पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/५३६

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अन्तःस्था-अन्तगति ५२६ मौत। २ यम, मौतका अन्तःस्था (स. स्त्री०) १ बलवान् अङ्गको देवी। नेस्तनाबूद कर डाले। २ नाश करानेवाला, जो २ ऋग्वेदके मन्त्रको उपमा-विशेष । नेस्तनाबूद कराय। अन्तःखद (स. त्रि०) अन्तमध्ये खेदो धर्मस्तापो वा अन्तकाल (सं० पु०) अन्तस्य नाशस्य कालः समयः, यस्य, ६-बहुव्री०। १ शरीरमध्य धर्मविशिष्ट, जिसके ६-तत्। मृत्युकाल, विनाश, मरनेका वक्त, मौत। जिस्म में पसीना मरा हो। २ जिसके शरीरमें ताप अन्तकृत् (सं. त्रि०) अन्तं नाशं करोति, अन्त- पहुंचा या पहुंचाया गया हो, जिस्मके अन्दर कृ-क्विप्, -तत्। १ विनाशक, नाश करनेवाला, जो हरारत रखनेवाला। (पु.)२ हस्ती, हाथी। नेस्तनाबूद कर डालता हो। (पु०) २ मृत्यु, अन्तक (हिं० पु०) अन्तयति समस्तं बन्धयति, अन्तकद्दशा (स० स्त्री०) जैन धर्मपुस्तक-विशेष, अतिबन्धने णिच्-खुल्। यद्दा अन्तं करोति, अन्त जैनी मज़हबको एक खास किताब। इसमें तीर्थङ्करका णिच-खुल्। १ मृत्यु, मौत। कर्तव्य कर्म दश अध्यायपर लिखा गया है। फ़रिश्ता। ३ रक्तकाञ्चन, कचनारका वृक्ष । ४ सनि खेताम्बर जैनयोंके ग्यारह धर्मपुस्तक और एक पात-ज्वरविशेष। इसका लक्षण यों है,- परिशिष्ट पाते हैं। १-आचाराङ्ग, इस पुस्तकमें "दाहं करोति परितापनमातनोति मोहं ददाति विदधाति शिरःप्रकम्पम् । निष्ठाचार और वशिष्ठ प्रभृति साधकका अनुष्ठित कर्म हिक्कां करोति कसनञ्च समाजुहोति जानीहि तं विबुधवर्जित कहा है। . २-सूत्रक्वंदङ्ग, यह उपदेशमालासे पूर्ण मन्तकाख्यम् ॥” (म० १ भ०) है। ३-स्थानाङ्ग, शुद्धाचार एवं देहसे जिस जिस अर्थात् जो शरीर जलाये और गर्माये, शिर दश इन्द्रियपर जीवात्मा अधिष्ठित रहता, उसका कंपाय, हिचकी और खांसी पैदा करे, उसे अन्तक वृत्तान्त इस पुस्तकमें बताया है। ४-समवायाङ्ग, ज्वर कहते हैं। इसमें एकशत पदार्थका विवरण है। ५-भगवत्यङ्ग, अन्तकद्रुह् (स० त्रि०) नाश करनेवाले प्रेत, मृत्यु इसमें पूजा-पद्धतिका नियम है। ६-जातधर्मकथा, अथवा यमको चिढ़ानेवाला। इस पुस्तकमें लिखा है, पुण्यात्मा कैसे ज्ञान पाते अन्तकर (सं• त्रि०) अन्तं नाश करोति, अन्त-क हैं। ७-उपासकदशा, इस ग्रन्थमें श्रावक जैनियोंके ट उप-स०। नाशकारी, मृत्युविधायक, मार डालने आचारको बात दश अध्यायपर लिखी है। वाला, जो बरबाद कर देता हो। (स्त्री.) अन्तकरी। अन्तकद्दशा, इसमें तीर्थङ्करका कर्तव्य कर्म दश अन्तकरण (सं० लो०) अन्तं नाशं करोति, कर्तरि अध्यायपर कहा है। -अनुत्तरोपपातिकदशा, इसमें ल्यु ; अथवा अन्त-क-कर्तरि ल्यु ट्। नाशकारी, नेस्त तीर्थङ्करका जन्मविवरण दश अध्यायपर वर्णित है। नाबूद कर डालनेवाला। १०-प्रश्नव्याकरण, यह जैनधर्म प्रश्नके व्याकरणका अन्तकर्मन् ( स० क्ली०) अन्तस्य नाशस्य परिच्छेदस्य पुस्तक है। ११-विपाकसूत्र, इसमें कर्मफलको वा कर्म क्रिया। १ नाशका करना, बरबादीका कथा निबद्ध है। करना। कर्मधा० । २ शेषकर्म, अन्तष्टिक्रिया। अन्तग (स० वि०) अन्त शेषसीमानं गच्छति, अन्त- अन्तेष्टि देखो। गम-ड, उपस०। १ अन्तगामी, पारगामी, शेषदर्शी, अन्तकारक ( स० वि०) अन्तं करोति, अन्त-क अखौरतक पहुंचनेवाला, जो पार कर जाये, जिसे सिरा खुल् । १ नाशकारी, नेस्तनाबूद करनेवाला। अन्त देख पड़े। “अपि वेदान्तगो डिज।" (स्मति) २ सर्ववेदान्तदर्शी, कारयति, अन्त-क्व-णिच्-खुल् । २ नाश करानेवाला, पूरा वेदान्त जाननेवाला। अन्त गायति। ३ शेष जो नेस्तनाबूद करवा डाले। गायक, सबसे पीछे गानेवाला, जो अखोरमें तान छेड़े। अन्तकारिन् (सं० वि०). अन्तं करोति, अन्त:क- अन्तगति (सं० त्रि०) अन्तको जाता हुवा, जो मर णिनि, ५:तत् । १.अन्तकारक, विनाशकारक, जो रहा हो। 133