पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४६४

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अनुवृताभ्यस्तमय-अनुध्या ४५७ न न किया गया, जिसे छुटकारा न मिला हो। (लौ०) ३ मात्राका चतुथ कालविशिष्ट ताल- आलोड़नादिना केनापि प्रकारेण सारांशोत्यापित विशेष, गानेका एक पैमाना जो आधे द्रुत या यस्मात्, नञ्-बहुव्री। २ मन्थनादिद्दारा सारांश न चौथाई मात्राका होता है। ४ घसीट, जल्द-जल्दका निकाला गया।-पयोऽनुड तसारच हविष्यान्न प्रचक्षते ।' (स्म ति) लिखना । ललितविस्तरके दशवें अध्यायमें लिखा है,- ३ अनाहत, जखम न खाये हुवा, जिसके चोट न 'बोधिसत्व कुछ बड़े होनेसे पाठशालामें लिखना लगी हो। ४ अप्रदत्त, न दिया गया। ५ अविभाजित, सौखने भेजे गये थे। कपिलवस्तुमें विश्वामित्र नामक न बंटा हुवा। ६ अप्रमाणित, जिसका सुबत न कोई गुरुमहाशय (दारकाचार्य ) रहे। बुद्ध उन्हींको मिला हो। पाठशालामें पहुंच चन्दनको पट्टीपर लिखने लगे। अनुद्द ताभ्यस्तमय (सं० पु.) सूर्यास्त होनेपर गाह उसके बाद उन्होंने गुरुमहाशयसे पूछा-आप मुझसे पत्यमें जो आहवनीय अग्नि रहे। क्या लिखायेंगे-अङ्गदेशके अक्षर, या वङ्गदेशके, अनुद्भट (सं० त्रि.) सौम्य, शान्त, अनुग्र, जो उद्भट या मगधके, या अनुद्रुत ?' (इसोतरह चौसठ प्रकारके न हो, सादा, हलीम, बेजोम । अक्षरका विषय लिखा है।) मालूम होता, कि अनुद्य (सं० त्रि.) उच्चारणके अयोग्य, तलफफुजके | अनुद्रुत शब्दसे घसीटका ही मतलब निकलता है। नाकाबिल, जो बोला न जा सके। अनुद्दाह ( स० पु०) न-उद-वह-भावे घन; नञ्-तत् । अनुद्यत (स त्रि०) उद्यमविहीन, नाकाम, अलस, विवाहका अभाव, शादोका न सजना। (वि०) सुस्त, धैर्यरहित, बेसब्र, जो अपने कामपर खड़ा २ विवाहशून्य, बैशादी, जिसकी भांवर न भरौ हो। न हो अनुद्दिग्न (स० त्रि०) न उद-विज्-त, विरोधे नञ्-तत् । अनुद्यमी, अनुद्यत देखो। उद्विग्नभिन्न, अव्याकुल, जो चिन्तित या उद्देगयुक्त न अनुद्यूत (स० क्लो०) अनु-दिक्क्त। १ पुनर्वार पाश हो, न घबराया हुवा, जो फ़िक्रमें न पड़ा हो, क्रीड़ा, एक बार जुवा खेल फिर जुवा खेलना। खुशदिल। २ महाभारतवाले सभापर्वके अन्तर्गत पर्वविशेषका | अनुद्देग (सं० पु०) उद-विज्-चत्र , न उद्देगः, नाम। अभावार्थे नञ्-तत् । १ उद्देगका अभाव, घबराहटका अनुद्योग (स० पु.) न उद्-युञ्-भावे घञ्, अभाव न घरघराना। (त्रि.) २ उद्देगशून्य, बेफिक्र, जिसे नञ्-तत्। उद्योगका अभाव, कोशिशका न होना। खटका न लगा हो। (त्रि.) नत्र -बहुव्री। २ उद्योगरहित, कोशिश | अनुगकर (सं० वि०) उद्देग न उत्पन्न करनेवाला, न करनेवाला। जो घबराघट न पैदा करे। अनुद्योगिन् (सं० त्रि.) . उद्योगशून्य, कोशिश न | अनुधावत् (स'• त्रि०) पश्चाद् गमन लगाते हुवा, करनेवाला, सुस्त, नाकाम । जो पीछे-पीछे दौड़ रहा हो। अनुद्र (स० वि०) अनुदक, बे-पानी, आबसे खाली, | अनुधावन (सं० लौ०) अनु पश्चात् धाव-ल्य ट। जहां या जिसमें पानी न पाया जाये। १ पश्चाद्गमन, पौछका चलना। २ तत्त्वनिश्चयको अनुद्रष्टव्य (सं० त्रि०) १ देखे जाने योग्य, जो नज़र चेष्टा। ३ अनुसन्धान, खोज, लूंढ-ढपक । ४ शुद्धि, आने काबिल हो। सफाई, मैलका छुड़ाना। अनुद्रुत (स• त्रि०) अनु-ट्ठ-क्त । १ अनुगत, आगे | अनुधावित (संत्रि०) पौछा किया गया, जिसके २ पश्चाद् गत, पीछे पहुंचा। यथा,- पीछे कोई पड़ा हो। "अनुद्रुतः संयति येन केवलम् अनुध्या (सं० स्त्री०) अनु-ध्ये अङ । १ शुभानु- बलस्थ शव : प्रशशंस शीघ्रताम् ।" . (माघ ०५२) चिन्तन, मङ्गलचिन्ताका चढ़ना, भलाईका खयाल, 115 आया।