पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/५८८

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५८२ अन्धकूप-अन्धपूतना युक्त नरक विशेष। अंधेरा।

दौड़ा। थों, वह भी न होनेके बराबर थीं। उसपर बङ्गालके पचाद्यच अन्धतमः अन्धतमसम् ।" (सि. कौ०) १ अतिशय ज्येष्ठमासको रात्रि थो; दूसरे आदमौपर आदमी अन्धकार, गाढ अन्धकार, हदसे ज्यादा तारोको, पड़ा था। यन्त्रणाका जितना आयोजन हो सकता है, गहरा अंधेरा । 'ध्वान्ते गाढ़ेऽन्धतमसम् ।' (अमर) २ अन्धकार- वह सभी एक जगह किया गया था। मकानके भीतर घुसते ही सबके प्राण कण्ठमें जा अन्धता (सं० स्त्री०) १ चक्षुहीनत्व, अन्धापन। लगे। ग्रीष्मके कारण सर्वाङ्गसे झर-झर पसौना २ पित्तरोग, नजलेकी बीमारी। बहता, दारुण पिपासासे वक्षःस्थल फटता और कैदी | अन्धतामस, (सं० ली.) तम एव तामसम्, स्वार्थे केवल रेल-पल मचा छोटी खिड़कीके पास पहुंचनेको प्रनादि० अण; अन्धञ्च तत् तामसञ्चेति, कर्मधा० । चेष्टा करते थे। किन्तु मकान सङ्कोण था, पैर अतिशय अन्धकार, हदसे ज्यादा तारोको, गहरा आगे बढ़ानेका स्थान न था। फिर भी होलव्येल साहब अति कष्टसे खिड़कीके पास पहुंच किसौ | अन्धतामिस्र (स. क्लो०) तमिस्रा तमः समूहः जमादारसे कहने लगे,-"आप हमें दूसरे मकानमें तमिस्रव तामिस्रम्, स्वार्थे अण्; अन्धञ्च तत् तामिस्र- बन्द कीजिये आपको एक हजार रुपया जेति, कर्मधा। १ निविड़ अन्धकार, गहरी पुरष्कार देंगे।" जमादार नवाबको अनुमति मांगने तारोको, बहुत ज्यादा अंधेरा। (पु०-लो०) अन्धं हतभागा कैदी टक-टको बांध उसके - अन्धकार तामिस्रं यत्र, बहुव्री०। २ नरकविशेष। लौटनेको राह देखते थे। किञ्चित् काल बाद हो मनक्त द्वितीय नरक। यथा- जमादार वापस आया, किन्तु अभौष्टसिद्धि न हुयो। "तामिसमन्धतामिस' महारौरवरौरवौ। होलव्येल साहबने दो हजार रुपये देनेकी ठानी। नरक कालसूवञ्च महानरकमेव च ।" (मनु ४।८८) उस समय नवाब निद्रित थे, उन्हें कोई उठा न सका। तामिस्र, अन्धतामिस्र, महारौरव, रौरव नरक, कैदियोंका दुःसह क्लेश बढ़ रहा था। वह क्लेश कालसूत्र, महानरक इत्यादि एकविंशति नरक हैं। मुखसे कहा और मनसे विचारा नहीं जाता। अन्ध ३ पञ्चप्रकारको अज्ञानताके अन्तर्गत अज्ञान- कूपमें केवल जल जलका शब्द भरा था। सिपाही विशेष, ऐसी नास्तिक बुद्धि, कि शरीर नष्ट होनेसे जलमें वस्त्रखण्ड भिंगा खिड़कोसे मकानके भीतर आत्मा प्रभृति कुछ भी नहीं बचता। फेंकने लगे। इससे और भी गड़बड़ाहट मच गयो अन्धत्व (सं० क्लो०) अन्धस्य भावः, भावार्थे त्व। रेल-पल और भी बढ़ गयौ। कितने ही लोगोंने पद चक्षुत्नत्व, अन्धापन। तलमें दलित हो अपने प्राण खोये। दूसरे दिन १४६ अन्धधी (सं० त्रि.) ज्ञानचक्षुहीन, जिसकी कैदियों में केवल २३ आदमी जोवित बचे। इस-निष्ठर ज्ञानरूपी आंख फूटी हो। व्यवहारके लिये कोई नवाबको दोष देता और कोई अन्धपूतना (सं० स्त्री० ) अन्धस्य मुग्धबालस्य पूतना उन्हें निरपराध बताता है। होलयल साहबने तबाम्नी राक्षसीव, ६ तत्। बालग्रहविशेष, बच्चोंको स्वयं जो विवरण लिखा है, उसमें उन्होंने भी सिराजु बीमारी। इसका लक्षण यों लिखा है,- हौलहको दोषी नहीं ठहराया। “यो हेष्टि स्तनमतिसारकासहिक्का छद्दौंभिच रसहिताभिरद्यमानः । अन्धकरण (सं. त्रि.) अनन्धमन्धं कुर्वन्त्यनेन, दुर्वर्ण : सततमधःशयोऽनगन्धिस्तं ब्रूयुभिषजोऽन्धपूतनातम् ॥" च्युर्थे क्व-करणे ख्य न्। अन्धा बनानेवाला, जो नाबौना (सुश्रुत उत्तर० २७।३३) कर दे। “अन्धकरणः शोकः ।" (मुग्धबोध) तिक्तद्रुमपत्रके सिद्धजलसे स्नान करने, सुरादि अन्धतमस ( स० क्लो०) अन्धयति, अन्ध-णिच्-अच् ; साधित तेल लगाने और पिप्पलादि साधित वृतादिके ताम्यति अस्मिन् इति, तम-असच तमस। अन्धयतीत्यन्वं पोनेपर रोगी अन्धपूतना रोगसे छुटकारा पाता है।