पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४७२

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क+घ होता; ख घ ग-घ क-ख क+ख ख ख घ घ क+ख ग+घ + ग+घ ध पू २ अनुपात-अनुपातक ४६५

  • यदि, क : ख :: ग : घ आये, तो क+ख : क गा), एक मिनटमें गोला दागना वारमें कम पड़नेसे

ख:: ग+घ : ग-घ निकलेगा। कारण, पहले तीप अधिक चाहिये-(बाकी न बदलेगा); अब क+ख बता चुके हैं, कि और समस्त राशि बदल जानेसे, तोपको संख्या x सैन्यसंख्या x x पड़ता; इसलिये १ र मिनटमै दागुनकी संख्या ; इसलिये, २७०४ लगता ; अर्थात् क-ख- रहता; जिससे, 3 क+ख : क-ख:: ग+घ: ग-घ बनता है। X : ५०.४ 1 :: १० : अ ।.. ज=२०॥ इस सूत्रके अनुसार अनेक जटिल और दीर्घ समी- करणका अझ सरल और लघु उतरता है। यथा स्थानविशेषसम्बन्धे सदृशः पात: पतनम् । २ नाड़ी- ड+क+(२ङक+कर) मण्डल अथवा विषुवरेखासे (Equator) पृथिवीके २ =खर होता है: 'क' ङ+क-(२ङक+कर). किसी स्थान विशेषका दूरत्व, जो दूरी ज़मीनको किसी को निकाल डालिये। जगह खते इस्तवेसे वाका हो। स्थान-विशेष निरक्ष- ऊपर लिखे सूत्रके अनुसार, रेखासे उत्तर पड़ने पर उत्तर-निरक्षान्तर और दक्षिण- ड+क खरे+१ रहनेसे दक्षिण-निरक्षान्तर कहाता है। (२ङ.क+कर) खर-१ बना, समीकरण एक- ३ पश्चात्पतन, पीछेका गिराव। अनुगतः पातम् । बारगी ही इतना लघु पड़ गया। ४ राहुरूपग्रहविशेष, जो खास तारा राहु-जै सा रहता समानुपात द्वारा राशिक और बहुराशिक अङ्क (अव्य०) अनु-पत्-णिच-णमुल् । ५ पश्चात् निकाला जा सकता है। पात करके, पोछे गिरकर । "लतानुपातं कुसुमान्य रङ्गात् ।" (भट्टि २०११) यदि प्रत्यह ६ घण्टे काम कर र आदमी १० दिनमें ३० बौधे ज़मीन जोत सकते, तो ४० बौघे ज़मोन | अनुपातक (सं० क्लो०) पातयति नरकं प्रेरयति, पातकं ; अनु ब्रह्महत्यादि महापातक- जोतने में कितने आदमी लगेंगे? सदृशं पातकम्, प्रादि-स०। महापातक सदृश पाप- इस स्थानमें उभय पक्षपर हो समयका तारतम्य विशेष, जो पाप बहुत बड़े पापंको बराबर हो। अनु- नहीं मिलता, इसलिये समय छोड़ देनेसे ऐसा अनुपात पातक कई प्रकारसे पड़ता है,- श्राता है,- १, नौचजाति होकर अपनेको उच्चजाति बताना। ३० बीघा : ४० बीघा ::८:३० १२ आदमौ। २, राजासे वह दोष जाके कहना, जिसे खोलनेसे दश तोप, पांच मिनटमें पर्यायक्रमसे ३ दफे गोला प्राणदण्ड तक मिल सके। ३, गुरु लोगोंका मिथ्यादोष दाग़ यदि २७० सिपाही डेढ़ घण्टेपर मार डालती, रटते रहना। यह तीनो ब्रह्महत्याके बरावर पातक तो ६ मिनट पर्यायक्रमसे ५ दफ गोला दाग सकने होते हैं। पर कितनी तोपसे एक घण्टेमें ५०० सिपाही खेत १, वेदत्याग किंवा वेद पढ़के भूल जाना। २, वेदको निन्दा निकालना। ३. उलटी बात बता मान लो, अ तोपको संख्या है; इस जगह इधर-उधर साक्षी देना; यह दो प्रकारका होता राशि इस क्रमसे बदलती है, है,-पहले किसी विषयको समझकर छिपाना, दूसरा वध्य सैन्य अधिक रहनेसे तोप भी अधिक होना सत्यको दबा मिथ्या बोलना। ४, बन्धुका प्राण ले चाहिये-(बाकी न बदलेगा) अल्प समयके मध्य लेना। ५. विष्ठादिजात द्रव्य खाना । ६, अखाद्य पेटमें मारनेको तोप अधिक दरकार है-(बाको न. बदले डालना। यह छः पातक सुरापानके समान है। 117 पत्-णिच्-खुल ४.xe रहेंगे ?