पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/५८६

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अन्ध-अन्धकार उनके नाम राके। पण्डित आजतक इस बातको कोई मौमांसा न बता इनका अपर नाम दीर्घतमा रहा। (महाभारत) सके, गर्भके भीतर सन्तान अन्ध क्यों हो जाता है। ३ यदुवंशके नृपतिविशेष। यह सत्वतके पुत्र थे। अन्य प्रकारका अन्ध जन्मसे नहीं होता। अन्धकके चार पुत्र उत्पन्न हुये। जन्म के बाद किसी समय नाना प्रकार रोगसे चक्षु थे, कुकुर, भजमान, शुचिकम्बल एवं वहिष। फूटेगा। चक्षु शब्दमे देखो, कैसे दर्शनज्ञान पाता एव' चक्षुका | (विषापुराण ४।१४:) ४ देशविशेष। ५ मुनिविशेष। कौन-कौन स्थान नष्ट होनेसे मनुषयादि अन्ध पड़ता है। ६ तुम्बुरु (त्रि.) ७ अन्ध, नाबौना । हमार शास्त्रानुसार पूर्वजन्मार्जित पापके कारण अन्धकक्षयकर (सं० त्रि.) अन्धकानां यादवानां मनुष्य अन्ध बनता है। जात्यन्ध व्यक्ति विषयका क्षयकरः नाशकरः, ६-तत् । १ विष्णु, जिन्होंने उत्तराधिकारी न हो सकेगा। ज्ञान न रखनेवाले यादवोंको मारा था। अन्धकस्य दैत्य विशेषस्य क्षय- को अज्ञानान्ध, जन्मावधि अन्धेको जात्यन्ध, दिनमें करः । २ महादेव। न देख सकनेवाले को दिवान्ध, रातको न देख सकने- | अन्धकघातिन् (सं० पु०) शिव, अन्धक राक्षसको वालेको रानान्ध और रङ्ग न पहचान सकनेवालेको जिन्होंने मारा था। वर्णान्ध कहते हैं। मेष, वृष एवं सिंहको दिवान्ध | अन्धकमृत्यु जित् (सं० पु.) अन्धकः असुरविशेषः और मिथुन, कर्कट एवं कन्याको रात्रबन्ध राशि मृत्यु मरणं तौ जयति ; अन्धक-मृत्य-जि-क्किप, उप- बतायेंगे। पवान्ध और वर्णान्धका विवरण चक्षु शब्दमें देखी। स। महादेव, जिन्होंने अन्धकदैत्य और मृत्यु को २ धुंधला, अन्धा बना देनेवाला, जो नज़रकी जीता था। अन्धयतीति, अन्ध चु० प्रेरणे णिच्-अच् । "मदनान्धकमृत्य जित्।" (नैषध ४९७) (क्लो) ३ अन्धकार, अंधेरा, तारौको। ४ अज्ञान, | अन्धकरिपु (सं० पु.) अन्धकस्य रिपुः शत्रुः, ६-तत्। ५ जल, मैला पानी। ६ अन्न। महादेव श्लेष काव्यादिमें इस शब्दसे अन्धकारनाशक ७ मुनिविशेष। सूर्यचन्द्रका भी अर्थ आता है। अन्धमुनि पहले वैश्य एवं इनकी स्त्री शूद्रकन्या अन्धकवृष्णि (सं० पु.) अन्धक और वृष्णिके थौ। सरयू कूलमें इनका आश्रम था। किसी दिन सन्तान। इनके सन्तान कुम्भमें जल भर रहे, पास हो राजा अन्धस. (वै० लो०) अन्धकार, छिपाव, तारीको, दशरथ भी थे। वह उसी वनमें मृगया खेलने गये पोशीदगी। थे। उन्होंने जलका शब्द सुन मनमें ठहराया, कोई अन्धकाक (सं० पु.) काकाकार पक्षो, कौवे-जैसी मदहस्ती जल पीता है। उसौपर उन्होंने शब्दानु एक चिड़िया। सार वाण चलाया। ऋषिकुमार उसको चोटसे मर अन्धकार (स० पु.ली.) अन्धं करोतीति ; क. गये। पीछे अन्धमुनिने अपने पुत्रका सत्कार साध अण, उप-स। तिमिर, तमः, आलोकका अभाव, पुत्रशोकसे सस्त्रीक ज्वलन्त चितापर चढ़ प्राण छोड़े। तारीको, अंधेरा। अन्धक (स• पु०) अन्ध-खुल्। १ दैत्यविशेषका 'अन्धकारोऽस्त्रियां ध्वान्तं तमिस' सिमिर'तमः ॥' (अमर) नाम। दितिके गर्भ एवं कश्यपके औरससे इसका प्रायः सकल देशके ही प्राचीन इतिहास में जन्म हुवा था। इस दैत्यके महा अत्याचारी बननेपर लिखा है, कि सृष्टिसे पूर्व जगत् केवल अन्धकारमें महादेवने इसे मार डाला। (हरिदंश) आवत था। उसके बाद सूर्य, चन्द्र, तारा प्रभृति अन्ध एव अन्धकः, स्वार्थ कन् । २ बृहस्पतिके उत्पन्न होनेपर जगत्में प्रकाश हुआ। ज्येष्ठभ्राता। ममताके गर्भ, उतथ्यके औरससे यह अन्धकारक (स० पु०) क्रौञ्चद्दीपके अन्तर्गत देश- उत्पन्न और वृहस्पतिके शापसे जात्यन्ध हुये थे। विशेष। यह प्रावरक और मुनि नामक देशके मध्य नादानी। 1