत सौधा। ८ अतिशय वाञ्छापूरक, अनुदैर्घा (स० त्रि०) प्रशस्त, लम्बाचौड़ा, तूलानी, खाहिशको खूब पूरा करनेवाला। अनुगतो जो खू ब बढ़ा या फैला हुवा हो। दारान्, अतिक्रा० स०। स्त्रीके अनुगत, औरतका | अनुद्गौण (स त्रि०) १ वमन न किया गया, जो ताबदार। के न हुवा हो। २ घणा न किया हुवा, जिससे अनुदित (सं• त्रि०) उद्-इण-क्त, न ईषत् उदितः नफरत न दिखायी गयी हो। ३ ठोकर न लगाया (सूर्यः) यस्मिन् काले, ईषदर्थे नञ्-बहुव्री० । गया, जिसपर लात न पड़ी हो। १ अरुणोदयकाल, पौ फटनेका वक्त, जिस समय | अनुद्देश (सं. पु. ) न उद्देशः, अभावार्थे नञ् तत् । पूर्वदिक्में ईषत् सूर्यकिरण चमकता और दो एक १ उद्देशका अभाव, मतलबका न रहना। २ जिसका नक्षत्र भी देख पड़ता है।-'उदिते जुहोति अनुदिते जुहोति' कोई अनुसन्धान न निकले, खोजसे खाली। (श्रुति) (त्रि.) नज-तत्। २ उदित नहीं, न निकला अनुद्धत (स० त्रि.) न उद्दतम्, विरोधार्थे नत्र - हुवा, जो देख न पड़ा हो। वद-क्त, नज-तत् । तत्। विनययुक्त, जो उद्दत न हो, अनुग्र, शान्त, ३ अकथित, न कहा गया। सौम्य, ऊंचा न उठा हुवा, हलीम। अनुदिन (स० अव्य०) वीप्सार्थे अव्ययौ । प्रति अनुद्धरण (सं० लो०) न उद्धरणम्, अभावार्थे नत्र- दिन, प्रत्यह, रोज-ब-रोज, दिन-दिन। तत्। १ उद्धारका अभाव, छुटकारका न मिलना। अनुदिवस, अनुदिन देखो। २ दान, प्रतिष्ठा अथवा प्रमाणका न होना, बख शिश, अनुदिशम् (सं. अव्य०) प्रत्येक प्रान्तमें, हर ओर, बन्दिश या सुबूतका न रहना। चारो तर्फ.। अनुदर्ष ( स० पु.) उद्धर्षका अभाव, उद्देगका न अनुदृष्टि (सं० स्त्री०) अनुगता दृष्टि अनुकूला वा उठना, घबराहटका पैदा न होना, शान्ति, दृष्टिः, अतिक्रा०-तत्। १ अनुगत दृष्टि, अनुकूल दृष्टि, अमन-चैन। नेक नज़र, मेहरबानीको निगाह । २ अनुदृष्टिनेय, अनुद्धार (स'. पु.) उद्-व-घन; न-उद्धारः पुरखन। (त्रि०) ६-बहुव्री । ३ अनुगत अथवा नत्र-तत्। १ उद्धारका प्रभाव, छुटकारेका न पाना। अनुकूल दृष्टि विशिष्ट, नेक नजर रखनेवाला, जो (त्रि.) नास्ति उद्धारः ज्येष्ठादि लभ्यांशो यत्र, मेहरबानीको निगाह रखे। नञ् -बहुव्री। २ विंशोद्धारादि रहित, बौस. अनुदेय (सं० त्रि०) वापस या पीछा दिया जाने छुटकारसे खाली। वाला, जो वापस या पौछा पहुंचाया जाये। अनुवृत (स त्रि०) न उद्धृतम्, नत्र-तत्। १ उद्दार