पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/५१८

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अन्तुकन्या -अनेकवणसमीकरण अयोग्य ऋतु, नाकाबिल मौसम। नास्ति ऋतुः | अनेकधर्मकथा (स. स्त्री०) विभिन्न धर्मकी व्याख्या, स्त्रीपुष्पविकाशो यस्मिन् काले। २ स्त्रीपुष्प विकाशसे मुख्तलिफ़ मजहबका शरह, जो बात कई धर्मपर भिन्न काल, जिस वक्त औरत महीनेसे न रहे, नग्नि- कही जाये। कावस्था, जिस हालतमें स्त्रीको ऋतु न लगे। अनेकधा (सं. अव्य.) न एकधा, नज-तत्। अनृतुकन्या (सं० स्त्री०) ऋतुधर्म होनेसे प्रथमा संख्यायां विधार्थे धा । पा ॥५॥४२॥ विभिन्न मार्गसे, मुख तलिफ़ वस्थाको बालिका, जिस लड़कीको हैज़ न होता हो। चालमें, प्रायः, अकसर। अदृशंस (सं० वि०) न नृशंसम्, विरोधे नञ्-तत्। अनेकधाप्रयोग (सं० पु०) बहुसंख्यक बारका अहिंस्र, रहीम, जो जालिम न हो। व्यवहार, कई मरतबका इस्तेमाल । अन्नृशंसता (सं० स्त्री०) कोमलता, नर्मी, कृपालुता, अनेकप (स० पु.) अनेकाभ्यां हाभ्यां मुखशुण्डाभ्यां रहमत। पिवति, पाक। हस्ती, हाथी जो सूड और मुंह अनेक (सं० त्रि०) न एकम्, नञ्-तत् । १ जो दोनोसे पीता है। (त्रि.) २ एकसे अधिक बार पौने- एक न हो, दो, तीन इत्यादि एकसे अधिक, बहुसंख्यक वाला, जो कई मरतबा पौये । बेशुमार। किन्तु अनेक शब्द एकवचनमें भी आता अनेकपा (स. स्त्री०) हस्तिनी, हथनी। है। यथा-'अविरहितमनेकेनाइभाजा फलेन ।' (भारवि ५।५२) | अनेकभार्य (स' त्रि०) एकसे अधिक पत्नी रखने- २ पृथक्क्कत, अलग किया हुवा । वाला, जिसके एकसे ज्यादा बीबी रहें। अनेककाल (स अव्य०) सुदीर्घ समयके निमित्त, अनेकमुख (सं० त्रि.) विभिन्न रूपविशिष्ट, भिन्न- लम्बे बक्तके लिये। भिन्न मार्गवाला, जिसके मुख तलिफ चेहरे रहें, जो अनेककालावधि (सं० अव्य०) सुदीर्घ समयसे, अलग-अलग राह रखे। लम्ब वक्त. तक। अनेकमूर्ति (सं० पु.) न एका अवतारभेदेषु बहुः अनेककृत (सं० पु.) १ अधिककर्म, ज्यादा काम। मूर्तयो यस्य। परमेश्वर, जिसकी अवतार भेदके २ शिवका नाम। कारण एक मूर्ति नहीं रहती। अनेकगोत्र (सं० पु.) एकसे अधिक वंशविशिष्ट, अनेकयुद्धविजयिन् (सं• पु०) बहुसंख्यक संग्राममें जिस शख्सके कई खान्दान रहें। विजय पाने वाला वीर, जो सिपाही कई जङ्गमें अनेकचार (सं० त्रि.) अनेकमें वर्तमान, जो जीता हो। गोलमें रहे, झण्डके साथ चरनेवाला। अन करन्ध (स. त्रि.) बहुसंख्यक छिद्र, निर्बलता अनेकचित्तमन्त्र (सं० पु०) विभिन्न प्रकारके विचार अथवा दुःखविशिष्ट, जिसमें कितने ही छेद हों या रखनेवाला, जिसकी मसलहत कई तरहको रहे। जिसे कितनी ही कमज़ोरी या तकलौफ़ आ धेरै। अनेकज (सं. त्रि.) अनेकबार अनेकेभ्यो वा जायते ; अनेकरूप सं. पु०) अनेकानि रूपाणि यस्य । जन-डु उपस. ५-तत् वा। १ बहुजात, जो कई १ बहुरूप परमेश्वर। (त्रि.) २ अनेकरूपयुक्त, मरतबा पैदा हुवा हो। (पु.) २ पक्षी, चिड़िया। मख तलिफ किस्मका । ३ एकरूप भिन्न, परिवर्तनशील अनेकता (स. स्त्री०) अधिकता, ज्यादती, बहुतायत । चित्तविशिष्ट, एकतरहसे अलग, बदलते दमाग़वाला। अनेकत्र (स० अव्य.) बहुसंख्यक स्थानमें, कई | अने कलोचन (सं० पु.) अनेकानि लोचनानि यस्य, जगहपर। बहुव्री। १ सहस्रलोचन इन्द्र । २ परमेश्वर । अनेकत्व (सं० ली.) अनेकता देखो। ३ शिव। अनेकदिग्वायु (सं• पु०) बहुसंख्यक ओरको बहने- | अनेकवचन (सं० क्लो०) बहुवचन, जमा। वाला वायु, जो हवा कई तर्फ झुके । अनेकवर्णसमीकरण-जिस समीकरणमें एकसे अधिक न २५.-