पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/५२४

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अनैश्वर्य-अनौदल्य ५१७ सौम्य, वारुण, गान्धर्व प्रभृति अन्य प्रकारके नाम रहे। नास्ति ओदनोऽन्न यस्य। २ निरन्न, जिसे मिलते हैं। अब न मिले, अनाजसे मुहताज, जिसे दाना मयस्सर अन खर्य (स ली) अनौखरस्य भावः, आद्याचोः न आये। वा वृद्धि। १ अनीश्वरत्व, अधीनत्व, कमजोरी, अनोदयनाम (सं० क्ली० ) जैन मतानुसार-कुकर्म- मातहतो। (त्रि०) नास्ति ऐश्वयं यस्य, नत्र -बहुव्री.। विशेष । इसके झलकनेसे मनुष्यका कथन कोई नहीं २ ऐश्वर्यशून्य, कमजोर। सुनता, वह इजाब जो आदमीको हकौर बनाये। अनेस (हिं.वि.) नष्ट, खराब, बुरा। अनोदित (सं० त्रि.) आह्वान न लगाया गया, अनसना (हिं. क्रि०) खराब समझना, बुरा देखना, जिसकी पुकार न पड़ी हो। गुमान गांठना, रूठ रहना। अनोमा (स. स्त्री०) क्षुद्र नदीविशेष, किसी छोटे अन सा-अनेस देखी। दरयाका नाम। यह कपिलवास्तुनगरको पूर्व ओरसे अन से (हिं. क्रि०-वि०) नष्ट रीतिसे, बुरे तौरपर । निकल गोरखपुरके निकट राप्ती नदीमें मिल गयी है। अन हा (हिं. पु. ) उत्पात, धूम, बखेड़ा, उपद्रव, इस नदीका अधिकांश आजकल सूखा पड़ा है। यह नटखटी, झगड़ा-झमाट। यों प्रसिद्ध हुयो, कि इसके किनारे बोधिसत्त्वने अनो (सं० अव्य०) नहीं, मत। नहि, अनी और सन्यासाश्रम लिया था। इसे औमौ या अवमी भी न यह तीन अभावार्थक अव्यय होते हैं। कोई-कोई कहते हैं। सिद्धार्थ कपिलवास्तुसे घोड़ेपर चढ़कर नहि, अ, नो और न यह चार अभावार्थक अव्यय निकले थे। उनके साथ चन्दक प्रभृति कई अनुचर बताता है। आने जाने को तय्यार हुये। वह पहले कपिलनगरसे अनोकशायिन् (सं० पु.) गृहमें भिक्षुकको भांति वैशाली में पहुंचे। पीछे वैशालीनगरसे रवाना हो न सोनेवाला व्यक्ति, जो शख स घरमें फ़कीरको तरह देवकाली गये। उससे आगे ही संग्रामपुरके पास न सोता हो। अनोमा नदौको जगह 'अमीपर' नामक अनोकह (सं० पु०) अनसः शकटस्य अकं गतिं मौजूद है। बकानन इस इदको हन्ति पुरोवर्तनात् निवारयति, अनस्-अक-इन-ड। 'नवर' कहते थे। किन्तु राजकीय मानचित्र या वृक्ष, पेड़, दरख्त । 'दक्षो महीरुहः शाखौ विठपौ पादस्तरुः सरकारी नकशेमें इसका नाम 'अमौयर ताल' लिखा अनोकर।' (अमर) है। अनेक अनुमान लगाते, सिद्धार्थने ठीक इसी अनोखा (हिं० वि०) १ अपूर्व, अनुपम, निराला, इदके ऊपर नदीको पार किया था। ललितविस्तरमें नायाब । २ नूतन, ताजा। ३ रूपवान्, खूबसूरत। लिखा है, कि अनुवैणेय प्रदेशवाले मनेय ग्रामके पास ४ सुयोग्य काबिल । ( स्त्री०) अनोखी। बुद्धदेव नदी पार हुये थे, पार होकर चन्दक प्रभृति अनोखापन (हिं० पु.) १ अपूर्व ता, निरालापन, अनुचरको उन्होंने विदा किया। अनुवैणेय देखो। जोड़ न मिलनेको हालत। १ नवीनता, ताज़गी। अनोवाह्य (स. त्रि०) शकटपर जाने वाला, जिसे ३ सौन्दर्य, खूबसूरतौ। ४ योग्यता, लियाकत । गाडीपर रख ले जायें। अनोवृत्त (सं० त्रि.) न ओङ्कारोच्चारणपूर्व अनौचित्य (सं० लो०) उचित न होने का भाव, कृतम्। ओं-क-त, नज-तत् । १ ओङ्कारोच्चारणपूर्वक , अनुपयुक्तता, नामुनासिबत । न किया गया, जिसके करनेसे पहले ओङ्कार न अनौजस्य (सं० लो०) बलका अभाव, ताकतकान रहना। निकला हो। २ अस्वीकृत, नामञ्जूर। अनौट-अनवट देखो। अनोदन (सं० त्रि.) नास्ति ओदनः अन्न यत्र, अनौहत्य (सं० क्ली• ). अभिमानका अभाव, गुरूरका नज-बहुव्री। १ अबविहीन, जिसमें अनाज न न रहना। 130 एक इद भी