पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/५१५

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५०८ अनूप-अनूप्य अनूप-गुजरातका स्थानविशेष, काठियावाड़। गिर्यारमें दो भागमें बांटती है। नदीके पूर्व किनारको भूमि जो ताम्रफलक मिला उसपर लिखा है, कि किसी पश्चिम किनारसे प्राकृतिक रोतिमें अच्छी है, लेकिन समय क्षत्रप-वंशके रुद्रदामन् नामक नृपति अनूप नहरको सींचसे अब उसकी भी दशा सुधर गई; अञ्चलके राजा रहे थे। कुयेंसे सींची जाती है अनूपगढ़-राजपूतानाके बीकानेर राज्यको सूरतगढ़ २ इसी नाम, इसी तहसीलका प्रधान शहर और निजामतका एक नगर । यह अपने नामको शासनकेन्द्र। जहांगीरके राजत्वकालमें बड़गूजर राजा तहसीलका शासनकेन्द्र है, बीकानेर शहरसे घाघरा अनूपरायने यह शहर बसाया था, उन्होंके नामपर नदीके सूखे रेतसे कुछ दक्षिण बसा है। अपने इसका नाम पड़ा। सन् ई० के १८वें शताब्दमें अनूप- किलेके कारण इसको प्रसिद्धि पाते हैं, जिसे कोई शहर बड़े महत्त्वका स्थान रहा, क्योंकि दिल्लीसे सन् १६७८ ई के समय बीकानेरके स्वर्गीय अनपसिंह रोहेलखण्ड आने-जानेको गङ्गाका पुल यहीं बना था। महाराजने बनवाया था। इस तहसीलमें खेती कम सन् १७५७ ई० में अहमदशाह दुरानीने यहां छावनी देख पड़ती, पानीका पता नहीं लगता ; लेकिन डाली, जिसे सन् १७५७ ई० में वापस आकर देखा- चराई अच्छी है, सज्जी और लानाका पौधा खूब भाला। सन् १७६१ ई. में यही वह सङ्गठन लगा उपजता, जिससे सोडा बनकर बाहर जाता है। था, जिससे पानीपतमें महाराष्ट्रोंके पैर उखर पड़े अनूपगिरि-बुंदेलखण्डके एक राजा। सन् ई०वाले सन् १७७२ ई० में अवधके नवाब और अंगरेज बहा. १७वें शताब्दके अन्त समय वाजस कविने इनकी दुरकी मिली हुयी फौजने रोहेलखण्डपर महा- महिमाका वर्णन छन्दोबद्ध बनाया था। राष्ट्रीका आक्रमण रोकनको इसे अपना अड्डा बनाया, अनूपज (सं० क्लो०) अनूप जलबहुले देशे जायते ; जहां उस समयसे सन् १८०६ ई. तक अंगरेजी फौज जन-ड, ७-तत् । १ आट्रक, अदरक । (पु०) २ वृक्ष किले में रही थौ; पौके मेरठ भेजी गयी। बलवेके विशेष, अनानाशका पेड़। (वि.) ३ जला भूमिमें समय जाटोंने पुलको खासौ रक्षा रखी, जिसे रोहेल- उत्पन्न, जो पानीदार मुल्कमें पैदा हुवा हो। खण्डकी ओरसे बलवायो पार करना चाहते थे। अनूपदास–युक्तप्रदेशके एक कवि। इनका जन्म सन् यहां लकड़ी और बांसका बहुत बड़ा कारखाना १७४४ ईमें हुवा था। इनके बनाये कितने ही खड़ा है। कबित्त, दोहे और शान्तिरसके गीत प्रसिद्ध हैं। अनपसदम् (स० अव्यः) प्रत्येक उपसदपर, हरेक अनूपदेश (सं० पु.) अनूपलक्षणयुक्तप्रदेश, जिस उपसदके बाद। मुल्कमें अनपके आसार नमूदार हों। अनूपसिंहदेव-कर्णसिंह राठोरके पुत्र । इन्होंने अनपनारायण तर्कशिरोमणि-इन्होंने 'भागवत पण्डित अनन्त भट्टसे 'तीर्थरत्नाकर, भद्ररायसे 'अयुत- पुराणसूचिका' और ब्रह्मसूत्रपर 'सामञ्जसा-वृत्ति' लक्षकोटिहोमप्रयोग, भवभट्टरायसे 'अनूपसंगीत बनायी थी। विलास', मतिरामसे 'अनूपविलास' और वैद्यनाथसे अनूपबाई-दिल्लीके बादशाह जहांदार शाहकी पत्नी 'ज्योत्पत्तिसार' नामक ग्रन्थ लिखाया था। सिवा और बादशाह दूसरे-आलमगीरको माता। इसके 'अनुपविवेक', 'कामप्रबोध' और 'श्राद्धप्रयोग- अनूपमांस (स'• क्लो०) अनूपदेशस्थ जन्तुमांस, चिन्तामणि' नामक ग्रन्थ इनके बनाये बताये जाते हैं। अनप मुल्कमें रहनेवाले जानवरका गोश्त । अनप्य (सं• त्रि०) अनपे जलबहुलदेशे भवः । अनूपशहर-१ युक्तप्रदेशके बुलन्दशहर जिलेको मशरको जलाभूमिमें जात, जलप्रायदेशसे उद्भूत, पानीदार तहसौल। यह मङ्गा किनारे दो सौ बाईस वर्ग जमीनमें पैदा होनेवाला, जो दल-दलको जगहसे कासमें फैली है। चोयिया नदी इसे उत्तर-दक्षिण निकले।