पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४७४

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यह लोग अनुपूर्वज–अनुप्ररोह अनुपूर्वज ( स० वि०) नियमितरूपसे उत्पन्न, जो वासस्थान महिसूरमें था। बिगडी हुई कनाड़ी बाकायदा पैदा हुवा हो। भाषामें यह लोग वार्तालाप करते हैं। अनुपूर्वदंष्ट्र (स० त्रि.) नियमित दन्तविशिष्ट, हिन्दू जातीय शैव और वैष्णव दो संप्रदायमें विभक्त कायदेके दांत रखनेवाला, जिसके दांत ठीक-ठौक हैं। ब्राह्मण वैष्णवोंका पौरोहित्य चलाते हैं। किन्तु बने हों। शैव संप्रदायके लोग क्रिया-कर्ममें ब्राह्मण पुरोहितको अनुपूर्वनाभि (स० पु०) नियमिताकार नाभिविशिष्ट नहीं लगाते। इन लोगोंमें विधवा विवाह प्रचलित व्यक्ति, जिस शख्सको तोंदी बाकायदा बनी हो। है। किन्तु व्यभिचारिणी स्त्री पतिके छोड़ देनेपर अनुपूर्वपाणिलेख (स० त्रि.) नियमित हस्तरेखा भी उसके जीते-जी पुनर्विवाह नहीं कर सकती। विशिष्ट, जिसके हाथको लकौर बाकायदा पड़ो हो। अन्यजातीय पुरुषके साथ किसी स्त्रीका व्यभिचार अनुपूर्ववत्सा (सं० स्त्री०) नियमित रूपसे वत्स लगनेपर उसको जातिच्युत कर देते और उसे मरी उत्पन्न करनेवाली गो, जो गाय कायदेसे बच्चा जने । समझ अनेक प्रकारका क्रियानुष्ठान उठाते हैं। अनुपूर्वशस् (संअव्य०) १ नियमित क्रमसे, बंध इस उपलक्ष्यमें एक जोवित बकरा पृथ्वीमें गाड़ दिया सिलसिलेपर। २ प्रथमतः, पहलेसे, प्रारम्भमें, जाता है। 'शुरूपर। अनुप्रदान (सं० लो०) अनुप्रदीयते अनु-प्र-दा-करणे अनुपूर्वेण, अनुपूर्वशस् देखो। ल्यु ट्। १ वर्णोत्पादनके निमित्त वाह्यप्रयत्नविशेष, अनुपूर्व (सं० त्रि०) नियमित, क्रमबद्ध, बाकायदा, हर्फ निकालनेके लिये बाहरी खास तरकीब । सिलसिलेवार। "एते श्वासानुप्रदाना अघोषाश्च विवखते ॥" (भट्टीजि) अनुपृक्त (सं० त्रि०) सम्मिलित, मिला हुवा । २ दान, बखू शिश। अनुपृष्ठय (सं० त्रि.) १ पोठपर बंधा हुवा, जो अनुप्रधावित (सं० वि०) पौछे दौड़ते हुवा, उत्कण्ठित, पुश्तपर लगा हो। २ विशेष दीर्घ, ख ब लम्बा। जो जल्द जा रहा हो, खाहिशमन्द । अनुपेत (स० वि०) न उपेतम् । उपनयनके निमित्त अनुप्रपन्न (सं० त्रि०) पश्चाद्गत, पीछे पड़ा हुवा, गुरुके निकट अनुपस्थित, जो जनेऊके लिये गुरुके पिछलगा। पास न पहुंचा हो, यज्ञोपवीतरहित, जनेऊ न अनुप्रपातम् (सं० अव्य०) क्रमानुसार जाते हुये, किया गया। जिसमें सिलसिलेसे चल रहे हों। अनुपोषण (सं० लो०) खाना-पीना, उपवासका न अनुप्रपादम्, अनुप्रपातम् देखो। उठाना, फाके का न फैलाना, खाते-पीते रहनेको | अनुप्रमाण (स'० त्रि०) अनुयायी प्रमाण हालत। दैर्घ्य विशिष्ट, मकबूल मिकदार या लम्बान रखने- अनुप्त (सं० त्रि.) न उप्तम्, वप-क्त । बोया न वाला, जो ठीक तौरसे भरापूरा या लम्बा हो। गया, बे-बोया हुवा, जिसका वीज न पड़ा हो। अनुप्रयुज्यमान (सं० वि०) योगमें लगाया गया, अनुप्तशस्य (सं० वि०) जोता न जानेवाला, गैर जोड़में जमा हुवा। मज़रूवा, परतो, असर। अनुप्रयोक्तव्य (सं० त्रि०) योगमें लगाने योग्य, जमामें अनुत्रिम (सं० त्रि.) बे-बोये उत्पन्न, जो विना जोड़नेके काबिल, जो जोड़में मिलाया जा सके। • जोते-बोये आप ही पैदा हुवा हो। अनुप्रयोग (सं० पु.) अतिरिक्त संस्थापन, ऊपरी अनुप्पन-मन्द्राज प्रेसिडेन्सीको कनाड़ी जातिके लगाव। कृषक । प्रधानतासे मदुरा, तिब्रेवेली और कोयम्बातुर | अनुप्ररोह (सं० त्रि०) क्रमानुसार बढ़ते हुवा, जो जिलेमें इनका वासस्थान है। सम्भवतः इनका आदि| सिलसिलेवार निकल रहा हो। अथवा