पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/५७३

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अन्वज्वर होगा। शूगर अव लेड । बार बन्द रखते भी ठण्डी हवा जा सकती, उस घरमै जलसेक करना कर्तव्य नहीं ठहरता। जलसेक करनेका साहस यदि न हो, तो उष्णजलमें वस्त्र तरकर बारम्बार उससे रोगीका सर्वाङ्ग पोंछना अच्छा होगा। इससे भी सन्ताप कम होता है। दुःसह पिपासा मिटानके लिये शीतलजल और बरफ विशेष हितकर है। शिरमें अत्यन्त वेदना होनेसे सारे बाल बनवा बरफ रखना और ठण्डा पानी छोड़ना चाहिये। इससे शिरको उत्तेजना घटे और निद्रा भी आयेगी। पहले ही कहा जा चुका है कि, अन्तजरको सच्ची चिकित्सा नहीं होती। किसी औषधसे इस कठिन ज्वरका प्रतीकार न होगा। पौड़ाके आदिसे अन्ततक चिकित्सकका कर्तव्य यह है, कि वह लघु पथ्य एवं सुरा द्वारा रोगीका बल बचाये। तद्भिन जब जो उपसर्ग उठे, तब यत्सामान्य औषध द्वारा उसे दबानेको वह चेष्टा करें। अतिरिक्त औषध खिलाने किंवा व्यस्त बननेसे सिवा अनिष्टके इष्टलाभको प्रत्याशा नहीं पड़ती। डाकर गोल्डन, डण्डा पुभूति चिकित्सक इस रोगमें कुनैन खिलाते हैं। किन्तु वह सुव्यवस्था नहीं समझी जाती। विन विज्ञ चिकित्सकोंने देखा, कि टाइफयेड जुरमें कुनैन देनेसे अनिष्ट होता और पीड़ा मिटने में अधिक विलम्ब लगता है। फिर भी इस स्थलमें यह बात विचारेंगे, कि हमारे देशमें मलेरिया अतिशय प्रबल है। अन्त्र- जरपर प्रातःकाल किञ्चित् विश्राम मिलनेसे अल्प मात्रामें कुनैन खिलाना कोई क्षति नहीं पहुंचाता। किन्तु अतिशय आध्यान, रक्तस्राव, अन्त्र छिद्र प्रभृति उपसर्ग उठनेसे कुनैन देना मना है। उदरामय मिटानेको ऐसा औषध दिया जा सकेगा,- खदिरका अरिष्ट आध ड्राम। काइनोरका अरिष्ट ५ विन्दु । पिपरमिण्टका जल आध छटांक। इनको एकत्र मिला एक मात्रा बनायिये। इस औषधको चार घण्टे अन्तरसे खिलाना होगा। अत्यन्त प्रलाप और मस्तकवेदना होनेसे बिलकुल उदरामयको न उखाड़े। किन्तु पुनःपुनः जलवत् मल निकलनेसे उसका प्रतीकार करना आवश्यक निम्नलिखित औषधसे भी उदरामयको विलक्षण शान्ति होती है,- जलमित्र सल्फुरिक एसिड ३ विन्दु। ३ ग्रेन। मफिया हाईडोलोरेट चौथाई ग्रेन। दारुचीनौका जल आध छटांक। इनको एकत्र मिला एक मात्रा बनाये। इस औषधको चार घण्टे अन्तरसे खिलाना चाहिये। प्रवल उदरामय उठनपर निम्नलिखित प्रोषध पिच- कारोसे मलबारमें पहुंचायेंगे,- तारपौन तेल ३० विन्दु । टिचर काइनो २ड्राम। टिचर ओपियम २० विन्द । घुला हुवा गोंद एक छटांक। यह औषध प्रत्यह दो बार दी जा सकती है ! रक्तस्राव होनेसे गेलिक एसिड महौषध होगा,- गलिक एसिड १० ग्रेन। टिचर ओपियम विन्दु। जलमिश्र सल्फुरिक एसिड १ विन्दु। जल आध छटांक। इनको एकत्र मिला ४६ घण्टे के अन्तरसे खिलाना चाहिये। बहुत ज्यादा पेट फूलने और उदरमें वेदना उठनेसे सारे पेटपर तारपीन तेल लगा उष्णजलका सेक करे। अतिशय आध्यान होनेपर कोमल वस्त्रसे पेटको लपेट दे। तद्भिन्न लम्बी नलौसे हींगकी पिचकारी लगाने पर भी आध्मान घट सकता है। रातको नींद न पड़नेसे रोगोको अत्यन्त ग्लानि आयेगी। उससे दिन-दिन शरीर दुर्बल पड़ता और समस्त उपसर्ग भी बढ़ता है। इसलिये जिससे नींद आये, उसके लिये यत्न करना उचित होगा। ५ ग्रेन डोभर्स पाउडर प्रयोग करनेसे अनेक स्थलमें सुनिद्रा आ जाती है। किन्तु मस्तकमें रक्ताधिक्य रहनेसे इस औषधको देना ठीक न होगा।