पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/५१३

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गया। अनुहव-अनूजरा अनुहव (वै० पु०) निमन्त्रण, उद्दोधन, न्यौता, ४ गतजन्म आशाविशिष्ट व्यक्ति, जिस शख सको पुकार। गुजरी जिन्दगीको उम्मेद लगी हो। ५ शौलताकाझी अनुहार (स० पु०) अनु-हृ-भावे घज । १ अनु व्यक्ति, मुरव्वततलब शखस । ६ वंशप्रत्याशी, खान्दानको करण, सदृशीकरण, नकल। २ पश्चात् हरण, पीछेको बढ़ती मनानेवाला।७ध्यान, प्रमाण, ख़याल, हवाला। चोरौ। 'अनुहारोऽनुकार: स्यात् ।' ( अमर ) (त्रि०) ३ सदृश, अनूक्त (सं० त्रि०) १ पश्चात् कथित, पीछे कहा मुशाबिह, तुल्य, बराबर, समान, एक जैसा। २ धर्मशास्त्रके अन्तर्गत, जो धर्मशास्त्र में पाया अनुहारक (सं० त्रि०) सदृशीकरणविधायक, नकल जाये। ३ पठित, पढ़ा हुवा। ४ अधिक समीपवाला, उतारनेवाला। जो निहायत नजदीक हो। अनुहारना (हिं. क्रि०) तुल्य बनाना, बराबर | अनूक्ति (सं० स्त्री.) १ पश्चावार्ता, पोछेको बात, रखना, सदृश सजाना, नकल निकालना, समान पुन: पुन: कथन, बार-बारका बोलना। २ वेदाध्ययन, लगाना। वेदको पढ़ाई। अनुहारि (हिं० वि०) १ समान, मुशाबिह, तुल्य, | अनूक्तित्व (स० लो०) वर्णनके पुनः पुनः कथनको बराबर, सदृश, एक-जैसा। २ योग्य, लायक, उपयुक्त, आवश्यकता, बार-बार बयान दिये जानेको ज़रूरत। काबिल । ३ अनुकूल, मिला-जुला। अनूक्य (सं० क्लो.) १ मेरुदण्ड, रौढ़। २ शिरका अनुहारी (सं० त्रि०) अनुकरण लगानेवाला, जो मांस, खोपड़ेवाला गोश्त । नकल उतारे। अनचान (सं० पु०) अनु-वच्-कानच निपातनात् । अनुहार्य ( स० वि०) १ अनुकरण निकालने योग्य, १ अध्ययनशील, पढ़नेवाला। २ शिक्षा, कल्प, नकल उतारने लायक । व्याकरण, निरुक्त, छन्दः, ज्योतिष-इन छ: अङ्गके अनुहृत (स त्रि०) अनुह्रियतेस्म, अनु-ह कर्मणि साथ वेदका अध्ययनकर्ता, जो वेदको ऐसी विधिसे तः। अनुकत, सदृशौकत, मुशाबिह बनाया गया, पढ़े, कि उद्दरणी करनेके योग्य बन जाये। ३ अपने जिसको नकल उतरी हो। गुरुके पीछे पाठको उद्दरणी करनेवाला, जो अपने अनुहोड़ (सं० पु०) होयते गम्यते ऽनेनेति ; होड़ | उस्तादके बाद अपने सबका मुतालह लगाये। १ होड़ नौकाविशेष, किसी किस्मको विनयान्वित, शायस्ता । 'अनचानः सागवेदकोविद किश्ती। (अव्ययौ०) २ होड़ नामक नौकाविशेषमें। विनयान्विते ।' (हेम) ५ उत्तम वैद्य। अनुहाद-हिरण्यकशिपुके किसौ पुत्रका नाम । अनूचीन (स० त्रि०) १ पश्चादगामी, क्रमविशिष्ट, अनुवाद-अनुहाद देखो। पौछे पड़नेवाला, सिलसिलेवार । अनक (सं० पु०) अनु-उच्-समवाये:क पृषो० कुत्वम्। अनचौनगर्भ (सं० वि०) क्रमविशिष्ट नियमसे १ गतजन्म, जो जन्म पहले बीत चुका हो। उत्पन्न, जो सिलसिलेवार कायदेसे पैदा हुवा हो। दण्ड, रीढ़। ३ वेदोका पश्चाद्भाग। (क्लो.) ४ शौल, अनच्य (स० त्रि०) अनु पश्चाद् उच्यते कथ्यते, मुरब्बत। ५ वंश, खान्दान। ६ पुरुषका लक्षण अनु-वच् कर्मणि क्यप् । १ अनुवाच्य, पश्चाद कथनीय, विशेष, मर्दका खास निशान। पाठ्य, पौछ बोलने काबिल, जो सौखा जाये । (अव्य.) अनूका (सं० स्त्री०) अप्सरस्विशेष । अनु पश्चादुक्का अनु-ब्रू वा वच-ल्य। २ पश्चात् अन काश (सं• पु.) अनोः होनस्य काशः प्रकाशः; बताकर, पीछे कहके। (लो०) ३ पर्यंबके पाखंका अनु-काश-घञ्, ६-तत् । १ अधो अङ्गका प्रकाश, नीचे काष्ठखण्ड, पलंगको बगलका तखूता।. प्रलोकी चमक। २ प्रतिविम्ब, अक्स । ३ खच्छता, अनूजरा (हिं• वि.) असित, सफेद नहीं, जो सफाई। अनके गत जन्मादौ पाशा यस्य, बहुव्री० । साफ-सुथरा न हो। . करणे घञ्। ४ २ मेरु- .