पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/६३०

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तत्। ६२४ अपरिच्छिन्न-अपरिहरणीय अपरिच्छिन्न (सं.क्लो०) परि-छिद-त, नज-तत् । म्लै कर्तरि क्त नज-तत्। १ रक्तवर्ण, प्रायला वृक्ष । १ इयत्तारहित, सीमाशून्य, असीम। २ कूटस्थचैतन्या- (त्रि०) २ म्लानिशून्य, जो म्लान न हो, जो कुम्हलावे मक ब्रह्म। ३ सीमारहित समुद्र और आकाशादि। नहीं, जो मुरझाव नहीं। ४ अभेद्य, जिसका विभाग न हो सके। ५ मिला | अपरिमित (सं० त्रि.) न परिमितम्, नत्र-तत्। हुआ। इयत्तारहित, परिमाणशून्य, असीम, अनन्त, अगणित, अपरिच्छेद (स.पु.) परि-छिद-घज अभावार्थे बेहद। न -तत्। परिच्छेदका अभाव, इयत्ताशून्य । अपरिमेय (सं. त्रि०) न परिमातुं शक्यम् नञ्-तत् । अपरिज्ञान (सं० लो०) न परिज्ञानम् अभाव नज जिसका परिमाण न मिले, अगणित, बेअन्दाज़ । तत्त्वविवेकका अभाव, तत्त्वज्ञानराहित्य, | अपरिविष्ट (सत्रि०) परि-विश-क्त, न परिविष्टम्, परमार्थ-ज्ञानशून्यता। नज-तत् । वेष्टनशून्य, अव्याप्त, परिवेशनशून्य, जिसे अपरिणत (सं. त्रि.) परि-नम-त नज-तत् । अबादि न परोसा गया हो। १ अपरिपक्व, विकारशून्य, जिसका परिणाम जैसा | अपरिवृत (सं• त्रि.) न परिवृतम्, नञ् तत् । होना उचित है उससे विपरीत, कच्चा, जो पका न अवेष्टित, अनाच्छादित, अनावृत, जो स्थान चांदनी २ अन्य प्रकारताप्राप्त । ३ वक्र दन्त प्रहारशून्य आदिसे ढका न हो। (हस्तौ)। अपरिवर्तनीय (सं० त्रि०) जो परिवर्तनके योगा न अपरिणय (सं• पु०) परिणीयते त्वं मे पतिः वं हो, बदले में दिया न जा सके। मे भार्या एवं रूपेण परस्पर परिगृह्यते स्त्रीपुरुषौ येन | अपरिशेष (सं० पु.) न परिशेषः नज-तत्। परि- परि-नी करणे अच्। परिणयो विवाहः न परिणयः, शेषाभाव, इयत्ताराहित्य । (त्रि.) २ नित्य, अविनाशी, नज-तत्। विवाहका प्रभाव । कुमारपन । जिसका नाश न हो, अनन्त । अपरिणाम (सं० पु०) न परिणामः अभावे नज- अपरिष्कार (सं० पु.) न परिष्कारः, प्रभाव नज- तत्। परिणामका प्रभाव, परिपक्वताका अभाव, तत्। माजनादि शोधन संस्कारका अभाव, परिपक्वताशून्य। मार्जनादिशून्यता, अपरिच्छन्त्रता, मैलापन । अपरिणामदर्शिन् ( स० त्रि०) असावधान, लापरवाह। अपरिष्कृत (सं० त्रि०) जिसकी सफाई न की गई अपरिणामी (हिं० वि०) निष्फल, परिणामशून्य । हो, मैला कुचैला। अपरिणीत (स त्रि.) परिणौयते स्म विवाहसंस्कारण अपरिष्टि (सं० स्त्री०) अपगता रिष्टिः हिंसा यत्र परिगृह्यतेस्म परि-नी-क्त नञ्-तत्। विवाह-संस्कार वैपरोत्ये रिष हिंसायां क्तिन्। पूजा, सात्विक पूजामें होन, कौमारावस्थायुक्ता, अविवाहित, कारा। कोई हिंसा नहीं है। अपरितोष (सं० पु०) न परितोषः अभावे नज-तत्। अपरिसमाप्ति (स'० स्त्री) न परिसमाप्तिः अभावे सन्तोषका अभाव, असन्तुष्टता। नज-तत्। समाप्तिका अभाव, इयत्ताका अभाव, अपरिपक्व (सं.नि.) न परिपक्वम् नञ्-तत्। जो परिसमाप्तिशून्यता। परिपक्क न हो, जो पका न हो, कच्चा, जो सुसिद्ध न अपरिसर (सं. पु.) परि-भू-अप् न परिसरः । हो, अव्युत्पन्न, कार्याक्षम, अधूरा, अप्रौढ़, अधकच्चा । नज-तत्। विस्तारका अभाव, प्रचारका अभाव, अपरिमाण (सं० ली.) अभावे नज-तत्। परि- विस्तारशून्यता। माणका प्रभाव, परिमाणराहित्य, इयत्ताका अभाव। अपरिस्कन्द (स. त्रि.) गतिहीन, जो चलता (त्रि.) २ अपरिमित, बेअन्दाज़, बहुत ज्यादा। फिरता न हो। अपरिम्नान (स० पु०) न परिम्लायति स्म, परि- अपरिहरणीय (स० वि०) परिहत्तुं शक्य परि-ऋ.