पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/५१०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अनुयत-अनुसम्बद ५०३. अनुष्यत (सं० त्रि०) अनुष्ठिव-क्त । अविच्छिन्न, अनुसन्धानकृत, खोजा हुवा, जिसकी तलाश लगी परस्पर सम्बद्ध, जो अलग न हो, साथ लगा हुवा। हो। (अव्य०) संहितायामिति विभक्त्यर्थं अव्ययौ । अनुष्ठेश (सं० त्रि०) अनुष्ठोयते अनु-स्था कर्मणि २ सहिताके अनुसार, सहितामें लिखेके मुवाफिक । यत्। १ विधेय, करने काबिल। २ ध्यान दिया अनुसञ्चारण (सं० अव्य०) आगमनके प्रत्येक अव- जानेवाला, जिसपर गौर रखते हैं। ३ प्रमाण सरपर, आमदके हरेक मौके में । पहुंचाने योग्य, जिसका सुबूत देना दरकार हो। अनुसन्तति (सं० स्त्री० ) अनुक्रमेण सन्ततिः । अनुष्ण (सं० त्रि.) न उष्णम्, नञ्-तत्। १ जो अविच्छेद धारा, न रुकनेवाली चाल । गर्म न रहे, ठण्डा, शीतल । २ अलस, सुस्त, अनुसन्धातव्य (सं० त्रि०) सन्धान साधने योग्य, काहिल। (क्ली) ३ उत्पल, नौल कमल । तलाश काबिल, जिसको ढूढ-खोज लगायो जाये। अनुष्णक-अनुष्ण देखो। अनुसन्धान (स: क्लो० ) अनु-सधाञ्ल्यु ट्। १ अन्वे- अनुष्णगु (सं० पु०) न उष्ण: शीतला: गाव: किरणा षण, तलाश, ढूढ-खोज। २ पश्चाद्गमन, पीछे- अस्य, नञ्-बहुव्री । चन्द्र, चांद। पोकेका जाना। ३ चिन्ता, फिक्र । ४ वैशेषिक मतसे- अनुष्णकिरण (स० पु०) न उष्णः शीतलाः किरणा तर्कको चतुर्थ श्रेणी अर्थात् उपयोग, मन्तिकके रश्मयो यस्य, नञ्-बहुव्री० । चन्द्र, चांद । कजियेकी चौथी सिट्टी यानी इस्तेमाल । अनुष्णवल्लिका (स• स्त्री०) अनुष्णा शीतला वल्लो अनुसन्धानना (हि. क्रि० ) १ अनुसन्धान लगाना, लतेव, इवार्थे कनि टाप्। नीलदूर्वा, काली दूब । तलाश करना, ढूंढना, खोजना। २ विचार बांधना, अनुष्णावल्लो-अनुष्णवलिका देखो। खयाल लड़ाना, सोचना, समझना। अनुष्णाशीत (संत्रि०) गर्म न ठण्डा, जो गर्म या अनुसन्धानिन् (सं• त्रि०) अनुसन्धान लगाते हुवा, ठण्डा न रहे। तलाश करनेवाला, जो ढूंढ-खोज निकाला करे। अनुष्यन्द (सं० पु०) पिछला पहिया, जो पहिया अनुसन्धि (सं० स्त्री०) गुप्त मन्त्रणा, छिपी हुयौ पोछे लगता है। बातचीत, अप्रकट परामर्श, जो राय ज़ाहिर न हो। अनुष्वध (सं० त्रि०) १ जिसके साथ भोजन लगा | अनुसन्धित्सा (सं० स्त्री०) अनु-सम्-धा-सन्-श्रा। (अव्य) २ भोजनानुसार, भोजन द्वारा, अन्वेषण निकालनेको इच्छा, खोजनेको खाहिश । खानेके मुवाफिक, जिसमें खानेका जरिया रहे। अनुसन्धेय (सं० त्रि.) अनुसन्धान लगाने योग्य, ३ भोजनोपरान्त, खाने बाद। ४ प्रत्येक वलिप्रदाना जो तलाश करने काबिल हो। न्तर, हरेक वलिदानके बाद। ५ अपनी मर्जी के मुता- अनुसन्ध्य (स० अव्य० ) सन्धाा-सन्धा, शाम-ब- विक, इच्छामत । शाम, प्रत्येक सन्धया समय, हरेक शामको। अनुस रक्त ( स० वि०) संलग्न, संश्लिष्ट, लगा अनुसमय (सं० पु०) नियमित सम्बन्ध, कायदेका 'हुवा, जो किसौपर फिदा हो रहा हो। ताल्लुक। अनुसंवत्सर (स अव्य०) विभक्त्यर्थे वीप्सायां वा अनुसमापन (सं० लो०) नियमित समाप्ति, कायदेका अव्ययौ । वत्सरसे, प्रतिवर्ष, साल-ब-साल । खातिमा। अनुसंवरण (सं० क्लो०) अनु-स-व-ल्यु ट्। अनुक्रमसे अनुसमुद्र (सं० अव्य०) समुद्रके साथ-साथ, बहरके गोपन, सिलसिलेवार पोशीदगी। किनारे-किनारे। अनुसंसर्प (सं० अव्य०) उपस्थित होनेके प्रत्येक अनुसम्प्राप्त (सं० त्रि०) आगत, पहुंचा हुवा। अवसरपर, पहुंचने के हरेक मौकेसे । अनुसम्बद्ध (सं० वि०) सलग्न, साथ किया गया, अनुसंहित. (सं० त्रिः) अनु:सम्-धा-कर्मणि क्त। मिला-जुला। रहे। .