पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/६०८

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जुदा हो। अन्यथासिद्धि-अनाराजन् पदार्थ। जैसे घर निर्माण करने के लिये मट्टी, जल, श्वरसे पृथक् हो, वह जिसका दिल खुदासे दण्ड और चक्रको नितान्त आवश्यकता है। किन्तु मट्टी लानके लिये गर्दभादि नितान्त आवश्यक नहीं अनानाभि (सं० त्रि.) अना परिवारका, दूसरे हैं। इसलिये इसे अनाथासिद्ध कहते हैं। खानदानका। अनाथासिद्धि (सं० स्त्री०) अनाथा अनाप्रकारण अनापर (सं० त्रि०) वह जो किसी अना विषयमें सिद्धिः। अनाप्रकारसे सिद्धि, हेतुका दोष । हेतुका आसक्त हो, वह जिसका मन किसी दूसरी चीजमें आभास-विशेष। लगा हो। अनादर्थ (सं० पु०) अनाश्चासौ अर्थः प्रयोजनञ्चेति । अनापुष्ट (सं० पु०-स्त्री०) अन्यया माभित्रया पुष्टः भिन्नार्थ, दूसरा अर्थ, दूसरा मानी, दूसरा मतलब। पालितः । १ अनाहारा पालित, दूसरेका पाला हुआ। अनादा (स अव्य०) अनास्मिन् काले दा। अनामें २ कोयल। समयमें, कालान्तर, दूसरे वक्त । अनापूर्व (सं० पु.) अनाः पुरुषः यस्याः सा। अनादाशा (सं० स्त्री०) अनया चासौ आशा चेति । पुनर्वार विवाहकर्ता, पुनर्भूपति, दूसरेकी विवाहिता अना आशा, दूसरी उम्मेद। स्त्रीसे जो फिर विवाह करे। अनादाशिस् (सं० स्त्री.) अनघा चासौ आशौश्चेति । अनापूर्वा (सं० स्त्री. ) अनयोऽनापुरुषः पूर्वो यस्याः । अना आशीर्वाद, दूसरा आशीर्वाद। १ पूर्व पतिके मरने वा अकर्मण्य होनेपर जो स्त्री फिर अनादास्था (स० स्त्री०) अनास्मिन् आस्था। अनामें विवाह कर ले; वह स्त्री जिसका विवाह किसी आस्था, अना विषयमें यत्न। औरसे हो गया हो। २ वाग्दत्ता कनया। अनादास्थित (सं० स्त्री०) अनामास्थितः । अना अनाभाव (सं० पु०) अनाविधो भावः । प्रक्कत रूप प्राप्त, दूसरी तरहसे मिला हुआ। अवस्थाका व्यतिक्रम । दूसरे प्रकारका भाव । अनादीय (सं० त्रि.) अनास्येदं गहा० छ दुक् च । अनाभृत् (सं० स्त्री०) अनाः मातापिभिन्नैर्मियते अना सम्बन्धी, दूसरेके सम्बन्धका । अना-भृ-कर्मणि क्विप्। जो अना द्वारा प्रतिपालित अनादुत्सक (सं० त्रि०) अनास्मिन् उत्सुकम् । हो, जिसका प्रतिपालन और कोई करे, कोकिल । अना विषयमें उत्सुक, अना विषयमें उत्कण्ठित । अन्यमनस् (सं० त्रि०) अन्यस्मिन् खविषयातिरिक्त अनादूति (सं. स्त्री०) अनमा चासौ ऊतिचे ति। विषये मनो यस्य । उत्कण्ठित होकर जो अन्य अना रक्षा, दूसरा बचाव । विषयको चिन्ता करे, जो वृथा चिन्ता करे, जिसका अनावंह (स० त्रि०) जो दूसरेसे सहना कठिन मन प्रकत विषयमें निविष्ट न हो, अनमना, उदास, हो, जो दूसरेसे जल्द बरदास्त न किया जाय । चञ्चल, जिसे भूत लगा हो। अनादेवता (सं० वि०) अनादेवसमपित, जो दूसरे अनामनस्क (सं० त्रि०) अनास्मिन् स्वविषयमति- देवताको समर्पित किया जाय । रिक्तविषये, अन्यस्यां क्रियायां वा मनश्चित्तं यस्य अनादेशीय (स० वि०) दूसरे देशका, परदेशका, चञ्चलचित्त, प्रकृत विषयमें जिसका मन न लगे, अन मना, उदास । अनाद्राग (सं० पु.) अनास्मिन् रागः। अन्यमाटज (सं० पु०) अन्यस्याः स्खभिवया मातु- विषयमें अनुराग, दूसरी बातमें प्रीति । र्जायते जन-ड। जो दूसरी मातासे उत्पन्न हुआ हो, अन्धधर्म (स पु०) पृथक् पृथक् गुण, जुदी जुदी वैमात्रेय भ्राता, सौतेला भाई। खुसूसियत। अन्यराजन् (स० वि०) जिसका कोई दूसरा राजा अनाधी (सं० वि०) वह जिसका चित्त परमे हो, जो दूसरे राजाके अधीन हो। परदेशी। अना